क्या है पीएम-श्री योजना, जिसमें 14,500 स्कूल होंगे बेहतर
विश्व गुरु और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करना जरूरी है
अगर विश्व गुरु बनना है तो शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करना होगा
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) योजना की घोषणा की. इसके तहत देश भर में 14,500 स्कूलों को विकसित व उन्नत किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम-श्री स्कूलों में शिक्षा प्रदान करने का एक आधुनिक, परिवर्तनकारी और समग्र तरीका होगा और इसमें नवीनतम तकनीक, स्मार्ट कक्षा, खेल और आधुनिक अवसंरचना पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा. प्रधानमंत्री ने यह घोषणा ट्विटर के जरिए की.
उन्होंने कहा, ‘शिक्षक दिवस पर मैं एक नयी पहल की घोषणा कर रहा हूं. प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) के तहत देश भर में 14,500 स्कूलों को विकसित व उन्नत किया जाएगा. ये सभी मॉडल स्कूल बनेंगे और इनमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पूरी भावना समाहित होगी.’
पीएम-श्री स्कूलों में शिक्षा प्रदान करने का एक आधुनिक तरीका
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम-श्री स्कूलों में शिक्षा प्रदान करने का एक आधुनिक, परिवर्तन लाने वाला और समग्र तरीका होगा तथा इनमें खोज उन्मुख और सीखने को केंद्र में रखकर शिक्षा प्रदान करने के तरीके पर जोर रहेगा. उन्होंने कहा, ‘इसमें नवीनतम तकनीक, स्मार्ट कक्षा, खेल और आधुनिक अवसंरचना पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.’
‘पीएम-श्री स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी घटकों की झलक
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव किए हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि पीएम-श्री स्कूल देश भर के लाखों छात्रों को फायदा पहुंचाएंगे. केंद्र प्रायोजित इस योजना का क्रियान्वयन केंद्र सरकार, राज्य, केंद्र शासित प्रदेश और स्थानीय निकाय के मौजूदा स्कूलों को विकसित करके किया जाएगा. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘पीएम-श्री स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी घटकों की झलक दिखेगी और ये अनुकरणीय स्कूलों की तरह काम करेंगे तथा आसपास के अन्य स्कूलों का मार्गदर्शन भी करेंगे.’
भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
पीएमओ ने कहा, ‘इन स्कूलों का उद्देश्य सिर्फ गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अध्ययन और संज्ञानात्मक विकास होगा बल्कि 21वीं सदी के कौशल की जरूरतों के अनुरुप समग्र और पूर्ण विकसित नागरिकों का निर्माण करना भी है.’ केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस पहल की यह कहते हुए सराहना की कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और भारत को एक जीवंत ज्ञान समाज बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति की एक प्रयोगशाला, जिसमें 14,500 अनुकरणीय स्कूल अपने अनूठे अनुभवात्मक, समग्र, पूछताछ-संचालित और शिक्षार्थी-केंद्रित शिक्षाशास्त्र के साथ मानवतावादी दृष्टिकोण वाले अच्छे व्यक्तियों का निर्माण होगा जो 21 वीं सदी के कौशल के अनुरुप होगा.’ प्रधान ने कहा, ‘पीएम-श्री स्कूल क्षेत्र के अन्य स्कूलों को भी नेतृत्व प्रदान करेंगे ताकि अध्ययन का एक माहौल बने और शैक्षणिक नतीजों में सुधार हो.’
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिये गये अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया था. इस संकल्प को साकार करने के लिए न केवल स्कूली शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की आवश्यकता है, बल्कि समुचित संसाधनों तथा उत्कृष्ट पाठ्यक्रम की भी दरकार है. बड़ी संख्या में बच्चे देश के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में निवास करते हैं. वहां के मौजूदा स्कूलों की स्थिति संतोषजनक नहीं है.
संसाधनों और शिक्षकों की कमी के कारण उनकी शिक्षा का स्तर अक्सर ऐसा नहीं होता है कि वे आगे की पढ़ाई के लिए शहरों के अच्छे संस्थानों में जा सकें. पीएम श्री स्कूलों से विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति की अपेक्षा की जा सकती है. भविष्य की दुनिया आज से बिल्कुल अलग होगी. तब तकनीक, कौशल, क्षमता बहुलता जैसे कारकों का महत्व बहुत अधिक बढ़ चुका होगा. यदि प्राथमिक स्तर से ही बच्चों की प्रतिभा को बढ़ाने और संवारने के प्रयास होंगे, तो हमारे पास मेधावी मानव संसाधन उपलब्ध होगा.