2024 में कौन बनेगा प्रधानमंत्री ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे क़रीब आ रहे हैं, विपक्षी एकता की बात फिर चलने लगी है। नीतीश कुमार विपक्षी खेमे के अगुआ बनने की सोच रहे हैं। हालाँकि वे कई बार कह चुके हैं कि मैं प्रधानमंत्री पद की होड़ में नहीं हूं। लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं है। दरअसल, नीतीश कुमार की शर्त ही कुछ अजीब है। एक तरफ़ वे कहते हैं- मैं पद की होड़ में हूँ। दूसरी तरफ वे कहते हैं राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनें तो हमें कोई हर्ज नहीं है। तीसरी तरफ कहते हैं- चुनाव के पहले नेता का नाम घोषित नहीं करेंगे। चुनाव बाद मिल-बैठकर फ़ैसला करेंगे।
कांग्रेस इसका मतलब समझ नहीं पा रही है। शायद कुछ ज़्यादा ही समझ रही है। उसे पूरी तरह लग रहा है कि चुनाव बाद नीतीश कुमार बदल जाएँगे। जैसे एक बार चंद्रशेखर के साथ हुआ था। चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। चौधरी देवीलाल ने चंद्रशेखर को विश्वास दिलाया कि नेता आपको ही चुना जाएगा। मीटिंग में चौधरी देवीलाल को नेता चुनने का अधिकार दे दिया गया। उन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह को नेता चुनने का प्रस्ताव रख दिया। चंद्रशेखर के सिवाय बाक़ी ज़्यादातर ने उनका समर्थन कर दिया।
नीतीश कुमार के मन में क्या है, ये तो वही जानें लेकिन प्रधानमंत्री पद की होड़ में वे नहीं है, यह बात कोई भी मानने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि जब वे दिल्ली गए तो सोनिया गांधी ने उन्हें मिलने का वक्त ही नहीं दिया था। नीतीश का कहना है कि बात कांग्रेस की तरफ़ से अटकी हुई है। कांग्रेस आगे आए तो विपक्षी एकता की बात बने। इसी धुन में शनिवार को एक समारोह में नीतीश बोल गए कि विपक्ष एक हो जाए तो भाजपा सौ सीटों के अंदर आ जाएगी। सौ सीटों के अंदर आने की बात सुनकर भाजपा वाले आग-बबूला हो रहे हैं।
रविशंकर प्रसाद कह रहे हैं कि बिहार तो नीतीश से संभलता नहीं, देश क्या ख़ाक सँभालेंगे? भाजपा का कहना है कि नीतीश दरअसल, देवगौडा या गुजराल बनने की ताक में हैं। वैसे प्रधानमंत्री पद कुछ ऐसा है कि एक अनार, सौ बीमार वाले हाल हो रहे हैं। तेलंगाना वाले चंद्रशेखर राव भी भविष्य में बेटे को CM बनाकर प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं।
इसी तारतम्य में उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया है। उधर ममता बनर्जी ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हो सकता है निकट भविष्य में वे भी कोई धमाका करें! बहरहाल, नीतीश कुमार और भाजपा के बीच शाब्दिक युद्ध जारी है। कल को अरविन्द केजरीवाल भी कोई नया प्रस्ताव लेकर विपक्षी मंच के सामने आ जाएँ तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
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