क्या भारत में अवैध वन्यजीव व्यापार के लिये 1,203 पैंगोलिन (वज्रशल्क) का शिकार किया गया?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पैंगोलिन TRAFFIC और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया की एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि वर्ष 2018-2022 तक भारत में अवैध वन्यजीव व्यापार के लिये 1,203 पैंगोलिन (वज्रशल्क) का शिकार किया गया था।
- यह शिकार भारत के 24 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में 342 जब्ती घटनाओं में बरामद किया गया था। जब्ती की सर्वाधिक घटनाएँ ओडिशा में हुई तथा यहीं से सर्वाधिक पैंगोलिन भी प्राप्त की गई थी।
- परिचय:
- पैंगोलिन रात्रिचर स्तनधारी हैं जो बिलों को खोदते हैं तथा चींटियों एवं दीमकों को खाते हैं और पारिस्थितिक तंत्र प्रबंधन में ज़्यादातर मिट्टी को वातकित करने और नमी जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- पैंगोलिन अपने अनोखे रूप के लिये जाने जाते हैं। उनके पास केराटिन के बने शल्क होते हैं जो उनके पूरे शरीर को ढँकते हैं।
- खतरे की स्थिति में, तो वे स्वयं की सुरक्षा के लिये गेंद की भाँति रोल हो सकते हैं।
- पैंगोलिन की प्रजातियाँ: पैंगोलिन की आठ प्रजातियाँ हैं:
- अफ्रीका में 4 प्रजातियाँ: ब्लैक-बेल्ड पैंगोलिन, व्हाइट-बेल्ड पैंगोलिन, जाइंट ग्राउंड पैंगोलिन और टेम्मिंक्स ग्राउंड पैंगोलिन।
- एशिया में 4 प्रजातियाँ: भारतीय पैंगोलिन, फिलीपीन पैंगोलिन, सुंडा पैंगोलिन और चीनी पैंगोलिन।
- प्राकृतिक आवास:
- यह प्राथमिक और द्वितीयक उष्णकटिबंधीय जंगलों, चूना पत्थर और बाँस के जंगलों, घास के मैदानों और कृषि क्षेत्रों सहित आवासों की एक विस्तृत शृंखला के लिये अनुकूलनीय है।
- भारतीय पैंगोलिन भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है जबकि चीनी पैंगोलिन की उपस्थिति बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में देखी गई है।
- खतरा या भय:
- इसकी आबादी, जो कभी व्यापक स्तर पर थी, इनके प्राकृतिक अधिवास के क्षरण तथा त्वचा और मांस के लिये बड़े पैमाने पर अवैध शिकार के कारण तीव्र गति से घट रही है।
- पैंगोलिन विश्व स्तर पर सबसे अधिक तस्करी किये जाने वाले जंगली स्तनधारियों में से हैं, जिनका व्यापार ज़्यादातर एशिया में होता है, जहाँ उनके शल्कों का प्रयोग औषधीय प्रयोग हेतु करते हैं तथा उनके मांस को स्वादिष्ट माना जाता है।
- संरक्षण की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) द्वारा प्रकाशित जानवरों की रेड लिस्ट में भारतीय पैंगोलिन को लुप्तप्राय (Endangered -EN) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
- जबकि चीनी पैंगोलिन को “गंभीर रूप से लुप्तप्राय” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- भारत में भारतीय और चीनी दोनों पैंगोलिन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित हैं, जो इसके शिकार, व्यापार या किसी अन्य प्रकार के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
- पैंगोलिन की सभी प्रजातियाँ वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species- CITES) के परिशिष्ट I में सूचीबद्ध हैं।
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