पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में ABVP की क्यों हुई हार ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार के पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पांच में से चार पदों पर जदयू ने अपना कब्जा कर लिया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने रविवार को छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि छात्रसंघ चुनाव का परिणाम यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश आज भी छात्रों में पॉपुलर हैं. इधर, छात्र संघ के चुनाव में एवीबीपी की करारी हार पर संगठन में बवाल मच गया है. छात्र संघ से जुड़े नेताओं ने इसके लिए संगठन प्रभारी को कठघरे में खड़ा कर दिया है.उनपर जात- पात और पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रत्याशियों के बीच आपसी समन्वय नहीं था. इसके कारण हम लोग यह चुनाव हार गए.
ABVP छात्रसंघ का क्यों हार गई चुनाव
पटना विश्वविद्यालय में ABVP की सबसे ज्यादा पकड़ है. इसके बावजूद संगठन को पांच में से मात्र एक सीट (महासचिव) मिला. इसके बाद संगठन में इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर संगठन क्यों पटना विश्वविद्यालय में चुनाव हार गई ? संगठन से जुड़े छात्र इसको लेकर काफी आक्रोशित भी हैं.
उनका कहना है कि हम इसदफा अपनी गलती के कारण चुनाव हार गए. प्रगति समेत प्रदेश के अन्य पद पर खड़े प्रत्याशी पर सवाल खड़ा करते हुए प्रदेश संगठन मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि हर किसी को पता है कि बिहार में जातिगत समीकरण के आधार पर वोटिंग होता है. फिर पार्टी ने अपने परपंरागत वोटर (भूमिहार) को छोड़कर प्रगति को किस आधार पर प्रत्याशी बनाया.
बताते चलें कि पटना विश्वविद्यालय में भूमिहार और यादव वोटरों की सबसे ज्यादा वोटर हैं. लेकिन, एवीबीपी ने उनको प्रत्याशी नहीं बनाया. छात्र नेताओं का कहना है कि आखिर क्यों? क्या एवीबीपी में इन दोनों जाति के छात्र नेता नहीं थे या फिर संगठन में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए एकतरफा फैसला किया गया.
ABVP के प्रत्याशियों में नहीं दिखा समांजस्य
छात्र नेताओं का कहना है कि पांच पदों पर चुनाव लड़ रहे जदयू के सभी प्रत्याशी एक साथ चुनाव प्रचार कर रहे थे.जबकि ABVP में इसका घोर अभाव दिखा. जदयू के सभी प्रत्याशी जहां एक साथ प्रचार करते दिखे वहीं ABVP सभी प्रत्याशी अलग- अलग चुनाव प्रचार कर रहे थे. ABVP में हर कोई अपने लिए प्रचार कर रहा था . जबकि जदयू के प्रत्याशी पांच पद पर खड़े अपने सभी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार कर वोट मांग रहे थे.
धन बल में पीछे रह गई ABVP
ABVP के प्रत्याशी धनबल में पीछे रह गए. जबकि जदयू प्रत्याशियों ने चुनाव में नामांकन के बाद से ही कॉलेज और छात्रावास के सामने लगने वाले गोलगप्पा और मोमो के सभी के लिए फ्री कर दिया था. जबकि ABVP प्रत्याशी यहां पर पिछड़ गए. यह भी एक बड़ा कारण रहा कि पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ का ABVP चुनाव हार गई.
बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद जनता दल यूनाइटेड की ताकत लगातार बढ़ रही थी, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में बाजी पलट गई। 2015 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने फिर से मजबूती हासिल की, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई। लेकिन, पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में जीत ने जदयू के हौसले बुलंद कर दिए हैं।
नीतीश कुमार जताते रहे हैं अपना दर्द
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर सार्वजनिक मंचों से यह दर्द बयां करते रहे हैं कि नई पीढ़ी को उनके कार्यकाल के दौरान बिहार में आए बदलावों के बारे में ठीक तरीके से बताया नहीं जा रहा है। युवाओं को यह नहीं पता कि उनके सीएम बनने से पहले और अब के हालात में क्या बदलाव आया है। लेकिन, पटना यूनिवर्सिटी की जीत के बाद उनकी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि युवा वर्ग नीतीश कुमार को ही अपना नेता मानता है।
जदयू की जीत इस तरह से अहम
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में छात्र जदयू के अलावा छात्र राजद, बीजेपी से जुड़ी एबीवीपी, कांग्रेस से जुड़ा एनएसयूआइ सहित कई संगठन मैदान में थे। लेकिन, केंद्रीय पैनल की पांच में से चार सीटें जदयू ने अकेले कब्जा लीं। बिहार की सरकार में जदयू के सहयोगी, राजद, कांग्रेस और वाम दलों से जुड़े छात्र संगठन पुसु चुनाव के लिए केंद्रीय पैनल में खाता तक नहीं खोल सके। अलबत्ता विरोधी दल भाजपा से जुड़ी एबीवीपी को एक सीट जरूर मिल गई।
2018 में भी जदयू को मिली थी जीत
पुसु चुनाव में छात्र जदयू समर्थित उम्मीदवार ने अध्यक्ष पद पर दूसरी बार सफलता मिली है। इससे पहले वर्ष 2018 में मोहित प्रकाश को सफलता मिली थी। तब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक रणनीति से चुनाव में सफलता अर्जित की थी। उस समय भी पूर्व विधान पार्षद व बीएन कालेज के प्राध्यापक डा. रणवीर नंदन सहयोगी रणनीति की भूमिका में थे।
रणवीर नंदन की टीम में ये रहे सक्रिय
इस बार वह मुख्य भूमिका में आने के बाद उनके सहयोग के लिए पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में युवा जदयू के अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज, जदयू प्रवक्ता अन्नू प्रिया पटेल, छात्र जदयू के अध्यक्ष नीतीश पटेल, पूर्व छात्र संघ कोषाध्यक्ष कोमल कुमारी विशेष रणनीति के तहत कालेज के साथ-साथ छात्रावास में अपनी पैठ बढ़ाते हुए जीत को सुनिश्चित किया।
2021 से ही चल रही थी तैयारी
इसके लिए सभी आठ-नौ महीने से कार्य पर जुटे थे। पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2021 में ही कराने की तैयारी चल रही थी, लेकिन शैक्षणिक सत्र विलंब होने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन ने चुनाव विलंब से कराने का फैसला लिया। इसके बाद से ही छात्र जदयू अपनी टीम के साथ रणनीति बनाकर कार्य किया और कैंपस में अपनी स्थिति मजबूत कर लिया।
युवाओं के असली हीरो नीतीश कुमार: जदयू
जदयू के प्रदेश सचिव रंजीत कुमार झा ने रविवार को कहा कि पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में जदयू समर्थित उम्मीदवारों की जीत ने यह साबित किया है कि आज भी विद्यार्थियों और युवाओं के असली हीरो नीतीश कुमार हैं। युवा वर्ग नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व पर पूर्ण भरोसा रखता है। रंजीत ने कि इस जीत के लिए वह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के प्रति भी आभार प्रकट करते हैं। उनके नेतृत्व में संगठन हर स्तर पर मजबूत हुआ है।
उमेश कुशवाहा ने जदयू की नीतियों पर बताया मुहर
जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा है कि पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में चार पदों पर जदयू से जुड़े साथियों की जीत ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि युवा वर्ग जदयू के सिद्धांतों के साथ है। यह जीत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता का प्रमाण है। जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो काम किए हैं, उसके प्रति लोगों का झुकाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। प्रदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति लगाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है।
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