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फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की सफ़लता के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की सफ़लता के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर खिलाई जा रही दवा: सिविल सर्जन
लक्ष्य के अनुसार शत प्रतिशत खिलाई जा रही दवा: डॉ जेपी सिंह
एमडीए कार्यक्रम में बीसीएम सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण: डीसीएम
एमडीए के तहत खिलाई जा रही दवा खाने से किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं: डीपीओ

श्रीनारद  मीडिया, कटिहार (बिहार):*


ज़िले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) की शत प्रतिशत सफ़लता को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में सिविल सर्जन डॉ जितेन्द्र नाथ सिंह की अध्यक्षता में हुआ। इस अवसर पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जय प्रकाश सिंह, जिला सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक अश्विनी मिश्रा, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी (वीडीसीओ) नंद किशोर मिश्रा, जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) जय प्रकाश महतो, केयर इंडिया के डीपीओ चंदन कुमार सिंह, सिफार के धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी सहित जिले के सभी प्रखंड सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक, प्रखंड स्तरीय वेक्टर जनित रोग पर्यवेक्षक (वीबीडीएस), केयर इंडिया के प्रखंड समन्वयक उपस्थित थे।

 

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर खिलाई जा रही दवा: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि ज़िले के 13 प्रखंडों में विगत 10 फ़रवरी से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान के तहत एल्बेंडाजोल एवं डीईसी की गोली आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर अपने सामने ही खिलाई जा रही हैं। फ़ाइलेरिया उन्मूलन के तहत वर्ष में एक बार चरणबद्ध तरीके से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) का कार्यक्रम चलाया जाता है। फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इस रोग से बचाव के लिए राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम चलाये जाते हैं।

 

ज़िले में एल्बेंडाजोल एवं डीईसी की शत प्रतिशत खिलाई गई ख़ुराक़: डॉ जेपी सिंह
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जय प्रकाश सिंह ने बताया कि विगत 10 फ़रवरी से ज़िले  के विभिन्न प्रखंडों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए के तहत खिलाये जा रहे दवाओं में शत प्रतिशत सफ़लता मिली है। अभी तक 11 लाख, 61 हजार, 744 लोगों को एल्बेंडाजोल व डीईसी की गोली खिलाई जा चुकी है। ज़िले के अमदाबाद में 88 हजार 505, बलरामपुर में 77 हजार 975, बरारी में 1 लाख 22 हजार 590, बारसोई में 1 लाख 39 हजार 982, फ़लका में 98 हजार 751, हसनगंज में 26 हजार 967, कदवा में 1 लाख 41 हजार  35, कोढ़ा में 1 लाख 47 हजार 474, कुरसेला में 21 हजार 437, मनिहारी में 88 हजार 624, मनसाही में 46 हजार 988, प्राणपुर में 76 हजार 184 और कटिहार शहरी क्षेत्र में 85 हजार 232 लाभार्थियों को खुराक खिलाई गई हैं।

 

एमडीए कार्यक्रम में बीसीएम सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण: डीसीएम
जिला सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक अश्विनी मिश्रा ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन में बीसीएम, आशा फेसिलेटर एवं आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में इनलोगों की पहुंच काफ़ी ज्यादा है। आपलोग अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए शत प्रतिशत सफ़लता दिलाने में योगदान दें। जिले में स्वास्थ्य विभाग के अलावा इस अभियान में अन्य सहयोगी संस्थाओं जैसे: डब्ल्यूएचओ, केयर इंडिया, पीसीआई एवं सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) का सहयोग काफ़ी मददगार साबित हो रहा है। क्योंकि अभी तक लक्ष्य के अनुरूप लाभार्थियों को एमडीए के तहत दवा खिलाने में शत प्रतिशत हासिल हुई है।

 

एमडीए के तहत खिलाई जा रही दवा खाने से किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं: डीपीओ
केयर इंडिया के डीपीओ चंदन कुमार सिंह ने बताया कि सामान्य लोगों को भी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के तहत खिलाई जा रही दवा से किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसी शिकायत होती है तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद थे, जो दवा खाने के बाद मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन हो, खुजली हो या फ़िर हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द होने की शिकायत हो तो यह फाइलेरिया का लक्षण हो सकता है। ऐसे में जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल के चिकित्सकों से संपर्क कर परामर्श आवश्यक रूप से लेना चाहिए। ताकि समय रहते उसका उचित उपचार किया जा सकें।

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