कलाम सर को उनके अवतरण दिवस पर शत शत नमन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
“कहां से आए हो, बेटे? तनिक यहां आओ तो?”
संध्या-वंदन के समय शिवानन्द आश्रम से बाहर आकर स्वामी शिवानन्द महाराज ने भगवान भास्कर को भव से विदा लेते देखा…और मन हीं मन प्रणाम किया। ऋषिकेश की वेगवती भागीरथी अपने कल-कल नाद से वातावरण को और शीतल कर रही थी। सामने तट पर स्थित ऊंचे टीले पर एक युवक बड़ी उद्विग्न अवस्था में टहल रहा था। महर्षि ने पहले कौतूहल …एवं फिर संदेह की दृष्टि डाली। परम तपस्वी शिवानन्द महाराज … युवक की मनोदशा भांप गए। तत्काल आवाज दी।
“…यहां आओ तो।”
” …केरल से हूं, महाराज!” युवक मलीन स्वर में बोलकर सिर झुका लिया। व्यक्तित्व से तो अच्छा भला पढ़ा-लिखा लग रहा था।
“….ओहो, केरल से आए हो? अपने शंकराचार्य के घर के हो? फिर …तो आओ। आश्रम के अंदर चलो। धन्य भाग हमारे!” शिवानन्द जी शंकराचार्य को स्मरण कर भाव विभोर हो उठे। वह युवक झिझकते हुए..आश्रम के अंदर जाकर स्वामी जी के सामने बैठ गया।
“…तो ..यहां आने का प्रयोजन?”
…. एनडीए का इन्टरव्यू था, महाराज! मन में बड़ी लालसा थी, पायलट बनने की। घर के सारे गहने बेचकर …मुश्किल से आने का खर्च जुटा पाया। अब तो कुछ भी नहीं बचा। न घर लौटने का खर्च ..न हीं आत्मविश्वास! ऐसे में बड़ा बुरा ख्याल आया। ऐसे जीवन का क्या…..!” युवक की आँखें भींग गई।
“….बस इतनी सी बात!” शिवानन्द जी हंस पड़े लेकिन मन हीं मन परमात्मा को याद किया कि सही समय पर आश्रम से बाहर आए। नहीं तो शायद अनर्थ हो जाता।
“…मैं तुम्हें घर जाने का खर्च दे देता हूँ।” शिवानन्द जी उठने को हुए।
“….लेकिन महाराज! आप तो परम ग्यानी जान पड़ते हैं। तो बताइए न…मेरा सेलेक्शन क्यों नहीं हुआ? क्या कमी रही मुझमें?” वह युवक आत्मविश्वास बटोरकर पूछा।
…” ईश्वर ने तुम्हारे लिए कोई बड़ा पद सहेज कर रखा है, शायद। तभी तुम्हारा सेलेकशन नहीं हुआ।।” शिवानन्द जी …की जिह्वा पर सरस्वती विराजमान थीं, शायद।
….और आज अगर भारत वायुशक्ति है …तो इसकी आधारशिला उसी युवक ने रखी थी जिसे दुनिया…डा. ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम से जानती है। भारत के मिसाइल मैन! भारतराष्ट्र के मुकुटमणि, राष्ट्राध्यक्ष।
- यह भी पढ़े………
- हिन्दी में होगी MBBS कोर्स की पढ़ाई, अमित शाह ने किया हिंदी किताब का विमोचन
- ‘हिंदी थोपना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है’- CM स्टालिन
- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम करोड़ों लोगों के रोल मॉडल हैं,कैसे?