आसान नहीं अमिताभ चौधरी की कमी को पूरी करना
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी राज्य में हमेशा अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए याद किए जाएंगे। क्रिकेट प्रेमियों के लिए उन्हें भुला पाना और झारखंड में उनके निधन से हुई कमी को पूरा कर पाना आसान नहीं। अपने दम पर उन्होंने झारखंड क्रिकेट को एक अलग पहचान दी। यहां के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले इसका उन्होंने हमेशा प्रयास किया। बीसीसीआइ में भी वह महत्वपूर्ण भूमिकाओं में रहे।
रांची में कराया अंतरराष्ट्रीय स्तर के जेएससीए स्टेडियम का निर्माण
अमिताभ चौधरी भले ही एक क्रिकेटर नहीं थे, लेकिन इस खेल के प्रति उनका जुनून कही अधिक था। वे क्रिकेट की बारीकी को समझते थे। 2006 में क्रिकेट मैच के लिए कीनन स्टेडियम नहीं मिलने के कारण उन्होंने झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के लिए एक स्टेडियम बनाने का निर्णय लिया। यह कोई आसान काम नहीं था। उस समय टाटा के अधिकारियों का झारखंड राज्य क्रिकेट संघ पर दबदबा था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जमीन की तलाश में लग गए।
इसके लिए उन्होंने कई जिलों में जमीन को देखा लेकिन बात नहीं बनी। यहां तक की उनके साथ देने वाले भी मानने लगे थे कि शायद स्टेडियम बनाने का सपना पूरा नहीं होगा। लेकिन अमितभा चौधरी ने हार नहीं मानी और जमीन तलाश करते रहे। 2008 में उनकी यह तलाश पूरी हुई और एचइसी के तत्कालीन सीएमडी जेके पिल्लई का सहयोग मिला और एचइसी क्षेत्र में स्टेडियम के लिए जमीन पसंद किया गया।
99 साल के लिए जेएससीए व एचइसी के बीच एमओयू हुआ। उनका ही प्रयास था कि रिकार्ड सवा तीन साल में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनकर तैयार हो गया। अमिताभ चौधरी के दम पर ही रांची में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का आयोजन संभव हो सका। स्टेडियम बनने के बाद वे यहां लगातार अंतरराष्ट्रीय मैचों का आयोजन होने लगा।
2003 में ही कहा था धौनी लंबे समय तक क्रिकेट की सेवा करेंगे
अमिताभ चौधरी के पास जौहरी की परख थी। 2003 में जब महेंद्र सिंह धौनी भारतीय ए टीम के साथ जिम्बाब्वे व केन्या दौरे में शानदार प्रदर्शन कर आए थे, तब माही ने कुछ लोगों को एक पार्टी दी थी। उस पार्टी में दैनिक जागरण के पत्रकार संजीव रंजन भी शामिल थे। उस समय अमिताभ चौधरी ने संजीव रंजन से कहा था कि माही जल्द ही भारतीय टीम के लिए खेलेगा और लंबे समय तक क्रिकेट की सेवा करेगा। उनकी यह बात सच हुई और 2004 नवंबर में धौनी का चयन बांग्लादेश जाने वाली भारतीय टीम में किया गया। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कोहली- कुंबले विवाद को सुलझाया
2005 से 2009 तक अमिताभ चौधरी भारतीय टीम के मैनेजर बनकर जिम्बाव्वे, केन्या, पाकिस्तान, श्रीलंका गए। अपने कार्यशैली से वे उन्हें एक अलग पहचान मिली। 2016 से 2019 तक वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के कार्यवाहक सचिव रहे। 2017 में इंग्लैंड दौरे के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली व कोच अनिल कुंबले के बीच विवाद हो गया था जिस कारण बाद में कुंबले ने कोच का पद छोड़ दिया था। इस मामले को भी चौधरी ने काफी अच्छी तरीके से खत्म किया था।
झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी का मंगलवार सुबह निधन हो गया। उनका पलामू से भी जुड़ाव रहा है। वे 1993 में पलामू के एसपी थे। एक साल तक पलामू रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआइजी) फरवरी 2002 से मार्च 2003 तक रहे। उनका कार्यकाल लोगों को आज भी याद है। वे तामझाम में नहीं रहते थे। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में पुलिस क्षेत्र से अलग खेल की दुनिया में भी खूब नाम कमाए। उनका एक सपना था। लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद तक पहुंचना। हालांकि यह सपना पूरा नहीं हो सका।
अमिताभ चौधरी ने झारखंड लोक सेवा आयाेग के अध्यक्ष के रूप में रिकार्ड 252 दिनों में सातवीं सिविल सेवा परीक्षाएं पूरी कराई थीं। झारखंड सरकार इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में मानती है। हालांकि यह परीक्षा भी विवादों से दूर नहीं रही थी, लेकिन पहली बार झारखंड में कोई सिविल सेवा परीक्षा इतने कम समय में हो पाई थी।
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