सीवान को तुम पर नाज है डॉक्टर अंशु!

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सीवान के चंदौली की अंशु अमेरिका के नासा में करेगी शोध

बचपन में ही मां की ममता के छांव से दूर हो जानेवाली अंशु को पिता से मिला स्नेहिल परवरिश

श्रीनारद मीडिया, गणेश दत्त पाठक, सेंट्रल डेस्‍क:

सीवान। अगर सपने बड़े हो और सकारात्मक सोच, कठिन परिश्रम , धैर्य और सटीक रणनीति के साथ समर्पित प्रयास किए जाए तो सपने हकीकत में भी बदल जाते हैं। जब सपने सच होते हैं तो हौसलों को और भी ऊर्जा मिलती है फिर नई मंजिलों की तरफ कदम बढ़ चलते हैं।

बचपन की जिज्ञासा ने दिखाई मंजिल

सीवान के चंदौली गांव की मूल निवासी अंशु ने कभी चांद तारों को आसमां में देखा और बचपन में सवाल पूछती रही। उन सवालों के जवाब ने जिज्ञासा का समाधान तो कर दिया लेकिन इन चांद तारों के साथ काम करने के सपने को जगा दिया। परिश्रम से स्नेह बढ़ा और अंशु सफलता दर सफलता हासिल करती गई और पहुंच गई अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा। पर यह तो अभी शुरुआत है सीवान तो उस दिन गौरांवित हो उठेगा, जिस दिन सीवान की बेटी डॉक्टर अंशु अपने शोध से अंतरिक्ष जगत की अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाएगी।

बचपन में ही मां की ममता के छांव से दूर होना पड़ा

सीवान के आंदर प्रखंड की अंशु के दादा जी का नाम स्वर्गीय रामाशीष सिंह है। अंशु के पिता चंद्रमा सिंह बिहार विश्वविद्यालय के अंतर्गत केसीटीसी कॉलेज, रक्सौल के जूलॉजी विभाग के सेवानिवृत वरिष्ठ व्याख्याता रहे हैं। मां स्वर्गीय सबिता सिंह शिक्षा विभाग में अधिकारी थी, जिनका निधन कुछ वर्ष पूर्व 2008 में हो चुका है। बचपन में ही मां की ममता की छाया से मरहूम हो चुकी अंशु के पिता ने अपने स्नेहिल परवरिश से अंशु को सपना देखने और उसे पाने के लिए प्रेरित किया। अपने स्नेह से बेटी को कभी मां की कमी नहीं खलने दी पिता ने। सदैव उत्साहवर्धन करते रहे।

हेलसिंकी में किया शोध

शुरू से ही पढ़ने में मेधावी रही अंशु ने जवाहर नवोदय विद्यालय पिपाराकोट्ठी से हाई स्कूल की परीक्षा पास की। इसके बाद जयपुर के आरसीडब्ल्यू कॉलेज से बी टेक किया। एमटेक और इंटीग्रेटेड पीएचडी बैंगलोर से करने के बाद पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च के लिए अंशु फिनलैंड के हेलसिंकी यूनिवर्सिटी चली गई। जहां दो साल वह शोधरत रहीं। जहां से अमेरिकन अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए अंशु का चयन हो गया। और अंतरिक्ष के मामलों में शोध का अवसर मिला।

आईआईटी इंदौर ने दिया यंग साइंटिस्ट अवार्ड

डॉक्टर अंशु की मेधा सदैव सम्मानित होती आई है। स्कूल कॉलेज में कई अवार्ड पानेवाली अंशु के एस्ट्रोफिजिक्स पर आधारित थीसिस को आईआईटी रुड़की ने बेस्ट थीसिस का अवार्ड दिया तो 2022 में आईआईटी इंदौर ने यंग साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया तो रांची में भी डॉक्टर अंशु को यंग साइंटिस्ट के अवार्ड से नवाजा गया।

डॉक्टर अंशु अपने समर्पित प्रयासों के बल पर यद्यपि अब नासा पहुंच चुकी हैं लेकिन सीवान की बेटियों के लिए प्रेरणा का सबब भी बन चुकी है। जहां पिता अपनी लाडली की इस शानदार सफलता पर बेहद गौरांवित महसूस कर रहे हैं तो चाचा सबिता पब्लिक स्कूल के निदेशक प्रताप शेखर सिंह की खुशी का ठिकाना नहीं है। क्षेत्र के प्रख्यात लोग जैसे सांसद जनार्दन सिग्रीवाल, सांसद कविता सिंह, पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव, पूर्व एमएलसी मनोज सिंह आदि जहां गर्व महसूस कर रहे हैं। वही शिक्षाविद् गणेश दत्त पाठक का कहना है कि डॉक्टर अंशु की सफलता की इस कहानी को सीवान के हर बच्चा पढ़े और अभिभावक इस प्रेरक कहानी को बच्चों को अवश्य पढ़ाएं। ताकि सीवान में प्रेरणा का समंदर बह चले।

सीवान को तुम पर नाज है डॉक्टर अंशु!

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