‘लौंडा नाच’ वाले कलाकार पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन
कला जगत में शोक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार के छपरा निवासी प्रसिद्ध लोक कलाकार रामचंद्र मांझी अब इस दुनिया में नहीं रहे. पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में बुधवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली. हार्ट ब्लॉकेज और इंफेक्शन की समस्या से जूझ रहे रामचंद्र मांझी को पद्म श्री अवार्ड से नवाजा गया था. वो भिखारी ठाकुर की नाट्य मंडली के सदस्य रहे और लौंडा नाच के लिए बेहद मशहूर थे.
‘लौंडा नाच’ को पहचान दिलाया, निधन
राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे जा चुके रंगकर्मी रामचंद्र मांझी की तबीयत अचानक बिगड़ गयी थी. जिसके बाद उन्हें पटना के आइजीआइएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन बुधवार देर रात उनका निधन हो गया. रामचंद्र मांझी ने बिहार की लोक संस्कृति को एक अलग पहचान दी थी. ‘लौंडा नाच’ को उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर नयी पहचान दी थी.
भिखारी ठाकुर के सहयोगी रहे
रामचंद्र मांझी भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी रहे. महज 10 साल की उम्र में ही उन्होंने भिखारी ठाकुर को गुरु बनाकर स्टेज पर पांव रख दिया था. रामचंद्र मांझी को वर्ष 2017 में संगीत अकादमी अवार्ड से नवाजा गया. वहीं पिछले साल वर्ष 2021 में रामचंद्र मांझी को उनकी कला तथा योगदान हेतु ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था.
‘लौंडा नृत्य’ को जानें
बताते चलें कि ‘लौंडा नृत्य’ बिहार के पुराने और बेहद प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है. इसमें लड़का, लड़की की तरह मेकअप और कपड़े पहनकर नृत्य करता है. लौंडा नाच का आयोजन लोग किसी भी शुभ मौके पर अपने यहां कराते हैं. आज की बात करें तो समाज के बीच से अब लौंडा नृत्य हाशिए पर जा चुका है. अब गिने-चुने ही लौंडा नृत्य मंडलियां बची हैं, जो इस विधा को जिंदा रखे हुए है. वो भी बुरी हालत से ही गुजर रहे हैं.
आर्थिक तंगी से ही जूझे
रामचंद्र मांझी भी आखिरी दिनों में आर्थिक तंगी से ही जूझे. जब वो बीमार पड़े तो उनके इलाज के लिए खर्च जुटाना काफी मुश्किल हो गया था. पहले उनका इलाज छपरा के ही एक निजी क्लिनिक में चल रहा था. लेकिन वहां से जब बड़े अस्पताल में ले जाने की जरुरत महसूस हुई तो परिवार वालों ने बेहद असहाय महसूस किया.परिवार के ही लोग बताने लगे कि वो फिलहाल आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. मदद की गुहार लगाई तो जनप्रतिनिधि की मदद से पटना में भर्ती कराया गया था.
भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयोगी पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन हो गया है। लौंडा नाच को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले रामचंद्र मांझी ने पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में बुधवार देर रात अंतिम सांस ली। वे हार्ट ब्लॉकेज और इंफेक्शन की समस्या से जूझ रहे थे। रामचंद्र मांझी सारण जिले के रहने वाले थे। दुख की बात ये है कि उनका आखिरी वक्त मुफलिसी में कटा था। उनके निधन से भोजपुरी कला के क्षेत्र में शोक की लहर है।
सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा के तुजारपुर के रहने वाले रामचन्द्र मांझी को गंभीर अवस्था में मंत्री जितेंद्र कुमार राय की पहल पर पटना के आईजीआईएमएस में भर्ती करवाया गया था। आईजीआईएमएस में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने देर रात अंतिम सांस ली। रामचंद्र मांझी 10 वर्ष की उम्र में ही मशहूर भोजपुरी कलाकार भिखारी ठाकुर की नाट्य मंडली से जुड़ गए थे। वे 30 सालों तक भिखारी ठाकुर के नाच मंडली के सदस्य रहे।
लौंडा नाच में महारत, मुफलिसी में कटा अंतिम समय
रामचंद्र मांझी ने लौंडा नाच को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई थी। जब उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया तब उनके साथ ही साथ लौंडा नाच को भी वह सम्मान मिला, जिसके लिए वह बरसों से संघर्ष कर रहे थे। उन्हें संगीत नाटक अकादमी समेत अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। विडंबना रही कि बिहार का कोई भी कलाकार पिछले 5 दिनों में रामचंद्र मांझी को देखने अस्पताल नहीं गया। हालांकि मंत्री जितेंद्र राय उन्हें देखने गए और उनकी आर्थिक मदद भी की।
छपरा के संस्कृति कर्मी जैनेंद्र दोस्त ने पद्मश्री रामचंद्र मांझी के मानस पुत्र की भांति अंतिम समय तक उनकी सेवा की। पद्म श्री पुरस्कार मिलने के बाद भी रामचंद्र माझी और उनका परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझता रहा। उनके जीवन का अंतिम समय मुफलिसी में कटा। रामचंद्र माझी के निधन के साथ भोजपुरी लौंडा नाच का सुनहरा अध्याय भी बंद हो गया।