दीपावली आते ही कुम्हारों के चाक ने पकड़ी रफ्तार

दीपावली आते ही कुम्हारों के चाक ने पकड़ी रफ्तार

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

दिवाली का त्योहार आते ही कुम्हारों के दरवाजों की रौनक बढ़ गयी है। सीवान जिले के बड़हरिया प्रखंड में नूराछपरा, सिकंदरपुर, बहादुरपुर,खानपुर, कादिर गंज,पहाड़पुर, बड़सरा,धनाव, सुंदरी,सदरपुर,चांप कंहौली सहित दर्जनों ऐसे गांव हैं,जहां दीपावली उम्मीदें लेकर आती हैं। इन गांवों के कुम्हारों की उम्मीदों के चाक रफ्तार पकड़ लेते हैं।

यह दीगर बात है कि चाइनीज लाइट ने कुम्हारों के दीयों की रोशनी छीन ली है। इन दिनों महंगाई की मार से हर वर्ग के मिट्टी के दीपक बनाकर दूसरों के घरों को रोशन करने वाले कारीगर भी महंगाई की मार झेल रहे हैं। मिट्टी मंहगी हो चली और जलावन की कीमत आसमान छूने लगी है। ऐसे में उन्हें दीपक बनाना तो इन्हें महंगा पड़ ही रहा है, साथ ही इन दीयों के कद्रदान भी नहीं मिल रहे हैं। इसके पीछे की मुख्य वजह महंगाई ही है। एक तो मुफ्त में मिलने वाली मिट्टी महंगी हो गयी और ये मिट्टी दूर से मंगाना पड़ रहा है।

इधर ग्राहकों की अपनी परेशानी है। जितने ज्यादा मिट्टी के दीपक खरीदेंगे, उतना ज्यादा तेल लगेगा। इसलिए जो ग्राहक पहले ज्यादा मिट्टी के दीपक खरीद लिया करते थे, वही ग्राहक आज कुछ ही दीपक खरीद रहे हैं। प्रखंड के नूराछपरा के 65 वर्षीय अम्बिका पंडित बताते हैं कि दीये और मिट्टी के अन्य बर्तन बनाना उनका पैतृक पेशा है। उनके हाथ चाक पर घूमते-घूमते 50 साल गुजर चुके हैं।इस बार भी वे शिद्दत और लगन से दीये बना रहे हैं।

वे कहते हैं कि उनके दीयों के खरीदारों में कमी आयी है।वे कहते हैं कि बदलते वक्त के साथ मिट्टी के बर्तन बनाने पर मंहगाई का असर हुआ है। मंहगी मिट्टी और मंहगे जलावन के बीच मिट्टी के दीपक तैयार करने के लिए कारीगरों को काफी मेहनत करनी पड़ती है।यह एक व्यक्ति के वश के बाहर का काम है,इसमें पूरा दिनरात एक करता है तो समय पर दीये बन पाते हैं। अंबिका पंडित इसे बाजार में बेचना भी एक चुनौती मानते हैं।

वहीं 68 वर्षीय दशईं पंडित कहते हैं कि खरीदारों में कमी आने से उनका मनोबल भी डाउन हुआ है। वे कहते हैं कि दीये के डिमांड में भारी गिरावट आयी है। वहीं बहारन पंडित कहते हैं कि चाइनीज लाइट आने के बाद हमलोगों को खर्चा भी निकलना मुश्किल हो गयी है। पुश्तैनी पेशा है,मन नहीं मानता है।

वे कहते हैं कि दीपक बनाने की तैयारी एक माह पूर्व से करते हैं। लेकिन असमंजस की स्थिति बनी रहती है कि ग्राहक मिलेंगे या नहीं। अपने परिजनों के साथ दीपक बनाने में जुटे शिक्षक कृष्णा जी पंडित कहते हैं कि नए दौर में चीन के बने रेडीमेड दीयों ने रोजगार कम कर दिया है।

यह भी पढ़े

सतगुरु की महिमा है अनंत और अपरंपार-मनीष महाराज

रामनगर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद के वाराणसी आगमन पर बारी संघ के राष्ट्रीय महासचिव व भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्येन्द्र कुमार”बीनू”ने किया भव्य स्वागत

सीवान के सरयू नदी में उफान से आधा दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर पदस्थापित नवनियुक्त सीएचओ को किया गया प्रशिक्षित 

Leave a Reply

error: Content is protected !!