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विश्व में विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है फाइलेरिया - श्रीनारद मीडिया

विश्व में विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है फाइलेरिया

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फाइलेरिया से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन
प्रशिक्षण के दौरान स्वउपचार के तरीक़े की दी गई विस्तृत जानकारी
प्रचार-प्रसार में तेज़ी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को सहयोग अपेक्षित: सिविल सर्जन

श्रीनारद मीडिया, किशनगंज (बिहार):

जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसको लेकर समुदाय स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में जिले के दफ्तरी पैलेस होटल में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने किया। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इससे बचाव के लिए हमें मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए।

घर के आस- साफ – सफाई रखना चाहिये। साल में एक बार फाइलेरिया और हाथी पॉव से बचाव के लिए दवा खिलाया जाता है। जो व्यक्ति स्वस्थ एवं योग्य हैं, उन्हें भी दवा जरूर खानी चाहिए। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 550 हाथी पाँव से ग्रसित रोगियों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया गया । उक्त कार्यक्रम में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम , डब्ल्यूएचओ (एनटीडी) के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार, केयर इंडिया के अम्लान त्रिवेदी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक मुनाजिन,जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, भिविड़ीसी सलाहकार अविनाश राय, भिविडी के प्रखंड समन्वयक (केटीएस) सहित कई अन्य अधिकारी मौजूद थे।

प्रचार-प्रसार में तेज़ी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को सहयोग अपेक्षित: सिविल सर्जन

प्रभारी सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए जन जागरूकता बहुत जरूरी है। इसके लिए प्रचार-प्रसार में तेज़ी लाने के लिए सहयोगी संस्थाओं का सहयोग अपेक्षित है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष में एक बार डोर टू डोर भ्रमण कर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा फाइलेरिया मुक्ति की दवा दी जाती है। बरसात के समय में अपने घरों के आस पास गंदा पानी इकठ्ठा नहीं होने दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें। क्योंकि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली गंभीर संक्रामक बीमारी है।

प्रशिक्षण के दौरान स्वउपचार के तरीक़े की दी गई विस्तृत जानकारी

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया कि फ़िलहाल जिले में 2071 फाइलेरिया मरीजों को चिन्हित किया गया हैं। जिसमें से 1570 लम्फोडिमा के और 501 हाईड्रोसील के मरीज हैं। इन्हीं मरीजों को स्वउपचार का तरीका बताया गया है। मालूम हो कि जिले में वर्ष 2016 के दौरान ट्रांसमिशन एसेसमेंट सर्वे (TAS) की शुरुआत की गई थी। इसी कारण प्रत्येक वर्ष सर्वजन दवा सेवन (MDA) का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार लिम्फोडिमा को 7 स्टेज में बांटा गया है। शुरुआती दौर में 12 स्टेज तक के मरीज को फिर से सामान्य अवस्था में लाया जा सकता है लेकिन स्टेज बढ़ जाने पर कभी भी यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती है।

विश्व में विकलांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है फाईलेरिया: डॉ दिलीप

डब्ल्यूएचओ (एनटीडी) के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार झा ने कहा कि फाइलेरिया एक कृमि के कारण होने वाला बीमारी है जो मच्छर के काटने से फैलता है। इसीलिए अपने-अपने घरों के आसपास पूरी तरह से साफ सफाई का ध्यान रखें। वर्ष में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा खाना जरूरी है। जिनको फाईलेरिया हो गया है, ऐसे मरीजों को स्वउपचार करना अत्यंत जरूरी है।
दो महीने के अंतराल पर एक सप्ताह तक के लिए तेज बुखार, विकलांग पैर में दर्द, पैर का लाल होकर, सूजन होना सहित कई अन्य तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है। हाइड्रोसिल वाले मरीजों में कई तरह की समस्याओं के अलावा यौन समस्यायें भी होती हैं। आर्थिक तंगी के कारण परिवार और समाज में दया का पात्र बनने पर मजबूर होना पड़ता है।

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