स्तनपान से मां और शिशु दोनों रहते हैं स्वस्थ्य.
विश्व स्तनपान सप्ताह पर विशेष
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विश्व स्तनपान सप्ताह दुनियाभर में स्तनपान हेतु जागरूकता बढ़ाने के लिए एक वार्षिक कैंपेन है। यह माताओं को स्तनपान करवाने के लिए प्रोत्साहन देता है। यह प्रतिवर्ष एक से सात अगस्त तक मनाया जाता है। यूनीसेफ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के कुल शिशुओं में से लगभग 60 प्रतिशत को प्रथम छह माह तक आवश्यक स्तनपान नहीं प्राप्त होता है। इस वर्ष इस सप्ताह की विशेष थीम है, स्तनपान के लिए कदम बढ़ाएं।
इस दौरान प्रसूता व शिशुवती महिलाओं के बीच स्तनपान को बढ़ावा देने, शिशुओं, नन्हें बच्चों को बीमारी और कुपोषण से बचाने और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से 1 से 7 अगस्त तक जागरूकता के कई कार्यक्रम होंगे। इस दौरान आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वस्थ शिशु का चयन उनकी माताओं को पुरस्कृत भी किया जाएगा। विश्व स्तनपान सप्ताह 2022 की थीम स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं, है।
शिशुओं के लिए फायदे
- मां के दूध खासकर शुरुआती पीले गाढ़े दूध द्वारा शिशु को अनेक एंटीबाडी प्राप्त होती हैैं, जो उसे रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैैं।
- स्तनपान पर पले शिशुओं को एलर्जी, एग्जीमा और दमा आदि की समस्या कम होती है।
- मां के दूध में शिशु के मानसिक विकास के लिए भी विशेष तत्व मौजूद होते हैैं।
- स्तनपान करने वाले बच्चों की आंखों की रोशनी भी बेहतर रहती है।
- स्तनपान पर पले बच्चों में निमोनिया, डायरिया आदि संक्रमण कम होते हैैं। यही नहीं ऐसे बच्चों की मृत्युदर भी कम होती है।
- स्तनपान करने वाले बच्चों को भविष्य में हाई ब्लड प्रेशर, हृदयरोग व मधुमेह आदि रोग भी कम होते हैैं।
- मां के लिए भी है लाभदायक माताओं और शिशुओं को स्वस्थ रखने हेतु हम सभी की यह जिम्मेदारी बनती है कि स्तनपान के फायदों से भावी माताओं को अवश्य अवगत कराना चाहिए।
- स्तनपान कराने से प्रसव के बाद गर्भाशय के सिकुड़ने और सामान्य आकार में लौटने में मदद मिलती है।प्रसव के बाद ब्लीडिंग भी कम होती है।
- मां का बढ़ा हुआ वजन वापस घटाने में मदद मिलती है।
- महिलाओं में स्तन व ओवरी कैंसर की आशंका भी कम होती है।
- स्तनपान कराने से मां और शिशु के बीच लगाव भी बढ़ता है।
- माताओं का शिशु के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क बढ़ता है। इससे वे शिशु के संकेतों को जल्दी समझना सीख जाती हैैं।मातृत्व भाव व संतुष्टि में वृद्धि होती है।
माँ का दूध सर्वोत्तम आहार
- एकनिष्ठ स्तनपान का अर्थ जन्म से छह माह तक के बच्चे को माँ के दूध के अलावा पानी का कोई ठोस या तरल आहार नहीं देना चाहिए।
- माँ के दूध में काफ़ी मात्रा में पानी होता है जिससे छह माह तक के बच्चे की पानी की आवश्यकताऐं गर्म और शुष्क मौसम में भी पूरी हो सकें।
- माँ के दूध के अलावा बच्चे को पानी देने से बच्चे का दूध पीना कम हो जाता है और संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।
- प्रसव के आधे घण्टे के अन्दर-अन्दर बच्चे के मुँह में स्तन देना चाहिए।
- ऑपरेशन से प्रसव कराए बच्चों को 4- 6 घण्टे के अन्दर जैसे ही माँ की स्थिति ठीक हो जाए, स्तन से लगा देना चाहिए।
प्रथम दूध (कोलोस्ट्रम)
प्रथम दूध (कोलोस्ट्रम) यानी वह गाढ़ा, पीला दूध जो शिशु जन्म से लेकर कुछ दिनों (4 से 5 दिन तक) में उत्पन्न होता है, उसमें विटामिन, एन्टीबॉडी, अन्य पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं।
- यह संक्रमणों से बचाता है, प्रतिरक्षण करता है और रतौंधी जैसे रोगों से बचाता है।
- स्तनपान के लिए कोई भी स्थिति, जो सुविधाजनक हो, अपनायी जा सकती है।
- कम जन्म भार के और समय पूर्व उत्पन्न बच्चे भी स्तनपान कर सकते हैं।
- यदि बच्चा स्तनपान नहीं कर पा रहा हो तो एक कप और चम्मच की सहायता से स्तन से निकला हुआ दूध पिलायें।
- बोतल से दूध पीने वाले बच्चों को दस्त रोग होने का ख़तरा बहुत अधिक होता है अतः बच्चों को बोतल से दूध कभी नहीं पिलायें।
- यदि बच्चा 6 माह का हो गया हो तो उसे माँ के दूध के साथ- साथ अन्य पूरक आहार की भी आवश्यकता होती हैं।
- इस स्थिति में स्तनपान के साथ-साथ अन्य घर में ही बनने वाले खाद्य प्रदार्थ जैसे मसली हुई दाल, उबला हुआ आलू, केला, दाल का पानी, आदि तरल एवं अर्द्व तरल ठोस खाद्य पदार्थ देने चाहिए, लेकिन स्तनपान 1/2 वर्ष तक कराते रहना चाहिए।
- यदि बच्चा बीमार हो तो भी स्तनपान एवं पूरक आहार जारी रखना चाहिए। स्तनपान एवं पूरक आहार से बच्चे के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होता है.
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