नीतीश सरकार ने बिहार विधानसभा में पाया विश्वासमत, पक्ष में मिला 160 वोट

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विजय सिन्हा बने बीजेपी के नेता विपक्ष, विधान परिषद में सम्राट चौधरी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्‍क

बिहार में महागठबंधन की सरकार के गठन के बाद विधानसभा में नीतीश कुमार विश्वास मत पेश किया. ये विश्वासमत सदन में पहले ध्वनिमत से फिर वोटिंग की प्रक्रिया से पास हुआ. विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में 160 वोट मिले. वहीं वोटिंग के समय भाजपा ने वॉकऑउट कर दिया. इससे विश्वास मत के विरोध में एक वोट भी नहीं पड़ा. विश्वास मत के दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ. पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे के ऊपर जमकर तीखे हमले किए.

नीतीश ने सबसे पहले वर्ष 2013 से शुरुआत की, जब बीजेपी और जेडी(यू) की राहें अलग हुई थीं। उन्होंने तल्ख लहजे में कहा, “हमलोग 2013 में क्यों अलग हुए यह पहले जान लीजिए।  उस समय अटल जी की तबीयत ठीक नहीं थी, तो तब बाकी जो नेता थे उनकी बात होनी चाहिए थे।”

नीतीश ने इशारों-इशारों में बताना चाह रहे थे कि उनकी इच्छा थी की 2014 के चुनाव में बीजेपी के बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाए। उन्होंने आगे कहा, “अटल जी, आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी जी सभी आप ही के पार्टी के नेता थे। यह सभी मेरी बात सुनते थे और मानते थे।”

बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी के बड़े नेता मुझे कितना मानते थे इससे भी समझ लीजिए कि जब बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज जिससे मैंने भी पढ़ाई की है, उसे एनआईटी का दर्जा नहीं मिला था और हमने कहा तो कैबिनेट बुलाकर उसे मान्यता दी गई। उन्होंने दूसरी तरफ मौजूदा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि इन लोगों ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय (विश्वविद्यालय) का दर्जा देने का मेरा अनुरोध स्वीकार नहीं किया।

नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन पर हमला बोला कि आज काम नहीं प्रचार हो रहा है। लोगों की आमदनी घट रही है। किस प्रकार का काम हो रहा है।रोज रोज केवल प्रचार हो रहा है और काम नहीं। उन्होंने कहा कि बिहार में सड़कें आठ सालों से नहीं बन रही हैं, अटल जी की सरकार में फैसला हुआ था कि बिहार के गांव-गांव में सड़कें बनाई जाएं। बीजेपी विधायकों के आरोपों  का जवाब देते हुए नीतीश ने कहा, “मेरे खिलाफ आप बोलोगे तो आपको जगह मिलेगी। जो लोग मेरे साथ पहले थे, उन्हें मौका नहीं दिया गया। मेरे खिलाफ बोलोगे और दिल्ली वाला जगह देगा, तब हमको अच्छा लगेगा।”

नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी से अलग होने के बाद देशभर से मुझे फोन आ रहे हैं कि आपने बहुत अच्छा किया। मुख्यमंत्री ने कहा, “आजादी के 75वें वर्ष पर यह कह रहे थे यह काम होगा, वह काम होगा। पहले यह तो बताइए कि आजादी की लड़ाई में कहां थे आप लोग? क्या आजादी की लड़ाई लड़े हैं? मेरी बात सुन लीजिए, यह लोग बापू को खत्म करना चाहते हैं। समाज में टकराव खड़ा करना और हिंदू-मुस्लिम का झंझट पैदा करना इनका काम है।” 

बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद से बुधवार को इस्तीफा देने वाले विजय कुमार सिन्हा को बीजेपी ने अपने विधानमंडल दल का नेता बनाया है। विजय सिन्हा ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी होंगे। दूसरी तरफ पूर्व पंचायत राज मंत्री सम्राट चौधरी बिहार विधान परिषद में भाजपा विधान परिषद दल के नेता होंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने पार्टी के इस फैसले से बिहार विधानसभा को भी अवगत करा दिया है।

विधानसभा अध्यक्ष को भेजे पत्र में संजय जायसवाल ने कहा कि 23 अगस्त को शाम पांच बजे पार्टी कार्यालय में हुई बैठक में सर्वसम्मति से विजय कुमार सिन्हा को भाजपा विधानमंडल दल का नेता चुना गया है। भाजपा अध्यक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने का आग्रह किया है।

गौरतलब है कि सत्ता से हटने के बाद भाजपाने दोनों सदनों में अपेक्षाकृत युवा नेताओं का मनोनयन किया है। विजय सिन्हा जहां अगड़े (भूमिहार) जाति से हैं, वहीं सम्राट चौधरी कुशवाहा (पिछड़े) समाज से आते हैं। इन दोनों के मनोनयन से भाजपा ने जातिगत समीकरण को भी साधने की कोशिश की है। विजय सिन्हा ने विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपनी अच्छी छाप छोड़ी है। वे लखीसराय से चौथी बार विधायक हैं। वहीं विधान पार्षद सम्राट चौधरी को सरकार में मंत्री के साथ ही विपक्ष में रहने का भी खासा अनुभव है।

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