क्या भाजपा पसमांदा मुसलमान प्‍लान पर काम कर रही है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

क्‍या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2024 के लोकसभा चुनाव में पिछड़े मुस्लिम (पसमांदा मुसलमान) वोट बैंक में सेंध लगाने वाले हैं? जुलाई में हैदराबाद में बीजेपी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी में पीएम मोदी ने पसमांदा मुसलमानों को लेकर एक मंत्र दिया तो पार्टी में इसपर काम शुरू हो गया। उत्‍तर प्रदेश में इसके तहत आयोजित कार्यक्रमों को मिले समर्थन को देखते हुए पार्टी की नजर अब बिहार पर भी है। बिहार में जेडीयू से अलगाव के बाद बिगड़े राजनीतिक संतुलन को नए सिरे से साधने की कोशिश है। देश में समुदाय सामान्‍यत: बीजेपी के पाले में नहीं आया है। अब मुस्लिम आबादी का करीब 80 प्रतिशत पिछड़े (पसमांदा) मुसलमानों पर पार्टी की नजर है।

संविधान दिवस पर बीजेपी करेगी कार्यक्रम

बीजेपी ने उतर प्रदेश के बाद अब बिहार में भी संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर को पटना में कार्यक्रम आयोजित कर आर्थिक पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों एवं पिछड़े मुसलमानों के प्रतिभागियों को एक समूह के रूप में काम करने के लिए तैयार करने की रणनीति बनाई है।

बीजेपी से दूर माने जाते रहे हैं मुसलमान

मुसलमान, खासकर पिछड़े (पसमांदा) मुसलमान सामान्‍यत: बीजेपी से दूर माना जाता रहा है। आम मुसलमानों की नजर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौर की बीजेपी का हिंदुत्‍व अटल बिहारी वाजपेई के दौर से कड़ा है। ऐसे में मुसलमान खुद को हाशिए पर महसूस करते हैं। मुसलमान महागठबंधन के साथ जुड़े माने जाते हैं, जिसे अपने पाले में कर राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD), जेडीयू व कांग्रेस ने अपनी-अपनी सरकारें बनाईं। अब बीजेपी की नजर इस वोट बैंक पर है।

अब तक सरकारों ने नहीं किया विकास

संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के कर्ता-धर्ता बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता संजय पासवान कहते हैं कि पिछड़े मुसलमान कई साल से विकास से दूर हैं। उनकी मदद से सरकारें तो बनाई गईं, लेकिन उन्‍हें उनका वाजिब हक देने के वक्‍त सभी राजनीतिक दलों ने अभी तक किनारा काट लिया है। अभी तक किसी भी सरकार ने उनके विकास के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बीजेपी उनका विकास करेगी।

मुसलमानों से संवाद की राह पर पार्टी

स्‍पष्‍ट है, अभी तक दूर रहे इस वोट बैंक को बीजेपी अपने पास लाने की कवायद में है। इसके लिए वह संवाद की राह पर है। बीजेपी के प्रति मुसलमानों में प्रतिकूल धारणा बनाने में विपक्षी राजनीतिक दलों की भी बड़ी भूमिका रही है। इसकी काट में पार्टी संविधान दिवस के अवसर पर आयोजन कर रही है। पार्टी उनकी समस्याएं जानकर उन्‍हें दूर करने की नीति बना रही है। संजय पासवान बताते हैं कि पिछड़े मुसलमानों की बड़ी आबादी के पुरखे हिंदू थे। ऐसे लोग धर्मांतरण कर मुसलमान बने हैं। पासवान का मानना है कि इस कारण ऐसे लोग उनकी बातों को ठीक से समझ पाएंगे, ऐसी उम्‍मीद है।

बीजेपी की पहल पर गरमाई राजनीति

बीजेपी की इस पहल पर बिहार में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आ रहीं हैं। आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद के अनुसार कहते हैं कि बीजेपी के दिल में मुसलमानों के लिए नफरत है। अब चुनाव को लेकर बीजेपी की नजर पिछड़े मुसलमानों पर है, लेकिन मुसलमान सब समझते हैं। जेडीयू के विधान पार्षद खालिद अनवर के अनुसार बीजेपी की नजर में मुसलमानों की क्‍या अहमियत है, देश के मुसलमान खूब जानते-समझते हैं। ऐसे आयोजन से बीजेपी को कोई लाभ नहीं होगा।

वोट बैंक बनने को तैयार नहीं मुसलमान

पिछड़े मुसलमानों के लिए लंबे समय से लड़ाई में लगे पूर्व सांसद व आल इंडिया पसमंदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अली अनवर कहते हैं कि उनके समाज को केवल वोट बैंक समझा गया है। लेकिन अब पसमांदा समाज वोट बैंक बनने को तैयार नहीं है। पसमांदा मुसलमानों को विकास और हक चाहिए।

 

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