सुखाड़ की स्थिति में किसान कम अवधि वाले तेलहन की खेती करें .. कृषि विज्ञान केन्द्र
श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):
वर्षा नहीं होने की स्थिति में किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है क्योंकि किसान खरीफ मौसम में मुख्य रूप से धान की खेती करते हैं परंतु इस बार धान की खेती के लिए अपेक्षित बारिश नहीं होने से सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है । जहां सिंचाई की सुविधा है वहां किसान धान की रोपाई कर लिए हैं जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा नहीं है वहां धान की नर्सरी खराब हो गई । रबी मौसम आने में अभी काफी समय है ।
खरीफ और रबी के बीच के अंतराल में खेत खाली रहने से किसान को और भी नुकसान होगा ।नुकसान से बचने के लिए किसान कैश क्रॉप की खेती कर सकते हैं । यह बात कृषि विज्ञान केन्द्र की वरिष्ठ बैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ अनुराधा रंजन कुमारी ने कही । उन्होंने कहा कि कैश क्रॉप खेती खरीफ और रबी के बीच की जाने वाली खेती है । इसमें खेत और अपने उपलब्ध संसाधन का उपयोग करके किसान 60 से 65 दिनों में तैयार होने वाली तिलहनी फसल तोरिया की खेती कर सकते हैं ।
साथ ही साथ सब्जी, मटर ,मिर्च ,फूल गोभी टमाटर, बैंगन की खेती किसान कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि तोरिया की कटाई के बाद में रबी सीजन में गेहूं की फसल दलहन और तिलहन की खेती की जा सकती हैं । उन्होंने कहा कि किसान तकनीकी विधि से तोरिया की खेती करके 12 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज ले सकते हैं। एक हेक्टेयर के लिए 4 किलोग्राम बीज का लागत आता है।
उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि उन्नत बीज का ही प्रयोग करें । कम अवधि वाले तोरिया की खेती अगस्त के अंतिम तथा सितंबर के प्रथम सप्ताह में करने की सलाह दी । उन्होंने तोरिया बीज की प्रजाति भवानी पीटी- 303, पीटी-30 उत्तरा टाइप 9, तपेश्वरी और आजाद चेतना आदि को कम अवधि वाला बताया ।
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