जब ‘ब्रह्म’ के सार तत्व का ‘विवेक’ से हुआ साक्षात्कार

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सीवान के राजा सिंह महाविद्यालय परिसर में श्री नागेन्द्र मिश्र द्वारा रचित पुस्तक ‘ब्रह्मविवेक’ का हुआ विमोचन

✍️गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान हमारे संस्कृति में ब्रह्म सारगर्भित साध्य रहे हैं, वे सृष्टि के सार तत्व माने जाते हैं और विवेक उस दिव्यस्वरूपी साध्य को पाने का एक सबल साधन। आज जबकि भौतिकता की चकाचौंध में हम खोए जा रहे हैं तो हम न तो ब्रह्म पर चिंतन कर पाते हैं न विवेक के जागरण के बारे में सोच पाते हैं। नतीजा यह होता बस जिंदगी चलती रहती हैं। लेकिन आत्मा की चाह सुकून की होती है। वह सुकून ब्रह्म तत्व के समझने के लिए विवेक को जागृत करने पर ही मिल सकता है। ऐसी चर्चाएं कम ही हो पाती है, जहां ब्रह्म और विवेक के बारे में कुछ पल मंथन करने को मिल जाए।

परंतु रविवार को सीवान के राजा सिंह महाविद्यालय के परिसर में वैसे उमस तो चरम पर था। लेकिन श्री नागेन्द्र मिश्र जी द्वारा रचित पुस्तक ‘ ब्रह्मविवेक’ के लोकार्पण समारोह में उमड़ी शिक्षाविदों की भीड़ में ब्रह्म और विवेक पर कुछ सार्थक मंथन सांस्कृतिक सुकून की शीतल बयार अवश्य बहा रहा था। हालांकि कार्यक्रम में राजनीतिज्ञ भी थे, जयप्रकाश विश्वविद्यालय के प्रशासक मंडल के सदस्य भी थे, तमाम महाविद्यालयों के प्राध्यापक भी थे, शहर के प्रख्यात शिक्षाविद् भी थे, आयुर्वेद के चिकित्सकगण भी थे। अतिथियों का वंदन तो कुछ ज्यादा ही हुआ परंतु बात ब्रह्म की भी हुई और विवेक के जागरण की भी।

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष श्री अवध बिहारी चौधरी रहे तो अध्यक्षता जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति फारुख अली ने की। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष श्री अवधबिहारी चौधरी ने बेबाकी और साफगोई से इस तथ्य को स्वीकारा कि राजनीतिक शास्त्र का उन्हें ज्ञान है लेकिन ब्रह्म के बारे में बोलने के लिए पुस्तक को तो पढ़ना पड़ेगा। परंतु एक जनप्रतिनिधि के तौर पर विश्वविद्यालयों में सत्र के समय पर संचालित नहीं हो पाने की छात्रों की व्यथा को उद्धृत करने से वे एक महाविद्यालय के परिसर में आयोजित सभा में अपने आप को रोक नहीं पाए।

छात्रों के भविष्य को सहेजने के लिए विश्वविद्यालयों में सत्रों के नियमन के संदर्भ में वे हरसंभव सहयोग का आश्वासन भी दे गए। उन्होंने मंच पर मौजूद जयप्रकाश विश्वविद्यालय के प्रशासक मंडल से भावपूर्ण अपील किया कि समय पर परीक्षाएं हो और परीक्षाफल प्रकाशित हो जाए तो छात्रों को बहुत लाभ होगा और जय प्रकाश जी की आत्मा भी प्रसन्न होगी। जय प्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति श्री फारुख अली ने तो कण कण में ब्रह्म के अस्तित्व की बात कही।

कार्यक्रम में ब्रह्म तत्व की सबसे शानदार विवेचना जयप्रकाश विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉक्टर रवि प्रकाश ‘ बबलू’ ने की। उनका विद्वतापूर्ण और सारगर्भित संबोधन कार्यक्रम की शोभा में चार चांद लगा गया। ए एन कॉलेज, पटना के प्राचार्य श्री शशि प्रताप शाही ने अपने गृह जिले से लगाव को उद्घाटित कर ‘ब्रह्म विवेक’ पुस्तक के रचयिता श्री नागेन्द्र मिश्र के अथक प्रयास को नमन किया।

मंचासीन अन्य वक्ताओं ने भी अपने अपने संबोधन में जिंदगी के संदर्भ में ब्रह्मतत्व के अलग अलग आयामों का विवेचन किया। स्वागत, वंदन, अभिनंदन का क्रम भी चलता रहा। श्री अशोक मिश्रा के भावुक धन्यवाद ज्ञापन और सुस्वादु भोजन के उपरांत कार्यक्रम का समापन तो हो गया। परंतु हर आमंत्रित गण को मिला ‘ ब्रह्म विवेक’ पुस्तक जरूर भविष्य में ब्रह्म के साध्य स्वरूप और विवेक के साधन संदर्भित आयाम से परिचय अवश्य करा जायेगा।

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