सुरक्षित गर्भपात को लेकर जीएमसीएच में 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू 

सुरक्षित गर्भपात को लेकर जीएमसीएच में 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू

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शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं प्रशिक्षित चिकित्सकों से ही कराएं गर्भपात: उप निदेशक
सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध: क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक
प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत सुरक्षित गर्भपात से संबंधित दी गई जानकारी: डॉ राजेश पासवान

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


मातृत्व और शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत चिकित्सकीय व्यवस्था को बेहतर करने के साथ-साथ विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थापित अप्रशिक्षित चिकित्सकों को सुरक्षित गर्भपात सेवा के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस क्रम में जीएमसीएच में 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ है। इस अवसर पर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक कैशर इक़बाल, क्षेत्रीय आशा समन्वयक प्रियंका कुमारी उपस्थित थी। प्रशिक्षक के रूप में स्थानीय जीएमसीएच के वरीय स्त्री रोग विशेषज्ञ सह नोडल अधिकारी डॉ राजेश पासवान एवं आइपास के क्षेत्रीय प्रशिक्षक समन्वयक विकास कुमार मौजूद थे।

 

ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं प्रशिक्षित चिकित्सकों से ही कराएं गर्भपात: उप निदेशक
क्षेत्रीय स्वास्थ्य उप निदेशक डॉ विजय कुमार के बताया कि वर्ष 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। इस कारण महिलाओं को गर्भ समापन के लिए बहुत ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। घरेलू उपायों से गर्भ समापन के दौरान महिलाओं की मृत्यु तक हो जाती थी। इसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बनाया गया। इसके बाद से ही सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू की गई। हालांकि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया है। लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा था। इसलिए एमटीपी एक्ट फिर में संशोधन किया गया। संशोधन में विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए गर्भपात की ऊपरी सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर अब 24 सप्ताह कर दिया गया है। इसी संबंध में राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर में 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन आईपास के सहयोग से किया गया।

 

सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध: क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक कैशर इक़बाल ने बताया कि सुरक्षित गर्भपात को लेकर पूर्णिया प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले अररिया जिलांतर्गत अनुमंडलीय अस्पताल फारबिसगंज में पदस्थापित महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शीला कुंवर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भरगांवा में कार्यरत नीरज कुमार निराला एवं सदर अस्पताल की जीएनएम हेमा कुमारी सिंह के अलावा कटिहार ज़िले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोढ़ा में पदस्थापित डॉ अमित आर्या एवं जीएनएम अमृता कुमारी को प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध माना गया है। हालांकि इस बात की जानकारी आज भी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। जिस कारण कारण क्षेत्रों की महिलायें नीम-हकीम या झोलाछाप चिकित्सकों के चक्कर में आकर अपनी जान तक गंवा देती हैं। संसोधित एमटीपी एक्ट के तहत 9 माह तक के अंदर गर्भवती महिलाएं क़भी भी अनचाहे गर्भ या जटिल समस्या आने पर सुरक्षित गर्भपात करा सकती हैं।

 

प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत सुरक्षित गर्भपात से संबंधित दी गई जानकारी: डॉ राजेश पासवान
जीएमसीएच के वरीय स्त्री रोग विशेषज्ञ सह नोडल अधिकारी डॉ राजेश पासवान ने कहा कि 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना कानूनी रूप से वैध माना जाता है। हालांकि सरकार या किसी अस्पताल द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही प्रशिक्षित चिकित्सकों की मौजूदगी में सुरक्षित गर्भपात कराया जाना चाहिए। यह चिंता का विषय है कि प्रशिक्षित चिकित्सक एवं नर्स की उपलब्धता होने के बावजूद महिलाएं शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले अप्रशिक्षित चिकित्सकों के चंगुल में पड़कर अपनी जान गंवा रही हैं।

 

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत सुरक्षित गर्भपात विषय को लेकर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी। इसमें सुरक्षित गर्भपात के तमाम तकनीकी पहलुओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी देने के बाद व्यवहारिक रूप से प्रसव कक्ष में महिला का सुरक्षित गर्भपात कराया गया। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहितमहिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी जबकि 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी पंजीकृत स्वास्थ्य सेवकों की सहमति होनी चाहिए। इसके साथ ही इस पूरी प्रक्रिया को गोपनीय बनाए रखा जाना अतिआवश्यक है।

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