रघुनाथपुर में महिलाओं ने भाईयाें के लंबी उम्र के लिए गोबर से बने गोधन को कूटा
बिहार में भाइयों की रक्षा व मंगलकामना के लिए बहने देती है श्राप
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)
हमारे संस्कृति में ऐसे तो सभी पर्व और त्योहार मनाने की अलग-अलग परंपरा है, लेकिन बिहार में भैयादूज के दिन भाइयों की मंगलकामना के लिए गोधन कूटने की अनोखी परंपरा है।
कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले पर्व भैयादूज का दिन इन क्षेत्रों में ‘गोधन’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहन अपने भाइयों को ‘शाप’ (श्राप) देकर उनकी मंगलकामना करती हैं। मान्यता है कि इस शाप से भाइयों को मृत्यु का डर नहीं होता।
गोधन के मौके पर बहन द्वारा भाइयों को जी भर कर कोसा जाता है और गालियां दी जाती है, यहां तक की भाइयों की मृत्यु हो जाने का भी शाप दिया जाता है। इस क्रम में ‘रेंगनी’ (एक प्रकार का पौधा) के कांटों को बहनें अपनी जीभ में चुभाती हैं। इस क्रिया को ‘शापना’ कहा जाता है।
कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन किया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा का ये पर्व 26 अक्टूबर को मनाया गया लेकिन कही 27 अक्टूबर को भी मनाया जा रहा है. मनुष्यों के द्वारा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए गोवर्धन का ये पर्व मनाया जाता है।
इस दिन गिरिराज यानी गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन अन्नकूट का भोग लगाने की परंपरा है। इस दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और पशुधन की आकृति बनाई जाती है और विधि-विधान से पूजा की जाती हैं। कहा जाता है कि गोवर्धन पूजा की कथा द्वापर युग से जुड़ी हुई है।
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