आर्थराइटिस में की-होल सर्जरी से विशेष फायदा नहीं


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श्रीनारद मीडिया, राकेश सिंह, स्‍टेट डेस्‍क:

सीवान शहर के प्रसिद्ध सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट डा • राकेश कुमार सिंह ने आर्थराइटिस की आम बीमारी होते जाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि नवीनतम शोध यह बताते हैं कि आर्थराइटिस में की- होल सर्जरी से फायदेमंद नहीं है।जहाँ तक हो सके सभी लोगों को इससे बचना चाहिए।इसका सबसे बेहतर इलाज जीवनशैली में बदलाव और व्यायाम करना है।

डा • राकेश ने शोध के हवाले से आगे बताया कि 18 लाख लोगों पर अध्ययन कर शोधकर्ताओं ने पाया कि वजन घटाने,नियमित व्यायाम करने और दवाईयां लेने से की-होल सर्जरी की अपेक्षा ज्यादा फायदा हुआ है।सर्जरी में खर्च भी ज्यादा है और फायदा भी कम है।
डा • राकेश ने आगे बताया कि भारत में लगभग 18 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं।पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं इसकी चपेट में ज्यादा आती हैं।परंतु झेलती रहती हैं।गठिया किसी एक कारण से नहीं होता।विटामिन डी कि कमी के कारण अंगुलियों, घुटनों,गर्दन, कंधे आदि जोड़ों में दर्द की शिकायत होने लगती है।गठिया रोग से पीड़ितों को घुटनों के बल नहीं बैठना चाहिए। वेस्टन टायलेट का इस्तेमाल करना चाहिये। जोड़ो के तरल पदार्थ कॉर्टिलेज बरकरार रखने के लिए कसरत करें, पैदल अवश्य चलें। अत्याधिक सीढ़ियां चढ़ने से बचे। इस बीमारी पर काबू पाने के लिए फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज रोजाना करनी चाहिए इसके अलावा जंक फूड से परहेज जरूरी है।

उन्होंने बताया कि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाने पर यह गठिया का रूप ले लेता है। ध्यान न देने पर घुटना, कूल्हा आदि इंप्लांट करने की भी नौबत आ जाती है। शरीर में प्‍यूरिन के टूटने से यूरिक एसिड बनने लगता है। प्‍यूरिन खाने की चीजों में पाया जाता है। खाने के जरिए यह शरीर में पहुंचता है और फिर खून के जरिए किडनी तक। आम तौर पर यह मूत्र के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन कई बार किडनी बेहतर तरीके से काम नही करती तो यह मूत्र के जरिये बाहर न निकलकर रक्त में मिल जाती है और यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है। यह आपको ताउम्र परेशान कर सकता है और गठिया जैसे रोग पैदा कर सकता है।

ऐसे पहचाने गठिया को
जोड़ों में दर्द, उंगलियों व जोड़ों में सूजन, चलने में कठिनाई, जोड़ों में अकड़न आदि लक्षणों से गठिया रोग की पहचान की जा सकती है।
शरीर में हल्की अकड़न है तो भी सबसे पहले किसी डाक्टर को दिखाएं। कोशिश करें कि दिनचर्या नियमित रहे। डाक्टर की सलाह पर नियमित व्यायाम करें। नियमित टहलें, घूमें-फिरें, व्यायाम एवं मालिश करें। सीढ़ियां चढ़ते समय, घूमने-फिरने जाते समय छड़ी का प्रयोग करें। ठंडी हवा, नमी वाले स्थान व ठंडे पानी के संपर्क में न रहें। घुटने के दर्द में पालथी मारकर न बैठें।

सेवन करें। बहुत ठंडा खाने, पीने से बचें। अधिक प्रोटीन से परहेज करें। मछली और अखरोठ से दूर रहें। सेब या सेब का सिरका शरीर से यूरिक एसिड को कम करने में मददगार है. सेब के सिरके में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं। यह शरीर में यूरिक एसिड को नियंत्रित रखने का काम करते हैं। सेब का सिरका खून में पीएच स्तर को बढ़ा देता है, जो यूरिक एसिड को कम करने में मददगार है। बेकिंग सोडा यूरिक एसिड के लेवल को कम करने में मदद कर सकता है।

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