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गुप्त काल से अकबर के समय तक हुआ सिक्कों पर लक्ष्मी जी का मुद्रण,कैसे ? - श्रीनारद मीडिया

गुप्त काल से अकबर के समय तक हुआ सिक्कों पर लक्ष्मी जी का मुद्रण,कैसे ?

गुप्त काल से अकबर के समय तक हुआ सिक्कों पर लक्ष्मी जी का मुद्रण,कैसे ?

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केजरीवाल के बाद कांग्रेस की एंट्री; लक्ष्मी-गणेश के बाद आंबेडकर का सुझाव

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नोटों पर लक्ष्मी जी और भगवान गणेश का चित्र मुद्रित करने की मांग कर राजनीति को गर्मा दिया है। भाजपा और कांग्रेस ने इसे वाेटाें की सियासत बताते हुए केजरीवाल पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। ऐसा नहीं है कि धन की देवी लक्ष्मी जी का मुद्रण मुगल काल से पूर्व सिक्कों पर होता था। अकबर ने सिक्कों पर लक्ष्मी जी का मुद्रण बंद करा दिया था। यहां तक कि उससे पूर्व के शासकों ने भी ऐसा दुस्साहस नहीं किया था।

मुगल काल में भी जारी रहा मुद्रण

भारतीय मुद्रा के इतिहास पर नजर डालें तो भारत का स्वर्ण युग कहे जाने वाले गुप्त काल से लक्ष्मी जी का मुद्रण सिक्कों पर शुरू होने की बात मानी जाती है। वर्ष 1192 में दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान को मुहम्मद गौरी ने हरा दिया। उसने अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सत्ता सौंप दी, लेकिन लक्ष्मी जी का सिक्कों पर मुद्रण जारी रहा। इतिहासकार राजकिशोर राजे पुस्तक “हकीकत-ए-अकबर’ में लिखते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी, फिरोज तुगलक और सिकंदर लोदी ने भी सिक्कों पर लक्ष्मी जी के चित्र का मुद्रण जारी रखा। अकबर ने सिक्कों से लक्ष्मी जी को हटाकर कलमा का मुद्रण कराया।

रांगेय राघव की किताब में है जिक्र

रांगेय राघव की किताब “रांगेय राघव ग्रंथावली (भाग-10)’ में भी सिक्कों पर से भारत के नक्शे व लक्ष्मी जी को अकबर द्वारा हटाने का वर्णन मिलता है। अकबर ने लक्ष्मी जी का मुद्रण सिक्कों पर भले बंद करा दिया हो, लेकिन वर्ष 1604 में उसने भगवान श्रीराम व सीताजी पर चांदी का सिक्का जारी किया था। पांच अधेला के सिक्के पर देवनागरी लिपि में राम सिया अंकित किया गया था। स्वास्तिक व त्रिशूल वाले चार ग्राम वजन के सिक्के भी उसने जारी किए थे। यह सिक्के फतेहपुर सीकरी व आगरा स्थित टकसाल में ढाले गए थे।

राजाओं ने नहीं, व्यापारियों ने जारी किए थे सिक्के

भारत में ईसा से करीब 600 से 200 वर्ष पूर्व तक के पंचमार्क सिक्कों को सबसे प्राचीन माना जाता है। चांदी, कांसे व तांबे के बने इन सिक्कों पर कोई शेप नहीं होती थी। इन पर पेड़, मछली, यज्ञ वेदी, मोर, हाथी, बैल, शंख चित्रित हैं। इन्हें राजाओं के बजाय व्यापारियों द्वारा जारी किया माना जाता है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की ओर से नोट पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर की मांग किए जाने के बाद इस पर सियासत तेज हो गई है। अब इसमें कांग्रेस की भी एंट्री हो गई है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने केजरीवाल को जवाब देते हुए पूछा है कि नए सीरीज के नोटों पर आंबेडकर की तस्वीर क्यों ना हो? उन्होंने सुझाव दिया कि नोट पर एक तरफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर हो तो दूसरी तरफ संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव आंबेडकर की तस्वीर होनी चाहिए।

मनीष तिवारी ने अरविंद केजरीवाल की ओर से नोट पर ‘लक्ष्मी गणेश’ की तस्वीर की मांग किए जाने की न्यूज को शेयर करते हुए पहले तो आम आदमी पार्टी के संयोजक से सवाल किया और फिर सुझाव दिया। मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, ”नए सीरीज के नोटों पर डॉ. बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीर क्यों ना हो? एक तरफ महान महात्मा गांधी और दूसरी तरफ डॉ. आंबेडकर। अहिंसा, संविधानवाद और समतावाद एक का अद्वितीय साथ जो आधुनिक भारतीय प्रतिभा को प्रदर्शित करेंगे।”

गौरतलब है कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को केंद्र सरकार और पीएम मोदी से मांग की कि नए नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर लगाई जाए। उन्होंने भरोसा जताया कि ऐसा करने से भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी और डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट थम जाएगी। इंडोनेशिया का उदाहरण देते हुए केजरीवाल की ओर से दिए गए इस सुझाव पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने पलटवार किया। दोनों दलों ने कहा कि गुजरात चुनाव की वजह से केजरीवाल हिंदुत्व कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं।

 

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