भगवान के प्रति आदर और प्रेम का नाम भारत है- जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी 

भगवान के प्रति आदर और प्रेम का नाम भारत है- जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी

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14 जनवरी 2025 को राम जी की सबसे उँची प्रतिमा का अनावरण होगा- जगदगुरू रामभद्राचार्य जी।

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

सनातन संस्कृति समागम अहरौली, बक्सर में चल रहे अध्यात्मिक- साहित्यिक और सांस्कृतिक समारोह में शनिवार को जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने राम सापेक्ष राष्ट्रवाद की चर्चा की। उन्होंने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि राम भारत के अध्यात्म में है, राम भारत की आत्मा व परमात्मा है। जब हम राष्ट्रगान जन गण मन अधिनायक जय हे गाते है तो उसमें अधिनायक ‘राम’ है और शुभ आशिष मांगे बोलते हैं तो यह राम जी से आशीष मांगते हैं। गाहे जब जय गाथा गाते है तो वह राम जी की गाथा है। पूरे राष्ट्रगान में सात बार ‘जय हे’ का उच्चारण होता है। यह रामचरितमानस के सात कांडों की जय होती है। सात द्वीपों में राम जी की जय होती है।

विदित हो कि रामानंद संप्रदाय में अब तक छह गुरु हुए हैं इनसे पाँच गुरु दक्षिण भारत से थे, रामभद्राचार्य जी ही अकेले उत्तर भारत के संत है। आगे उन्होंने कहा कि 14 जनवरी 2025 को राम जी की सबसे ऊंची प्रतिमा का बक्सर में उद्घाटन होगा। यह 14 जनवरी मेरे जन्मदिवस का 76 वां वर्षगांठ होगा। इस अवसर पर नौ दिवसीय राम कथा होगी।

आप यह जान लें कि वर्ष 2024 में फिर मोदी की सरकार आएगी और नरेन्द्र मोदी जी इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे। आज मैं इसकी भविष्वाणी करता हूं क्योंकि कथा मेरे जीवन का अधोसाय है, व्यवसाय नहीं है। मैंने दिवयांगो के लिए चित्रकूट में जिस विश्वविद्यालय स्थापना की है उसमें केजी से लेकर पीजी तक के पढ़ाई की व्यवस्था है। मैं भूत में नहीं कौशल्या के पूत में विश्वास करता हूं,क्योंकि शंका भूत लंका डायना। आगे रामभद्राचार्य जी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को 24 घंटे में से एक घंटे का समय देश के लिए निकालना चाहिए,इससे हमारा देश 10 वर्ष में विकसित हो जाएगा।

हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी महात्मा गांधी का बहुत नाम लेते हैं उनके प्रिय भजन रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम राम जी का नाम आया है जो रामचरितमानस के विभिन्न कांडों से लिया गया है।इसमें रघुपति बालकांड से, राघव उत्तर कांड व किष्किंधा कांड से, राजाराम बालकांड से, पतित पावन उत्तरकांड से और सीताराम बाल कांड से लिया गया है।

ऐसे में संसद द्वारा बहुमत से पारित कराकर रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर देना चाहिए,क्योंकि विश्व की सभी समस्याओं का निदान रामचरितमानस में निहित है।

इस मौके पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पूरे कथा के दौरान उपस्थित रहे।
जबकि सनातन संस्कृति समागम में शनिवार के मुख्य आकर्षण केरल के राजपाल गंगा प्रसाद रहे, जिन्होंने इस प्रकार के आयोजन की भूरि- भूरि प्रशंसा की।

संध्या समय होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लाखों की भीड़ इस समारोह को महोत्सव में बदल दिया है।

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