Breaking

हम पर दबाव बनाना बंद करें- उच्चतम न्यायालय

हम पर दबाव बनाना बंद करें- उच्चतम न्यायालय

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

न्यायाधीशों को निशाना बनाने की कोई सीमा होती है

आपने अखबारों में छपवाया कि न्यायालय सुनवाई में देरी कर रहा है.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने देशभर में ईसाई संस्थानों और पादरियों (पुरोहित) पर बढ़ते हमलों का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई में देरी करने की मीडिया में आयी खबरों पर नाखुशी जताया है. न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों को निशाना बनाने की एक सीमा होती है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि हम पर दबाव बनाना बंद करें.

न्यायाधीशों को निशाना बनाने करें बंद

पीठ ने कहा, ”पिछली बार मामले पर सुनवाई नहीं की जा सकी थी, क्योंकि मैं कोविड-19 से संक्रमित था. आपने अखबारों में छपवाया कि उच्चतम न्यायालय सुनवाई में देरी कर रहा है. देखिए, न्यायाधीशों को निशाना बनाने की एक सीमा होती है. ये सभी खबरें कौन देता है?” न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा, ”मैंने ऑनलाइन खबरें देखी थी कि न्यायाधीश सुनवाई में देरी कर रहे हैं. हम पर दबाव बनाना बंद करिए. एक न्यायाधीश कोरोना वायरस से संक्रमित थे और इस वजह से हम मामले पर सुनवाई नहीं कर सकें. खैर, हम इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे, वरना फिर कोई और खबर आएगी.”

ईसाई संस्थानों और पादरियों के खिलाफ हर महीने औसतन 45 से 50 हिंसक हमले

उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील की ओर से मामले पर सुनवाई किए जाने के अनुरोध पर ये टिप्पणियां की. वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्वेज ने जून में अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और कहा था कि देशभर में ईसाई संस्थानों और पादरियों के खिलाफ हर महीने औसतन 45 से 50 हिंसक हमले होते हैं. गोंजाल्विस ने अदालत में बताया था कि मई में ही ईसाई संस्थानों, पादरियों पर हिंसा और हमले के 57 मामले हुए थे. आपको बता दें कि देश भर में ईसाई संस्थानों और पुजारियों पर हमलों की बढ़ती घटना पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देशों को लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी थी. हालांकि इसमें देरी हुआ थी.

उच्चतम न्यायालय(Supreme Court) ने देशभर में ईसाई संस्थानों और पादरियों पर बढ़ते हमलों का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई में देरी करने की मीडिया में आयी खबरों पर नाखुशी जताते हुए गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को निशाना बनाने की एक सीमा होती है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि हम पर दबाव बनाना बंद करें। पीठ ने कहा कि पिछली बार मामले पर सुनवाई नहीं की जा सकी थी क्योंकि मैं कोविड-19 से संक्रमित था। आपने अखबारों में छपवाया कि उच्चतम न्यायालय सुनवाई में देरी कर रहा है। देखिए, न्यायाधीशों को निशाना बनाने की एक सीमा होती है। ये सभी खबरें कौन देता है?

हम पर दबाव बनाना बंद कीजिए: डी वाई चंद्रचूड़
डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की  पीठ ने आगे कहा कि ऑनलाइन खबरों में बताया जा रहा है कि न्यायाधीश सुनवाई में देरी कर रहे हैं। आप बिना तथ्य और प्रमाण के ऐसा कैसे कह सकते हैं। हम पर दबाव बनाना बंद करिए। एक न्यायाधीश कोरोना वायरस से संक्रमित थे और इस वजह से हम मामले पर सुनवाई नहीं कर सके। खैर, हम इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे, वरना फिर कोई और खबर आएगी। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा मामले पर सुनवाई किए जाने के अनुरोध पर ये टिप्पणियां की। वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्वेज ने जून में अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और कहा था कि देशभर में ईसाई संस्थानों और पादरियों के खिलाफ हर महीने औसतन 45 से 50 हिंसक हमले होते हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!