क्या है PFI जैसे संगठनों का इतिहास ?

क्या है PFI जैसे संगठनों का इतिहास ?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दिसंबर1992 में बाबरी मस्जिद ढहाने से 3 साल पहले 1989 में इस्लामिक धर्मगुरु अब्दुल नसीर मदनी ने केरल में खुद को सांस्कृतिक संगठन बताते हुए इस्लामिक सेवक संघ यानी ISS बनाया।

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के एक हफ्ते बाद, पुलिस ने केरल के सस्थामकोट्टा में एक केस दर्ज किया। जिसमें ISS पर एक गुप्त बैठक करने का आरोप था। इस बैठक का एजेंडा मस्जिद गिराए जाने के खिलाफ मुस्लिमों को बड़े पैमाने पर भड़काना था।

पुलिस ने इस बैठक के दौरान देसी पिस्तौल, 1.4 किलो बारूद, हथियार, मेटल डिटेक्टर,ISS के नोटिस और पेंफलेट्स बरामद किए थे। इसके बाद में सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा बढ़ाने के आरोप में ISS सहित 5 और मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों पर बैन लगा दिया था।

28 सितंबर 2022: केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI और उसके 8 सहयोगी संगठनों को UAPA के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित करते हुए 5 साल का बैन लगा दिया।

03 मई 2019: NIA ने तमिलनाडु में PFI के 8 दफ्तरों पर छापे मारे। मामला तमिलनाडु की पॉलिटकल पार्टी PMK नेता रामालिंगम की हत्या का था, लेकिन छापे के दौरान गिरफ्तार किए गए PFI के रियाज अबूबकर का कनेक्शन श्रीलंका सीरियल ब्लास्ट में शामिल रहे आतंकी जहरान हाशिम से निकला।

21 अप्रैल 2019 को श्रीलंका के तीन चर्च और तीन होटलों पर हुए आतंकी हमले में 269 लोग मारे गए थे। इसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन ISIS ने ली थी।

पिछले करीब 3 दशक में देश में बने ज्यादातर मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन दक्षिण भारत से ही निकले हैं। 2006 में बने PFI की स्थापना भी केरल में ही हुई थी।

क्षिण भारत में कट्टरपंथ बढ़ने के पीछे 3 प्रमुख वजहें हैं…

1. खाड़ी देशों में कट्टरपंथ के प्रभाव में आ जाते हैं दक्षिण भारतीय

खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ऐसे कई देश हैं, जो कट्टर इस्लाम के प्रभाव को फैलाने के फंड देते हैं। खाड़ी देशों में इस तरह के ज्यादातर संस्थान हैं। वहां करीब 85 लाख भारतीय रहते हैं। हर साल खाड़ी देशों को जाने वाले भारतीयों में से करीब 30% केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से जाते हैं। धीरे-धीरे वे कट्टर इस्लाम के प्रभाव में आ जाते हैं।

2. सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से कट्टरपंथ का प्रोपेगेंडा फैलाना आसान

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे-ट्विटर, टेलिग्राम और डार्क वेब के जरिए कट्टरपंथियों के लिए अपना प्रोपेगेंडा फैलाना आसान हो गया है। दक्षिण भारत के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे हैं और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में आगे हैं। यानी सोशल मीडिया तक उनकी पहुंच भी बेहतर है।

ऐसे में दक्षिण भारतीयों के बीच कट्टरपंथ तेजी से फला-फूला और वहां से दूसरे राज्यों में भी फैलता गया।

देश में सबसे ज्यादा साक्षरता दर वाला राज्य केरल है, 2011 की जनगणना के अनुसार, केरल की साक्षरता दर 93% से ज्यादा थी। वहीं तमिलनाडु की साक्षरता दर 80% से ज्यादा थी। ये प्रमुख उत्तर भारतीय राज्यों जैसे-उत्तर प्रदेश (69.7%), पंजाब (76.7%), बिहार (63.8%) और राजस्थान (67.1%) से बेहतर है।

3. रूप बदलते गए कट्टरपंथी संगठन

दक्षिण भारतीय राज्यों में एक कट्टरपंथी संगठन पर बैन लगा तो उसकी जगह दूसरे ने ले ली। यानी बैन लगने के बाद रूप और नाम बदलकर नए कट्टरपंथी संगठन तैयार होते गए। PFI ही नहीं बल्कि पिछले कुछ सालों के दौरान दक्षिण भारत में पनपे कट्टरपंथी संगठनों की एक लंबी फेहरिस्त है। चलिए एक-एक करके जानते हैं…

1. अल उमाह:

1993 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के एक साल बाद तमिलनाडु में बना अल उमाह 1998 में आतंकी गतिविधियों के लिए बैन हो गया। इसके बाद ये 11 छोटे-छोटे ग्रुप में बंटकर काम करने लगा। दक्षिण भारत में कई ब्लास्ट में इस संगठन का नाम आया।

2016 में अल उमाह बेस मूवमेंट से जुड़कर एक नए अवतार में सामने आया। बेस मूवमेंट को साउथ इंडिया में अलकायदा से जुड़ा हुआ माना जाता है।

2. स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया या SIMI

SIMI 1997 में बना तो अलीगढ़, UP में, लेकिन इसने अपना प्रमुख केंद्र दक्षिण भारत को बनाया। SIMI पर 2001 में आतंकी गतिविधियों के लिए बैन लगा दिया गया। माना जाता है कि SIMI पर बैन लगते ही इसके मेंबर PFI से जुड़ गए।

3. इंडियन मुजाहिदीन या IM

यही हाल 2007 में कर्नाटक के भटकल में बने इंडियन मुजाहिदीन यानी IM का भी रहा। इस संगठन को SIMI की शाखा माना जाता है। IM को 2010 में UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया था।

इसके तार बांग्लादेशी आतंकी सगंठन हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी या हूजी और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से भी जुड़े। IM ने दक्षिण भारत में जिहादी तैयार करने और आतंकवाद फैलाने का काम किया। IM का नाम देशभर में हुए कई ब्लास्ट में सामने आया था।

4. कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी या KFD

2001 में बना कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी यानी KFD को SIMI की ही ब्रांच माना जाता है। ये कर्नाटक के मंगलुरु, उडुपी, कोडागु और कासरगड़ जिलों में एक्टिव है। इसने 2006 में PFI में अपना विलय कर लिया था। इसका नाम 2005 में बेंगलुरु में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में हुए आतंकी हमले और 2009 मैसूर सांप्रदायिक हिंसा में आ चुका है।

5.पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या PFI

2006 में केरल में बना मुस्लिम संगठन PFI, 1993 में बने नेशनल डेवलेपमेंट फ्रंट यानी NDF का ही मॉर्डन वर्जन है। NDF के 19 प्रमुख नेताओं में से एक प्रोफेसर पी कोया ने ही SIMI का गठन किया था। PFI पर दक्षिण भारत में RSS के कम से कम 30 बड़े नेताओं की हत्या के आरोप हैं। इसके अंडर काम कर रहे कई संगठनों पर भी गैरकानूनी गतिविधियों शामिल होने का आरोप है।

6. मनिता नीति पसराई

2001 में तमिलनाडु में मनिता नीति पसराई नामक मुस्लिम संगठन बना। 2004 में पुलिस ने इस संगठन पर कथित तौर पर दलितों को मुस्लिम बनाने के मामले में छापा मारा था। संगठन पर बाबरी मस्जिद और गोधरा दंगे की तस्वीरें दिखाकर लोगों को भड़काने का आरोप था। 2007 से ये संगठन PFI के बैनर तले काम कर रहा है।

7. इस्लामिक स्टेट या IS

आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट यानी IS ने भारत में अपने प्रचार के लिए दक्षिण भारत को चुना। IS ने दक्षिणी राज्यों में कई ग्रुपों और स्लीपर सेल के जरिए इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया। उसके लिए IS में भर्ती के लिए युवाओं को तैयार करना आसान हो गया। NIA के मुताबिक, IS जॉइन करने के लिए भारत से सीरिया जाने का दावा करने वालों में से 50% दक्षिण भारत से हैं।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!