देश में हर हाल में नारी शक्ति का सम्मान जरूरी है
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कोई समाज कितना सभ्य है यह उस समाज में महिलाओं की स्वतंत्रता एवं सम्मान से परिलक्षित होता है। यह समय महिलाओं की आजादी का है। आधी आबादी को उनके अधिकारों से वंचित कर हम एक सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज की कल्पना हीं नहीं कर सकते। ईरान से होते हुए ….महिला आजादी का कारवां ….यूरोप में दस्तक देकर….अब भारत भी पहुंच चुका है।
…वैसे तो भारत के इतिहास में सावित्री नाम की महिला को प्राचीन समय में जितना अधिकार मिला था…उतना शायद आज किसी अत्यंत आधुनिक समाज की महिला के पास भी न हो। मंडन मिश्र की पत्नी भारती तो आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में पराजित कर चुकी थी।
…लेकिन भारत में आज भी कुछ कट्टरपंथी तत्व मौजूद हैं….जो महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित कर उनकी गरिमा के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश करते हैं। कदम-कदम पर महिलाओं का अपमान एवं उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए…कल माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने …पहली पत्नी की इच्छा के बिना एवं उसके पालन-पोषण में सक्षम न रहने की स्थिति में दूसरा विवाह करने पर रोक लगा दी।
माननीय न्यायालय ने बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि …ऐसा करना पहली पत्नी के साथ क्रूरता है…और यह कहीं से भी सभ्य समाज के लक्षण नही है। …वास्तव में माननीय न्यायालय का निर्णय महिला-शक्ति की एक बड़ी जीत है। सौभाग्य से आज करवा-चौथ है। आज महिलाएँ…अपने सुहाग की रक्षा के लिए एक कठिन व्रत रखती हैं।
महिलाओं की हर पूजा…..अराधना….का लक्ष्य वो स्वयं नहीं… उनका परिवार होता है। यहीं हमारी नारी-शक्ति है। महिलाओं के आत्मसम्मान के लिए ….आगे आकर…हमें स्वयं के सभ्य होने का प्रमाण प्रस्तुत करना चाहिए।
- (i) सकारात्मक आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों के माध्यम से महिलाओं के पूर्ण विकास के लिए वातावरण बनाना ताकि वे अपनी पूरी क्षमता को साकार करने में समर्थ हो सकें |
- (ii) राजनीतिक, आर्थिक, सामजिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और सिविल – सभी क्षेत्रों में पुरूषों के साथ साम्यता के आधार पर महिलाओं द्वारा सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की विधित: और वस्तुत: प्राप्ति |
- (iii) राष्ट्र के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में भागीदारी करने और निर्णय लेने में महिलाओं की समान पहुंच |
- (iv) स्वास्थ्य देखभाल, सभी स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, करियर और व्यावसायिक मार्गदर्शन, रोजगार, बराबर पारिश्रमिक, व्यावसायिक स्वास्थ्य तथा सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और सरकारी कार्यालय आदि में महिलाओं की समान पहुंच |
- (v) महलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव की समाप्ति के लिए विधिक प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण |
- (vi) महिलाओं और पुरूषों दोनों की सक्रिय भादीदारी और संलिप्तता के माध्यम से सामाजिक सेाच ओर सामुदायिक प्रथाओं में परिवर्तन लाना |
- (vii) विकास की प्रक्रिया में जेंडर परिप्रेक्ष्य को शामिल करना |
- (viii) महिलाओं और बालिका के प्रति भेदभाव और सभी प्रकार की हिंसा को समाप्त करना, और
- (ix) सभ्य समाज, विशेष रूप से महिला संगठनों के साथ साझेदारी का निर्माण करना और उसे सुदृढ़ बनाना।
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