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नामीबिया से चीतों का सफर शुरू:पिंजरों को कंटेनर में रखकर लाया जा रहा एयरपोर्ट.

नामीबिया से चीतों का सफर शुरू:पिंजरों को कंटेनर में रखकर लाया जा रहा एयरपोर्ट.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

MP के कूनो के लिए नामीबिया से चीतों का सफर शुरू हो चुका है। नामीबिया में चीतों की शिफ्टिंग के काम में लगे एक्सपर्ट ने बताया कि चीते नामीबिया के CCF (चीता कंजर्वेशन फंड) एरिया से एयरपोर्ट के लिए रवाना हो चुके हैं। 8 चीतों के पिंजरों को कंटेनर में रखकर नामीबिया की राजधानी विंडहोक के नजदीकी एयरपोर्ट लाया जा रहा है। यही कंटेनर विमान में रखे जाएंगे। इन्हें इस तरह से डिजाइन किया गया है कि चीतों को आभास न हो कि उन्हें जंगल से बाहर कहीं ले जाया जा रहा है। चीते भारतीय समय अनुसार रात 8 बजे ये स्पेशल विमान से भारत के लिए उड़ान भरेंगे। ये प्लेन शनिवार सुबह करीब 6 बजे ग्वालियर पहुंचेगा।

ग्वालियर में पहले से ही वायुसेना के हेलिकॉप्टर तैयार होंगे। चीतों को विमान से हेलिकॉप्टर में शिफ्ट करने में करीब आधा घंटा लगेगा। सुबह 6.30 बजे हेलिकॉप्टर ग्वालियर से कूनो के लिए उड़ाने भरेंगे। यदि सब कुछ ठीक रहा तो शनिवार सुबह 7 बजे तक चीते कूनो पहुंच जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर चीतों को कूनो पार्क में छोड़ेंगे।

मोदी के मंच के नीचे पिंजरे में होंगे चीते
कूनो नेशनल पार्क के टिकटौली गेट से 18 किलोमीटर भीतर पांच हेलिपैड बने हैं। इनमें से तीन प्रधानमंत्री और उनकी सुरक्षा के लिए आए हेलिकॉप्टर के लिए रिजर्व हैं। यहां से 500 मीटर के दायरे में 10 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्म नुमा मंच तैयार किया गया है। मंच की ऊंचाई 10 से 12 फीट होगी। मंच पर PM मोदी के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय वन मंत्री और मध्य प्रदेश के वन मंत्री होंगे। इसी मंच के ठीक नीचे छह फीट के पिंजरे में चीते होंगे।

तैयारी देखने आज कूनो पहुंचेंगे शिवराज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार सुबह 9.40 बजे ग्वालियर एयरबेस पहुंचेंगे। वहां से वे कूनो के लिए रवाना होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तैयारियों का जायजा लेने के लिए शुक्रवार रात 8.30 बजे कूनो पहुंचेंगे वे करीब डेढ़ घंटा यहां रुकेंगे और रात 10 बजे भोपाल के लिए रवाना होंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री ने कई ट्वीट करते हुए देश व प्रदेश में चीते आने को असाधारण घटना बताया।

8 चीतों में 2 सगे भाई भी
नामीबिया में चीतों की निगरानी कर रहे दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में प्रो. एड्रियन ट्रोडिफ ने बताया कि भारत आने वाले 8 चीते फिलहाल CCF सर्किल (वन संरक्षित क्षेत्र) में हैं। इनमें 5 मादा और 3 नर हैं। दो सगे भाई हैं। इनकी उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच है। आमतौर पर चीते की औसत उम्र 12 साल होती है। चीतों को सही सलामत पहुंचाने के लिए नामीबिया के वेटरनरी डॉक्टर एना बस्टो विमान में साथ आ रहे हैं।

चीतों को लाने के लिए कूनो में हेलीपैड तैयार हैं। प्रशासन ने श्योपुर में 7 हेलीपैड बनाए हैं। इनमें से 3 नेशनल पार्क के भीतर हैं। यहां से हेलीकॉप्टर की मदद से चीतों को शिफ्ट किया जाएगा। जबकि पार्क के बाहर VVIP के आगमन के लिए 4 हेलीपैड बनाए गए हैं।

चीतों को खाली पेट लाया जा रहा
जिस विमान से चीतों को लाया जा रहा है, उन्हें बाहर से ही नहीं, अंदर से भी चीतों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, ताकि उसमें पिंजरों को आसानी से रखा जा सके।​ पिंजरों के बीच इतनी जगह होगी कि उड़ान के दौरान पशु चिकित्सक आसानी से चीतों पर नजर रख सकें। चीतों को खाली पेट भारत लाया जाएगा। एक्सपर्ट के मुताबिक शिफ्टिंग के दौरान जानवर का पेट खाली होना चाहिए।

विमान में ऐसी व्यवस्था की गई है कि चीतों को यह नहीं लगे कि उन्हें जंगल से बाहर कहीं और ले जाया जा रहा है। नामीबिया में भारत के हाई कमीशन ने उस विमान का फोटो शेयर किया और लिखा कि बाघ की जमीन पर सद्भावना के दूतों को ले जाने के लिए एक विशेष विमान बहादुरों की भूमि पर उतरा है।

शिकार के लिए बाड़े में चीतल छोड़े गए
प्रो. एड्रियन ट्रोडिफ ने बताया कि नामीबिया से ग्वालियर और फिर वहां से राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के दौरान चीतों को कोई खाना नहीं दिया जाएगा। कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचने पर ही चीतों को खाना दिया जाएगा। यात्रा शुरू करते समय जानवर का पेट खाली होना चाहिए, हालांकि चीते रोज खाना नहीं खाते हैं। इस कारण से उन्हें लाने में कोई परेशानी नहीं होगी। कूनाे पहुंचने के बाद भूख लगने पर वे एक या दो दिन के भीतर शिकार कर सकते हैं, इसलिए छोटे बाड़े में चीतल छोड़े गए हैं। अगर चीते शिकार नहीं करते हैं तो उन्हें भैंस या बकरी का मांस दिया जाएगा।

30 दिन तक सेहत पर रखेंगे नजर
चीतों को लेकर कूनो नेशनल पार्क में तैयारी पूरी हो चुकी है। चीतों के आने के बाद उन्हें एक बाड़े में रखकर तीस दिनों तक क्वारंटीन किया जाएगा। इस दौरान उनके व्यवहार, सेहत व अनुकूलन पर पूरी तरह से नजर रखी जाएगी कि वे यहां के माहौल में खुद को कैसे एडजस्ट कर रहे हैं। एक महीने बाद इन चीतों को एक किलोमीटर जितने बड़े बाड़े में छोड़ा जाएगा। एक से डेढ़ महीने बाद थर्ड स्टेज में उन्हें कूनो में खुला छोड़ दिया जाएगा।

कुनो राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश , भारत में एक राष्ट्रीय उद्यान है , जिसे 1981 में श्योपुर और मुरैना जिलों में 344.686 किमी 2 (133.084 वर्ग मील) के क्षेत्र के साथ एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था ।  2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। यह खथियार-गिर शुष्क पर्णपाती वनों के ईकोरियोजन का हिस्सा है ।

कुनो वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1981 में लगभग 344.68 किमी 2 (133.08 वर्ग मील) के प्रारंभिक क्षेत्र के साथ की गई थी।  1990 के दशक में, इसे एशियाई शेर पुनरुत्पादन परियोजना को लागू करने के लिए एक संभावित साइट के रूप में चुना गया था , जिसका उद्देश्य भारत में दूसरी शेर आबादी स्थापित करना था। 1998 और 2003 के बीच, 24 गांवों के लगभग 1,650 निवासियों को संरक्षित क्षेत्र के बाहर के स्थलों पर बसाया गया।

 

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