आज हम इतिहास का सिंहावलोकन करें और भविष्य का चिंतन करें,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मंगल-मुहूर्त; रवि! उगो, हमारे क्षण ये बड़े निराले हैं,

हम बहुत दिनों के बाद विजय का शंख फूंकने वाले हैं

आजादी का यह ताज बड़े तप से भारत ने पाया है,

मत पूछो, इसके लिए देश ने क्या कुछ नहीं गंवाया है.

——राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर

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