बच्चा कमजोर तो गुरुजी की लगेगी क्लास,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
स्कूलों में पढ़ने वाला कोई भी बच्चा यदि किसी विषय को ठीक से पढ़ और समझ नहीं पा रहा है तो इसके लिए सिर्फ बच्चा ही नहीं बल्कि पढ़ाने वाला शिक्षक भी जिम्मेदार होगा। ऐसे में बच्चों के लिए जहां विशेष कक्षाएं आयोजित होंगी, वहीं जिस भी कक्षा के आधे से ज्यादा बच्चों के सीखने की क्षमता (लर्निंग आउटकम) तय मानकों के नीचे होगी उनमें संबंधित विषय को पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी पढ़ाने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नया मॉनीटरिंग सेंटर
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत बनाने में जुटा शिक्षा मंत्रालय इसके लिए देश भर में एक मजबूत तंत्र खड़ा करने की तैयारी में जुटा हुआ है। शिक्षा मंत्रालय ने इसके तहत देश भर के सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डाइट) में विद्या समीक्षा केंद्र ( वीएसए) के नाम से एक नया मॉनीटरिंग सेंटर भी स्थापित करने जा रहा है। जिसका माडल एनसीईआरटी ने विकसित कर लिया है। साथ ही सभी राज्यों से अपने डाइट के भीतर ऐसा ही मॉनीटरिंग सेंटर विकसित करने का सुझाव दिया है।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह ऐसा सिस्टम होगा, जिसके जरिए जिले के प्रत्येक सरकारी स्कूल के प्रदर्शन पर सीधी नजर रखी जाएगी। जो पूरी स्कूली शिक्षा में अलग-अलग स्तरों पर बनाए गए लर्निंग आउटकम के मानकों के आधार पर स्कूलों की गुणवत्ता को परखेगा। साथ ही जरूरत के मुताबिक उन्हें ऐसे सभी विषयों और क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण की सुविधा मुहैया कराएगा, जो उनके लिए जरूरी होगी। इस बीच डाइट के बजट व मैनपावर दोनों को बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निर्देश के बाद उठाया गया कदम
खाली पदों को तुरंत भरने के लिए भी कहा गया है। डाइट को सशक्त बनाने का यह कदम केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निर्देश के बाद उठाया गया है। उनका मानना है कि मंत्रालय के स्तर पर प्रत्येक स्कूल के प्रदर्शन को नहीं जांचा जा सकता है। ऐसे में डाइट को इस मोर्चे पर लगाया गया है। वैसे भी देश भर में मौजूदा समय में करीब 15 लाख स्कूल है। इनमें से दस लाख से ज्यादा सरकारी स्कूल है। मौजूदा समय में डाइट के पास प्राथमिक शिक्षकों से जुडे एक या दो कोर्सों के संचालन के साथ स्कूली शिक्षकों के प्रशिक्षण से जुड़ा काम है।
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में निपुण भारत के तहत स्कूली शिक्षा के लर्निंग आउटकम के नए मानक तैयार किए है। जो अभी सिर्फ तीसरी कक्षा के स्तर पर तैयार किया है। जिसमें स्कूलों में पढ़ाई जाने वाले सभी 20 भाषाओं के पढ़ने व संख्या ज्ञान को लेकर मानक तैयार किए है। इसके तहत छात्र को किस भाषा में एक मिनट में किसने शब्द पढ़ने चाहिए इसका मानक भी तैयार किया गया है। जिसमें तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे के लिए न्यूनतम मानक हिंदी में एक मिनट में 35 से अधिक शब्द पढ़ाना आना चाहिए।
दिव्यांग बच्चों की स्थिति सुधारने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा दी जाएगी। चलने-फिरने में असमर्थ बच्चों को घर के नजदीक विद्यालय में नामांकन कराने के साथ गृह आधारित शिक्षा दी जाएगी। स्पेशल एजुकेटर शिक्षक सप्ताह में एक दिन बच्चों के घर पर पहुंचकर पढ़ाएंगे। इसके साथ ही जरूरत के अनुसार फिजियोथिरेपिस्ट की मदद से सहयोग प्रदान करेंगे। इसके लिए दिव्यांग बच्चों में शिक्षण सामग्री (होम बेस्ड एजुकेशन किट) का वितरण हो रहा है।