माउंटेन मैन दशरथ माँझी के 14वां पुण्यतिथि पर नमन करत विनम्र श्रद्धांजलि– राजेश भोजपुरिया
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
माउंटेन मैन दशरथ माँझी, एगो अइसन नाम जवन इंसानी जज्बा आ जुनून के मिसाल रहन। उ दीवानगी,जवन अपना प्यार खातिर जिद में बदलल आ तब तक आराम से ना बइठल जब तक कि पहाड़ के सीना चीर ना दिहलस।
बिहार में गया के नजदीक गहलौर गांव में दशरथ माँझी के माउंटन मैन बने के सफर उनकर मेहरारू के चर्चा कइले बिना अधूरा बा। गहलौर आ अस्पताल के बीच खाड़ पहाड़ के चलते बरिस 1959 में उनकर पत्नी फाल्गुनी देवी(फगुनिया) के समय पर इलाज ना भइला के कारण उ चल बसली । एहिजे से शुरू भइल दशरथ मांझी के जुनून के कहानी।
पत्नी के गुजरला के गम से टूटल दशरथ माँझी आपन सारा ताकत के बिटोर के पहाड़ के तोड़े के फैसला कइलन। बाकिर ई आसान काम ना रहे, शुरुआत में उनकरा के पागल तक कहल गइल। इहे बात उनकर आउर हौसला बुलंद कइलस।
उ बता देले कि अकेला आदमी पहाड़ भी तोड़ सकेला। बरिस 1960 से 1982 के बीच दिन-रात दशरथ माँझी के दिल आ दिमाग में एके बात घर कर गइल रहे,पहाड़ से अपना मेहरारु के मउअत के बदला लेल। 22 बरिस तक चलल जुनून अपना अंजाम तक पहुँचल आ पहाड़ के बीच से लगभग 360 फुट लंबा,25 फुट गहिरा आ 30 फुट चौड़ाई के रास्ता निकलल।
दुनिया से चल गइले बाकिर गहलौर आ आस-पास के लोगन के याद में आजो बाड़न।
माउंटेन मैन दशरथ माँझी के गहलौर पहाड़ के तोड़ला के बाद गया के अतरी आ वजिरगंज ब्लॉक के बीच के दूरी 80 किलोमीटर से घटके 13 किलोमीटर हो गइल। बरिस 2007 में 73 बरिस के उमर में उ दुनिया छोड़ गइले बाकिर उनकरा पीछे रह गइल पहाड़ पर लिखल उनकर ऐतिहासिक कहानी,जवन आवे वाला नयका पीढ़ियन के एगो सबक देत रही।
बिहार सरकार द्वारा उहा दशरथ मांझी द्वार के निर्माण करावल गइल बा आ ओही द्वार के बगल में दशरथ माँझी के समाधि स्थल के निर्माण भी करावल गइल बा।
अपना के सौभाग्यशाली मानत बानी कि गहलौर,गया,बिहार जाये के मौका हमनी के भी मिलल रहे आ ओह स्थान पर भी गइनी जा जहां ओह ऐतिहासिक मनई माउंटेन मैन के समाधि स्थल बा,उ पहाड़ के भी देखनी जा जवन 22 साल तक काटल गइल रहे आ रास्ता एक गाँव के दोसरा गाँव तक जोड़ रहल बा।भोजपुरी जन जागरण अभियान के टीम उहा के कुछ लोग से बात भी कइले रहे सभे के जुबान पर एके नाम रहे दशरथ बाबा के।अभियान के दल दशरथ माँझी के घर पर भी गइल आ उनकरा लइका भगीरथ माँझी से मुलाकात कइलस आ दशरथ बाबा के बारे में बातचीत भइल।
ई भोजपुरी जन जागरण अभियान के दल राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष पटेल के नेतृत्व में उहा गइल रहे जवना दल के सदस्य हमहुँ रही।
ई उहे जगह ह जहां से भोजपुरी ज़न जागरण अभियान संकल्प लेले रहे कि भोजपुरी भाषा मान्यता आन्दोलन तब तक चलत रही जबतक भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता नइखे मिल जात। हमनी के दशरथ बाबा के जज्बा से प्रेरित हो के एह आंदोलन के आगे बढ़ा रहल बानी जा।हमनी के लड़ाई तब तक जारी रही जब तक जीत हासिल नइखे हो जात।
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