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भारत में हार्ट डिजीज से मौतें दोगुनी हुईं,कैसे ? - श्रीनारद मीडिया

भारत में हार्ट डिजीज से मौतें दोगुनी हुईं,कैसे ?

भारत में हार्ट डिजीज से मौतें दोगुनी हुईं,कैसे ?

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विश्व हृदय दिवस पर विशेष

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हार्ट की बीमारी को भले ही बुजुर्गों के लिए खतरा माना जाता है, मगर अब यंगस्‍टर्स भी हार्ट डिजीज की चपेट में हैं। डब्ल्यूएचओ और अमेरिकन जर्नल की एक स्‍टडी के मुताबिक 30 से 40 साल के बीच के युवाओं में 13 प्रतिशत हार्ट की समस्‍याएं बढ़ीं हैं। वहीं दुनिया में बीमारी से होने वाली मौतों में सबसे बड़ा कारण हार्ट डिजीज है। दूसरी ओर भारत में भी अब हार्ट डिजीज तेजी से बढ़ रही है। भारत में हार्ट डिजीज से हाेने वाली मौतें पिछले तीन दशक में दोगुनी हो गई हैं।

हार्ट सर्जन और मुंबई स्थित एशियन हार्ट इंस्‍टीट्यूट के प्रमुख डॉक्‍टर रमाकांत पांडा बताते हैं कि भारत में कुल जितनी मौतें होती हैं, उनमें 1990 के दशक में लगभग 14-15% का कारण दिल की बीमारी थी, जाे अब लगभग दोगुना होकर 25% को पार गया है। आज हार्ट डे के मौके पर जानते हैं वो लक्षण जो दिल की बीमारी के शुरू में दिखाई देते हैं। साथ ही जानिए वो जरूरी उपाय जो हार्ट डिजीज का खतरा टाल सकते हैं।

हार्ट डिजीज के शुरुआती लक्षण जानिए-

पहला लक्षण- सीने में दर्द

हार्ट अटैक का सबसे बड़ा लक्षण है एंजाइमा यानी सीने में दर्द। सीने के बाएं तरफ दर्द हार्ट अटैक का शुरूआती संकेत हो सकता है। अगर आपको सीने में दर्द की समस्‍या हो रही है तो इसे हलके में बिल्‍कुल नहीं लेना चाहिए।

दूसरा लक्षण- बेवजह पसीना आना

अगर बिना वर्कऑउट या बिना कुछ काम किए ही आपको पसीना आने लगे और घबराहट हो तो सतर्क हो जाइए। इसका कारण यह हो सकता है कि आपका हार्ट खून को ठीक से पंप नहीं कर पा रहा है। बेवजह पसीना आना आपके लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

तीसरा लक्षण- सांस लेने में दिक्‍कत

हार्ट अटैक आने के पहले सबसे कॉमन परेशानी है सांस लेने में दिक्‍कत। इसे बेल्ट अराउंड चेस्ट या वेट ऑन चेस्ट भी कहा जाता है। अगर आपकाे भी छाती पर दबाव या बेचैनी महसूस होती है तो ये हार्ट अटैक का संकेत हाे सकता है। ऐसी समस्‍या आने पर आपकाे तुरंत डॉक्‍टर को कंसल्‍ट करना चाहिए।

चौथा लक्षण- उल्टी या चक्कर आना

अगर उल्‍टी आए या चक्‍कर महसूस हों तो कई बार हम इसे सीरियसली नहीं लेते। लेकिन इसे नजरअंदाज करना भारी भी पड़ सकता है, क्योंकि इसका कारण लो ब्‍लड प्रेशर भी हो सकता है, जो दिल की बीमारी का संकेत है।

पांचवा लक्षण- पैरों में सूजन

पैराें में सूजन आना भी एक आम बात लगती है, लेकिन इसका कारण हार्ट में ब्लड का सर्कुलेशन ठीक न होना भी हो सकता है। अगर आपके पैरों में सूजन आ रही है तो यह हार्ट की समस्‍या का संकेत हो सकता है। इसे गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है।

छठवां लक्षण- गले और जबड़े का दर्द

महिलाओं में हार्ट अटैक का प्रमुख लक्षण है गले या जबड़े में दर्द। जबड़े के पास जो नसें होती हैं वो हार्ट से निकलती हैं। यह दर्द थोड़ी- थोड़ी देर में होता है। महिलाओं को इस तरह की समस्‍याएं इग्नोर नहीं करनी चाहिए।

सातवां लक्षण- लगातार खर्राटे

यूं तो खर्राटों को हम बड़ी समस्‍या नहीं मानते। मगर खर्राटे भी हार्ट डिजीज का एक लक्षण है। अगर सोते समय पर्याप्त ऑक्सीजन न मिले तो खर्राटे आते हैं। इसलिए ज्‍यादा खर्राटे आना भी आपके लिए एक खतरे की घंटी साबित हो सकता है।

हार्ट डिजीज​​​​​​​ रोकने के लिए ये करें:

  • वजन को नियंत्रित रखिए
  • भोजन में फ्रूट्स लेना है फाएदेमंद
  • 7 घंटे की नींद है जरूरी

हार्ट डिजीज से बचने के लिए सबसे जरूरी है वजन कंट्रोल में रखना, 20 साल की उम्र के बाद अगर आपका वजन 10 किलो से ज्‍यादा बढ़ता लगे तो हार्ट का खतरा बढ़ना लगभग तय है। इसलिए रूटीन एक्‍सरसाइज बेहद जरूरी है। इसके अलावा भोजन में फ्रूट्स शामिल करना न भूलें। वहीं सात घंटे की नींद तो सभी को लेनी ही चाहिए। इससे हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है।

हार्ट डिजीज​​​​​​​ है तो ये अवश्‍य करें:

  • नियमित जांच कराएं
  • तनाव से दूर रहें

जिन्हें पहले से ही हार्ट डिजीज है उन्‍हें नियमित रूप से यह जांचें कोलेस्ट्रॉल, फास्टिंग ग्लूकोज, विटामिन डी, विटामिन बी12, इंसुलिन का स्तर, कोरोनरी कैल्शियम स्कोर, ब्लड प्रेशर करवाते रहना चाहिए। साथ ही तनाव भरे वातावरण से दूर रहें। शांत स्‍थान में वक्‍त बिताएं। खाना एक बार में खाने के बजाए थोड़ी- थोड़ी देर में ही खाएं। इससे हार्ट काे खतरा कम होता है।

अगर हार्ट अटैक हो जाए तो ये करें:

  • सीपीआर दें
  • डॉक्टर की सलाह पर ही एस्पिरिन लें

एमरजेंसी की स्थिति में सबसे कारगर उपाए होता है सीपीआर। अगर हार्ट अटैक से कोई बेहोश हो जाता है तो ऐसे समय पर पेशेंट को सीपीआर देना चाहिए। इसके लिए अपने दोनों हाथ पेशेंट की छाती के बीच में रखकर जोर और तेजी से दबाना पड़ता है। इस बात का ध्यान रखें कि बिना डॉक्टर की सलाह के एस्पिरिन लेने से बचें। यह घातक भी हो सकता है। क्योंकि कभी-कभी लोग एसिडिटी को हार्ट अटैक मानकर एस्पिरिन ले लेते हैं, ऐसे में स्टमक ब्लीडिंग हो सकती है।

 

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