बिहार में नगर निकाय चुनाव स्थगित होने उम्मीदवारों के चेहरे पर दिखने लगी है मायूसी

बिहार में नगर निकाय चुनाव स्थगित होने उम्मीदवारों के चेहरे पर दिखने लगी है मायूसी

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श्रीनारद मीडिया, आनंद मिश्रा, बड़हरिया, सीवान

बिहार में नगर निकाय के तहत प्रथम चरण में 10 अक्टूबर को होने वाला बड़हरिया नगर पंचायत चुनाव स्थगित हो चुका है। विदित हो कि मुख्य पार्षद पद के नौ, उपमुख्य पार्षद पद के 12 व वार्ड पार्षद के 90 प्रत्याशियों ने चुनावी जंग में उतरकर चुनावी रफ्तार भी बढ़ा दिया था। नगर पंचायत क्षेत्र की जनता चुनावी बयार से ताराबोर हो चुकी थी। जैसे ही चुनाव की फिजां बनी वैसी ही हाईकोर्ट के आदेशानुसार अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव स्थगित करना पड़ा।

बड़हरिया नगर पंचायत के चुनावी मोड आने के बाद चुनाव स्थागित होने से प्रत्याशियों में काफी नाराजगी के साथ ही मायूसी स्पष्ट दिखने लगी है।अधिकांश प्रत्याशियों के प्रचार वाहन 25 सितंबर को सिंबल मिलने के बाद बड़हरिया नगर पंचायत के मीर सुरहियां से लेकर पचरुखिया टोला तक दिन में कई चक्कर भ्रमण करते नजर आ रहे थे। मुख्य पार्षद पद के प्रत्याशियों ने तो अपनी तमाम ताकतें झोंक रखी थीं।

चुनावी तरकश के तीर चलने लगे थे। उपमुख्य पार्षद पद के प्रत्याशी भी डोर टू डोर जाकर वोट मांगने में मशगूल थे। इसी बीच चुनाव स्थगित करने के सूचना ने उनकी तमाम उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। विदित हो कि चार अक्टूबर की दोपहर को हाई कोर्ट से चुनाव स्थगन के आदेश आने के बाद प्रत्याशियों और वोटर को इतबार नहीं हुआ। चार अक्टूबर को बीडीओ सह एआरओ प्रणव कुमार गिरि,सीओ सह एआरओ अनिल श्रीवास्तव,बीपीआरओ सह एआरओ सूरज कुमार, जेएसएस सह एआरओ कृष्ण कुमार मांझी के मोबाइल पर दिन भर घंटियां बजती रही व प्रत्याशी चुनाव स्थगन के मसले पर तरह-तरह के सवाल पूछते रहे व तहकीकात करते रहे।

आखिरकार समाचार पत्रों में खबर छपने के बाद लोगों को इत्मीनान हो सका कि अब निकट भविष्य में चुनाव नहीं होने वाला है।अलबत्ता चुनाव स्थगित होने की चर्चाओं के बीच भी कई प्रत्याशियों के प्रचार वाहन बड़हरिया बाजार सहित क्षेत्र में घूमते रहे। अब चुनाव स्थगित होने से प्रत्याशियों के चेहरे पर मायूसी है।

क्योंकि अधिकांश प्रत्याशिओं ने चुनाव प्रचार में अच्छा-खसा पैसे खर्च भी कर दिया था। उन्हें मलाल है कि फिर से तमाम चुनावी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा। प्रत्याशियों की संख्या घटने या बढ़ने पर सिंबल बदलने का खतरा है। प्रत्याशियों को अब पंपलेट, पोस्टर आदि बदलने पड़ेंगे।इस ऊहापोह  के बीच प्रत्याशी मायूस नजर आने लगे हैं।बहरहाल, चुनाव होने या नहीं होने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

 

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