अंतराष्ट्रीय रेत कला उत्सव में भाग लेंगें चंपारण के लाल मधुरेन्द्र, चंपारण में हर्ष

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उत्सव में भाग लेने के लिए मोतिहारी के सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र का हुआ चयन

1 से 5 दिसम्बर तक ओडिशा के कोणार्क में चंद्रबग्घा समुन्द्र तट पर होगा यह आयोजन

श्रीनारद मीडिया, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण):

अंतराष्ट्रीय रेत कला उत्सव 2022 में भाग लेने के लिए चंपारण के लाल प्रख्यात युवा रेत कलाकार मधुरेन्द्र कुमार 12 वें ‘अंतराष्ट्रीय रेत कला उत्सव 2022’ में शामिल होने के लिए 30 नवंबर बुधवार को सुबह 9:45 बजे जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पटना से भुनेश्वर के लिए रवना हो गए।

1 से 5 दिसंबर तक कोणार्क के चंद्रबग्घा समुद्र तट पर आयोजित अंतराष्ट्रीय उत्सव में देश के लिए प्रतिनिधित्व करेंगे। भारत के अलावे अन्य देश के 18 से लेकर 50 वर्ष के आयु तक के सैंड आर्टिस्ट भाग ले रहें हैं। रवानगी से पूर्व बुधवार को सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने दूरभाष पर बताया कि इस बार कोविड-19 व अन्य जवलंत विषयों के अलावा ग्लोबल थीम पर आधारित कला का प्रदर्शन करेंगें। भारत के ओर से अन्य डेलीगेट आर्टिस्ट के अलावा बिहार से एकमात्र चंपारण से मधुरेन्द्र को निमंत्रण मिला हैं।

वह पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन बनकटवा प्रखंड क्षेत्र के बिजबनी गांव निवासी शिवकुमार साह व गेना देवी के पुत्र हैं। बता दे कि अंतर्राष्ट्रीय रेत कला उत्सव 2019 के विजेता रह चुके सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र कुमार लोकसभा चुनाव 2019, विधानसभा चुनाव 2020 व स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के ब्रांड एंबेसडर भी हैं।

इन्हें ओड़िसा सरकार के टूरिस्म डिपार्टमेंट के डायरेक्टर सह सचिव श्री विश्वजीत रौत्राय ने ईमेल के जरिये फेस्टिवल में प्रतिभागी के रूप में आमंत्रण पत्र भेजा हैं। मधुरेन्द्र कठिन मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के जरिये अपनी मूर्तिकला का पहचान विश्व पटल पर स्थापित की हैं।

प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ से बैचलर ऑफ फाईन आर्ट में मूर्तिकला विषय से डिप्लोमा की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। गौरतलब हो कि युवा सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र राज्य और राज्य के बाहर कई मेलों, महोत्सवों व सरकारी आयोजनों में सैंड आर्ट और पेंटिंग के नमूने प्रदर्शित कर चुका है। कला की बदौलत उसे राष्ट्रपति सम्मान व दर्जनों से ज्यादा कई पुरस्कार भी मिले हैं, जिससे विश्व पटल पर बिहार ही नही अपितु अपनी मातृभूमि हिंदुस्तान का मान-सम्मान बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहें हैं।

नेपाल के गढ़ी माई मेले में वह भारत -नेपाल के सांस्कतिक संबंधों पर आधारित बेटी-रोटी नामक कलाकृति प्रस्तुत कर चुके है। सैंड आर्ट में अब तक वह नशा का दुष्प्रभाव, मानव स्वास्थ्य, भारतीय नृत्य, महापुरुषों व देवी-देवताओं की प्रतिमाएं, नारी उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, गरीबी, बाल मजदूर, शोषण, धूम्रपान, पर्यावरण संरक्षण, बाल विवाह, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जल जीवन हरियाली बचाव, जंगली व जलीय जीवों को बचाने का संदेस, दहेज प्रथा, आतंकवाद, जनसंख्या नियंत्रण, कोरोना से बचने का संदेश व देश विदेश में घटित घटनाओं तथा कई ज्वलंत विषयों पर आधारित कलाकृतियां बना चुका है।

गौरतलब हो कि मधुरेन्द्र को पटना आर्ट कालेज ने 2011 में उसे पुरस्कृत किया था। इसके अलावा 2012 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उसकी सराहना की थी।भविष्य में ऊंचाई की सारी संभावनाएं लिए यह कलाकर अपने लक्ष्य की ओर बढता जा रहा है।

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