मोरबी जैसे पुल देश में एक नहीं कई हैं, इन्हें लगातार देखरेख की पड़ती है जरूरत
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पीएम नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के मोरबी में हुए हादसे से हर कोई दुखी है। ये हादसा एक सस्पेंशन ब्रिज के टूट जाने से हुआ है। ये ब्रिज ब्रिटिश काल का था। इसकी लंबाई करीब 754 फीट (230 मीटर) थी। ये हादसा पुल पर संख्या से अधिक लोगों के आ जाने की वजह से हुआ। बता दें कि ये ब्रिज केबल से बंधा हुआ था।
दरअसल, देश में दो तरह के संस्पेशन ब्रिज हैं। एक जिन्हें केबल स्टे ब्रिज कहा जाता है, दूसरे जो लोहे के ढांचे से बने होते हैं जैसा हुगली ब्रिज है। मोरबी में जिस पुल पर हादसा हुआ है वो ब्रिज केबल के जरिए जुड़ा हुआ था। इस तरह के ब्रिज लोगों के आने जाने पर हिलते भी हैं। इस तरह के ब्रिज की लगातार देखरेख बेहद जरूरी होती है। मोरबी में जिस पुल पर हादसा हुआ है वो एक सप्ताह पहले ही मरम्मत के बाद खोला गया था।
देश में हैं कई सस्पेंशन ब्रिज
देश में मोरबी का सस्पेंशन ब्रिज इकलौता ऐसा ब्रिज नहीं है, बल्कि इस जैसे 600 से अधिक ब्रिज हैं। इनमें से कुछ पर हो सकता है आप भी कभी गए हो। देश का सबसे लंबा संस्पेशन ब्रिज उत्तराखंड के डोबरा से चंटी के बीच बना हुआ है। ये ब्रिज करीब 725 मीटर लंबा है। है। ये ब्रिज टिहरी को प्रतापनगर से जोड़ता है। इस सस्पेंशन ब्रिज से पांच घंटे की दूरी को केवल डेढ़ घंटे में पूरा किया जा सकता है। विद्या सागर सेतू कोलकाता को हुगली से जोड़ता है, करीब 457 मीटर लंबा है। ये ब्रिज 1992 में बनाया गया था। हर रोज इस ब्रिज से हजारों की संख्या में वाहन गुजरते हैं।
राम और लक्ष्मण झूला भी है सस्पेंशन ब्रिज
देश में इनसे भी पुराने सस्पेंशन ब्रिज मौजूद हैं। इनमें से एक हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित है। व्यास नदी पर बना ये ब्रिज 1877 में बनाया गया था। ये यहां पर विक्टोरिया ब्रिज के नाम से जाना जाता है। इसी तरह से केरल का पुनालुर ब्रिज भी इसी दौरान बनाया गया था। ये ब्रिज 122 मीटर लंबा है। उत्तराखंड के ऋषिकेष के लक्ष्मण झूला को भला कौन नहीं जानता है। 1929 में गंगा नदी पर बना ये पुल आज भी यहां के प्रमुख पुलों में गिना जाता है।
ऋषिकेष में ही 1986 में राम झूला के नाम से एक और सस्पेंशन ब्रिज बनाया गया था, जो करीब 228 मीटर लंबा है। दुनिया के सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज की बात करें तो ये अमेरिका के मिशीगन में Boyne Falls के नाम से जाना जाता है। 1200 फीट लंबा ये ब्रिज पहाड़ों के बीच एक सुंदर नजारा भी पेश करता है।
गुजरात के मोरबी जिले में रविवार शाम करीब 6.30 बजे मच्छू नदी पर बना केबल पुल टूट गया। हादसे के वक्त पुल पर 300 से अधिक लोग मौजूद थे। 233 मीटर लंबा यह पुल करीब सौ वर्ष पुराना था। हादसे में 132 लोगों के मरने की आशंका है। हालांकि प्रदेश सरकार के मंत्री ब्रजेश मेरजा ने 60 लोगों के मरने की ही पुष्टि की है जिनमें अधिकांश महिलाएं एवं बच्चे हैं। करीब 50 लोग लापता हैं और लगभग 170 लोगों को बचा लिया गया है। इस घटना के बाद वहां के प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी सामने आए हैं तो वहीं राजनीति भी उफान पर है।
- अहमदाबाद से 200 किलोमीटर दूर स्थित केबल पुल कल शाम 6.42 बजे उस समय ढह गया जब छठ पूजा के सिलसिले में 300 से ज्यादा लोग वहां मौजूद थे।
- जानकारी के अनुसार नदी के पानी में अब भी करीब 100 लोगों के फंसे होने की आशंका है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कई लोगों को पानी में संघर्ष करते हुए देखा गया।
- सुबह तक 130 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। वहीं, करीब 177 लोगों को बचा लिया गया है और 19 लोगों का इलाज चल रहा है। जानकारी के अनुसार हादसे के बाद से सेना, नौसेना, वायु सेना, एनडीआरएफ, फायर ब्रिगेड तलाशी अभियान चला रही है।
- गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी की सीएम ने अहमदाबाद से रवाना होते हुए कल ही एक हाई पावर कमेटी का गठन कर दिया है। विभिन्न स्थानों पर तैनात सभी अधिकारियों को सुबह दो बजे तक इस घटना में रिपोर्ट करने को कहा गया है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस घटना पर दुख जताया है।
- मोरबी में केबल ब्रिज लगभग 150 साल पुराना और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल माना जाता है। करीब 7 महीने के लिए इस पुल को नवीनीकरण के लिए बंद कर दिया गया था। यह हाल ही में पांच दिन पहले 26 अक्टूबर को दोबारा खोला गया था। बता दें कि पुल तक पहुंचने के लिए 17 रुपये का टिकट भी था।
- प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पुल पर कुछ लोग अन्य लोगों को डराने के लिए कूद रहे थे और उसे हिलाने के लिए पुल के बड़े-बड़े तारों को खींच रहे थे जो हादसे की वजह बना।
- हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दुख जताया। पीएम ने कहा कि मोरबी में हुई त्रासदी से मुझे गहरा दुख हुआ है। पीएम ने इसको लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से बात की और राहत और बचाव अभियान तेज करने को कहा। पीएम ने इसी के साथ प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख की अनुग्रह राशि की घोषणा की।
- दूसरी ओर राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले पुल गिरने से कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने इस त्रासदी के लिए भाजपा पर निशाना साधा।
- कांग्रेस और आप ने इस घटना की जांच कराने की मांग की है। आप की आतिशी ने कहा कि अभी राहत और बचाव पर ध्यान देने की जरूरत है लेकिन जवाबदेही तय करने की भी जरूरत है।
- एक निवासी ने बताया कि इस घटना ने 1979 की मच्छू बांध त्रासदी को याद दिला दिया, जब बाढ़ के कारण हजारों स्थानीय निवासियों की मौत हो गई थी।
- बता दें कि केबल पुल का निर्माण सर वाघजी ठाकोर ने करवाया था। उन्होंने 1922 तक मोरबी पर शासन किया था और वह औपनिवेशिक प्रभाव से प्रेरित थे। उन्होंने उस समय दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस (तत्कालीन राजसी निवास) से जोड़ने के लिए उक्त पुल का निर्माण कराया था।
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