क्या मोबाइल आने के बाद हमारे बच्चे बदल गये हैं?

क्या मोबाइल आने के बाद हमारे बच्चे बदल गये हैं?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कुछ समय पहले खबर आयी थी कि लखनऊ में एक मां ने बेटे को मोबाइल फोन पर पब्जी खेलने से मना किया, तो उसने मां की गोली मार कर हत्या कर दी. यह घटना बताती है कि हम तकनीक के कितने बंधक हो गये हैं और उसके लिए किस हद तक जा सकते हैं. मुंबई में एक 16 वर्षीय बच्चे ने ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या कर ली थी. पुलिस के अनुसार बच्चा मोबाइल पर गेम खेल रहा था, तभी उसकी मां ने उसके हाथ से मोबाइल छीना और पढ़ाई के लिए कहा.
इस पर गुस्से में आकर बच्चे ने एक नोट लिखा और घर से चला गया. कुछ समय बाद जब मां घर पहुंची, तो उसने बच्चे की चिट्ठी देखी कि वह आत्महत्या करने जा रहा है. पुलिस तत्काल बच्चे की खोज में जुट गयी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मोबाइल की लत से बच्चों का सोना-जागना, पढ़ना-लिखना और खान-पान सब प्रभावित हो जाता है और वे बेगाने से हो जाते हैं. टेक्नोलॉजी ने उनका बचपन छीन लिया है.
अब बच्चे किशोर, नवयुवक जैसी उम्र की सीढ़ियां चढ़ने के बजाय सीधे वयस्क बन जाते हैं. शारीरिक रूप से भले ही वे वयस्क नहीं होते हैं, लेकिन मानसिक रूप से वे वयस्क हो जाते हैं. वे घर के किसी अंधेरे कमरे में हर वक्त मोबाइल अथवा कंप्यूटर में उलझे रहते हैं. अब खेल के मैदानों में आपको गिने-चुने बच्चे ही नजर आयेंगे. यह व्हाट्सएप की पीढ़ी है, यह बात नहीं करती, मैसेज भेजती है, लड़के-लड़कियां दिन-रात आपस में चैट करते हैं. इसके लिए कुछ हद तक माता-पिता भी दोषी हैं. उन्हें लगता है कि वे बच्चों को संभालने का सबसे आसान तरीका सीख गये हैं. दो-ढाई साल की उम्र के बच्चे को मोबाइल पकड़ा दिया जाता है और जल्द ही उन्हें इसकी लत लग जाती है.

Leave a Reply

error: Content is protected !!