जब मुलायम सिंह जी से मिलने के पहले मैं काफी सहमा हुआ था..
उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी के निधन पर याद आया उनसे प्रयागराज में मिलने का प्रसंग
बेहद सरल व्यवहार के थे नेताजी और कमाल की थी उनकी मेमोरी भी
एक संस्मरण;
✍️गणेश दत्त पाठक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बात 1994 की है। जब मैं इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में केपी इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट का छात्र था। इलाहाबाद के अल्लापुर मुहल्ले में इलाहाबाद डिग्री कालेज के वरिष्ठ व्याख्याता डॉक्टर किरण कुमार के घर में किराए पर रहता था। बगल में ही वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री रहे स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा जी का घर था। वहां रहने के दौरान स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा जी सहित उनके परिवारजनों के साथ गहरी घनिष्ठता हो गई थी। वर्मा जी के घर के कुछ बच्चे हम लोगों के साथ खेला करते थे। इसलिए वर्मा जी के घर पर सदैव आना जाना लगा रहता था। स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा जी से भी अच्छी जान पहचान हो चुकी थी।
एक दिन स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा जी ने शाम को बताया कि कल मुलायम सिंह जी मेरे घर पर आ रहे हैं तुम भी कल उनसे मिल लेना। उनकी बात सुनकर मैं थोड़ा सहम गया और बोल पड़ा कि वे गोली चलवाने वाले मुलायम जी। वर्मा जी भी मेरी इस प्रतिक्रिया पर चौंक पड़े और बोले तुम पहले नेता जी से मिलो वे बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं। मेरी उस तात्कालिक प्रतिक्रिया का कारण यह था कि उस समय के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह जी की छवि मेरे मानस में बेहद क्रूर व्यक्ति की थी। मुझे जानकारी थी कि अयोध्या में कारसेवकों पर उन्होंने गोली चलवा दी थी।
दूसरे दिन मुलायम सिंह जी दोपहर में जब बेनी प्रसाद वर्मा जी के घर पर पधारे तो बड़ा हुजूम उनके पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी आया था, तमाम अफसर और कुछ मंत्रीगण भी थे। करीब दो घंटे बाद स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा जी आए, हम उनके घर के बरामदे में ही उनके घर के परिवारजनों के साथ बैठे हुए थे। बेनी प्रसाद वर्मा जी बोले आओ गणेश, तुम्हे मुलायम जी से मिलवाते हैं।
जब उनके बाहर वाले कमरे में हम गए तो बेनी जी बोले आओ हमारे गोली चलवाने वाले मुलायम जी से मिलो। मैं तो डरा सहमा वहां पहुंचा ही था। उस पर बेनी जी की इस टिप्पणी ने मुझे और ज्यादा सहमा दिया।
लेकिन मुलायम सिंह जी मुस्कुराते रहे और सामनेवाले कुर्सी पर बैठने को कहा। कुल मिलाकर तकरीबन पांच मिनट उनसे वार्तालाप का मौका मिला। लेकिन वे तो बिलकुल सहज और संवेदनशील स्वभाव के दिख रहे थे। उस समय मैं भी किशोरवय था, ज्यादा कुछ राजनीतिक समझ नहीं थी। कुछ क्षण के उनके सद्व्यवहार ने मेरे दिमाग में जो उनकी नकारात्मक छवि थी, वह दूर हो गई थी। उन्होंने मुझे छात्र समझ कर काफी प्रेरित करनेवाली बातें कहीं और अंत में आशीर्वाद दिया। वह पांच मिनट की मुलाकात मेरे जेहन में ताजिंदगी रहेगी।
फिर 2007 में जब वे केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री थे, तब दूसरी बार मेरी मुलाकात उनके रक्षा मंत्री के चैंबर में हुई थी। उस समय मैं सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर चुका था। अपने एक घनिष्ठ मित्र के पिता, जो उस समय वरिष्ठ आईएएस अधिकारी थे, के साथ जाना हुआ। मुलायम जी अंकल से बात कर रहे थे और मेरी तरफ देख रहे थे। कुछ देर बाद उन्होंने बोला पहले शायद बेनी जी के घर पर यह लड़का मुझसे मिल चुका है। मैं आश्चर्यचकित था कि मात्र पांच मिनट की मुलाकात, उन्हें कई वर्ष बाद भी याद थी। कमाल की मेमोरी थी नेता जी की।
राजनीतिक स्तर पर उनकी प्रशंसा होती है, आलोचनाएं भी होती है । जो एक राजनीतिज्ञ व्यक्तित्व के लिए स्वाभाविक तथ्य भी है। लेकिन सत्य यह भी है कि मुलायम सिंह जी के निधन के साथ राजनीति के एक युग का भी अंत हुआ। प्रभु श्री राम से यहीं कामना है कि सौम्य, गंभीर राजनीतिज्ञ रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी की आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देकर परम् शांति प्रदान करें।
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