पति के दीर्घायु होने की कामना को लेकर सुहागिनें ने किया हरितालिका तीज व्रत

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सुहागिन महिलाएं अखण्ड सौभाग्य की कामना के साथ करती है व्रत

हरितालिका तीज कठिन व्रतों में से एक है.दिनभर निर्जला व्रत रहती है सुहागिन महिलाएं

श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)

आज अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त करने के लिए सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज व्रत रख रही हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज के त्योहार का विशेष महत्व है। इस तीज में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। तीज की शाम के समय महिलाएं श्रृंगार करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं।

हरतालिका तीज व्रत रखने और पूजा करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। हरतालिका तीज का त्योहार भी इसी में से एक है। हिंदू पञ्चाङ्ग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है।

 

इस साल हरतालिका तीज व्रत आज यानी 30 अगस्त 2022 दिन मंगलवार को है।

इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के साथ व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती संग उनके परिवार के सभी गणों की पूजा करती हैं।

ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से बहुत लाभ मिलता है। हरतालिका तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष पूजा सामग्रियों का होना बहुत ही जरूरी होता है।

भगवान शिव की पूजा उपासना के लिए हरतालिका पर्व पर उन्हें बेलपत्र, शमी,धतूरे का फल, घी, शहद, गुलाल, चंदन, मंजरी, कलावा, इत्र, पांच फल, सुपारी, अक्षत, धूप, दीप, कपूर, गंगाजल, दूर्वा और जनेऊ आदि अर्पित किया जाता है वहीं माता पार्वती के लिए श्रृंगार की चीजों को चढ़ाने का विशेष महत्व होता है।

जिसमें सुहाग की सामग्री में बिंदी, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, महावर आदि को शामिल किया जाता है।


हरतालिका तीज का व्रत कठिन व्रतों में से एक है। इसमें सुबह से बिना कुछ खाए व पिए दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि मां पार्वती ने कठोर तपस्या करते हुए भगवान शिव को पति रूप में पाया था। तभी से हर वर्ष यह हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महीलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए रखती हैं। इसमें व्रती सुहागिन महिलाएं सुहाग की सभी चीजों को मां पार्वती को अर्पित करती हैं।

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