चहक कार्यक्रम से बदल रहा है विद्यालयीय परिवेश, बच्चों की संख्या में  हुई है वृद्धि

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श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

सीवान जिला के बड़हरिया के तमाम प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में चहक कार्यक्रम का सकारात्मक प्रभाव के फलस्वरूप विद्यालयों में बच्चों का ठहराव बढ़ा है। जानकारों का कहना है कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए अबतक जितने शैक्षणिक प्रशिक्षण दिये गये हैं। उनमें चहक कार्यक्रम सबसे ज्यादा प्रभावकारी और कारगर साबित हो रहा है। बताया जाता है कि इसमें बच्चों को सोचने, समझने और स्वयं कुछ करने का मौका मिल रहा है।

चहक कार्यक्रम के तहत मुहैया किताब में रोचक कविताओं, कहानियों, विवरण, सन्दर्भ व चित्रों के द्वारा बच्चों में पढ़ने का और गणित की क्रियाओं का अभ्यास बढ़ने के साथ ही आसपास की दुनिया को नयी नज़र से देखने और उस पर अपनी राय बनाने की भी शुरुआत हुई है। अब बच्चों को स्कूल की किताबों के अलावा कुछ ऐसा मिलने लगा है जिसे पढ़कर बच्चे आनंदित दिख रहे हैं।

चहक कार्यक्रम बच्चों के सीखने की गति और स्तर दोनों ही बढ़ाने में उपयोगी और कारगर हो साबित हो रहा है।बच्चे अपने परिवेश से निरंतर कुछ न कुछ नया सीखने के प्रति उत्सुक दिखने लगे हैं। यह सकारात्मक बदलाव स्कूलों में नोडल शिक्षकों की मेहनत और निष्ठा का प्रतिफल है। बच्चों को अनेक प्रकार की सामग्रियां मिलने से उनकी सोचने और समझने की क्षमता बढ़ी है।चीजों को महसूस करने का स्वछन्द वातावरण मिलने से बच्चों में अप्रत्याशित प्रगति अचंभित करने वाली है।

अब बच्चे किताबों तक सीमित नहीं हैं, उन्हें रोचक सामग्रियां मुहैया करायी जा रही है,टीएलएम की सामग्रियों की उपलब्धता से उनके सीखने में अभ्यास की गहरायी बढ़ी है। खासकर पहली से तीसरी कक्षा के स्कूली बच्चे को सीखने का आनंददायक अवसर मिलने लगा है। इस तरह चहक कार्यक्रम से न केवल बच्चों विद्यालयों में ठहराव बढ़ा है,बल्कि बच्चों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी भी हुई है।अब बच्चे आनंददायी परिवेश में खेल-खेल में सीखने में लगे हैं।

बच्चों की खिलखिलाहट से विद्यालयीय परिवेश भी रोचक और सहज बन चुका है, जहां आने में बच्चे अब चिहक नहीं रहे हैं। बल्कि अन्य कक्षाओं के बच्चों से पहले ही छोटी कक्षाओं के विद्यालय में दाखिल हो जा रहे हैं। बड़हरिया प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शिवशंकर झा ने नोडल शिक्षकों की मेहनत और निष्ठा को सराहते हुए कहा कि विद्यालयों में हो रहे सकारात्मक बदलाव से शिक्षकों का खोया हुआ वैभव वापस आयेगा और अभिभावकों में शिक्षकों के प्रति श्रद्धा बढ़ेगी।

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