बिहार नगर निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक,क्यों ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पटना हाईकोर्ट ने बिहार में होने वाली नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नियमों के मुताबिक तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन शर्तें पूरी नहीं कर ली जाती है. पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण के खिलाफ वाली याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित करने के बाद चुनाव कराए जाएंगे. राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले पर कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर मतदान की तारीख आगे बढ़ाना चाहते हैं तो बढ़ा सकते हैं.
224 नगर निकाय सीटों पर होगी चुनाव
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस.कुमार की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया.बताते चलें कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व में जारी चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक स्थानीय निकायों में पहले चरण की वोटिंग 10 अक्टूबर और दूसरे चरण की वोटिंग 20 अक्टूबर को होनी है.पहले चरण में जहां चुनाव होगा वहां पर मतगणना 12 अक्टूबर को दूसरे चरण का जहां पर चुनाव होगा वहां पर मतगणना 22 अक्टूबर को होना है. लेकिन, पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद इसपर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. बताते चलें कि बिहार के 224 नगर निकाय में 4875 वार्ड के लिए चुनावी कार्यक्रम होना है.चुनाव दो फेज में होने हैं.
क्यों लगी रोक
कोर्ट का कहना है कि नगर निकाय चुनाव में सरकार ने बगैर ट्रिपल टेस्ट के ईबीसी को आरक्षण दे दिया,जबकि आरक्षण देने के पूर्व राजनीति पिछड़ेपन वाली जातियों को चिन्हित किया जाना था.कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियमों के मुताबिक तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन शर्तें पूरी नहीं कर लेती.
हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों पर हो रहे मतदान को रोकने को कहा है. कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछड़ों के आरक्षण के लिए तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी नहीं की है. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल सीटों का 50% की सीमा से ज्यादा नहीं हो.
29 सितंबर को पूरी कर ली थी सुनवाई
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस मामले में जल्द सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा था. इसके बाद से ही यह कयास लगाये जा रहे थे कि आखिर हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला देगा. पिछले दिनों हाईकोर्ट ने आयोग को इस बात के लिए भी स्वतंत्र कर दिया था कि चल रही चुनाव प्रक्रिया को रोका जाये या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में सुनाया था फैसला
स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसला सुनाया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला बताया था उसमें उस राज्य में ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने को कहा था.