गोपियों के प्रेम के आगे उद्धव का ज्ञान गया हार-मनीष महाराज 

गोपियों के प्रेम के आगे उद्धव का ज्ञान गया हार-मनीष महाराज

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (सीवान)


सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के दीनदयालपुर बाजार के रामजानकी मंदिर में राधेकृष्ण की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा को लेकर चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के छठवें दिन अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक मनीष परासर महाराज ने गोपी-उद्धव संवाद की बड़ी मार्मिक प्रस्तुति से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रेम की कोई शानी नहीं है। गोपियों के प्रेम के आगे उद्धव का ज्ञान हार गया।

यह प्रसंग पं मनीष परासर महाराज ने सुनाते हुए स्वयं भावुक हो गये। उन्होंने उद्धव-गोपी संवाद और रुकिमणी-श्रीकृष्ण विवाह का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण मथुरा आ गए। गोकुल में गोपियां, गो, बाल और नंद बाबा -यशोदा कृष्ण के लिए व्याकुल थे। प्रतिदिन कृष्ण की राह देखते।

 

श्रीकृष्ण ने मित्र उद्धव से कहा कि मुझे ब्रज की याद सता रही है। तुम ब्रज जाकर ब्रजवासियों से मिलकर उनका कुशल क्षेम। उद्धव ब्रज पहुंचे तो राह में ब्रजवासी कृष्ण का इंतजार कर रहे थे। यशोदा पालने को झूला झूलाते मिली और गोपियां कृष्ण के स्वप्न सुना रही थीं। गोपियों से उद्धव ने कहा गोपियों कृष्ण के नाम से रोना बंद करो। भगवान का नाम जपना शुरू करो।

 

गोपियों ने कहा कि उद्धव तुम्हारा ज्ञान तुम्हारे पास रखो। हमारा तन कृष्ण है, मन कृष्ण है और रोम-रोम कृष्ण है। उद्धव हमारा एक मन था और वह कृष्ण के साथ चला गया। अब हम भगवान का भजन किस मन से करें, मन दस बीस नहीं है। उद्धव ने हर तरीके से गोपियों को ज्ञान का उपदेश देने का प्रयास किया।

 

लेकिन वे गोपियों को समझा पाने में विफल रहे।अलबत्ता गोपियों का प्रेम उद्धव के ज्ञान पर हावी हो गया और ज्ञान प्रेम से हार गया। प्रेम ज्ञान से बड़ा होता है। महाराज जी ने कहा कि प्रेम से भगवान को पाया जा सकता है। प्रेम ही पत्थर में भगवान देख सकता है। प्रेम से संसार को जीता जा सकता है।

कथा वाचक मनीष परासर महाराज ने कहा कि गोपियों की कृष्णभक्ति से श्रीकृष्ण इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गोपियों की चरण रज की वंदना की। इच्छा प्रकट करते हुए कहा कि मैं अगले जन्म में गोपियों की चरण रज से पवित्र वृंदावन की लता, औषधि, झाड़ी बनूं। इसके बाद श्रीकृष्ण -रुक्मिणी प्रसंग का वृतांत सुनाया गया। विवाह की सभी रस्में भजनों के माध्यम से प्रस्तुत की गईं। धार्मिक भजनों पर श्रद्धालु जमकर झूमे। महिला श्रद्धालुओं ने मंगल गीत गाए और जय जय श्री राधे की गूंज से वातावरण भक्तिमय था।

 

इस अवसर पर सदगुरू दयानंद स्वामी, मठाधीश दिनेश्वर भारती, पप्पू सिंह, राजेश चौधरी, धनंजय गुप्ता, संतोष सोनी,अजय मांझी,दिलीप प्रसाद, मुन्ना गिरि,राधा गिरि,राजेंद्र यादव,जयनारायण गिरि, कृष्णा सिंह, ईश्वरदयाल सिंह,पंकज गिरि,गोविंद रजक, अक्षयवर पाठक, रजनीश केशरी, सरोज पाठक सहित हजारों सुधि श्रोता और श्रद्धालु मौजूद रहे।

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