रूस-यूक्रेन के युद्ध में वह घटनाएं जिन्होंने बदल दी जंग की तस्वीर
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
रूस-यूक्रेन युद्ध के 1 साल पूरे होने वाले हैं। 24 फरवरी 2022 को शुरू हुई इस भीषण जंग ने खूबसूरत देश यूक्रेन को खंडहर में तब्दील कर दिया है। इस युद्ध की वजह से हजारों सुहागनों ने अपने सुहाग खो दिए। लाखों माताओं की गोद सूनी हो गई, तो वहीं न जाने कितने सैनिकों ने कर्तव्य की राह पर अपने प्राणों की आहुती दे दी। पिछले 1 साल से जारी इस युद्ध पर विराम कब लगेगा इसका अंदाजा लगा पाना भी मुमकिन नहीं है।
पिछले साल फरवरी महीने में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ) के आदेश पर रूसी सैनिकों ने यूक्रेन पर बड़े स्तर पर हमला करना शुरू कर दिया। रूस की तुलना में सैन्य शक्ति के मुकाबले काफी कमजोर देश यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने फिर भी हार नहीं मानी। अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश, इस युद्ध के लिए रूस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
वहीं, रूसी राष्ट्रपति पुतीन आज भी यूक्रेन को रूस का हिस्सा मानते हैं। पुतिन की मंशा है कि वो रूस को साल 1991 से पहले यानि सोवियत संघ के विघटन से पहले वाले स्वरूप में रूस को वापस लेकर आएं। इसलिए पुतिन यूक्रेन पर आज भी लगातार हमले कर रहे हैं।
71 हजार से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान
इस युद्ध की वजह से हुए नुकसान की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के ऑफिस की तरफ से जारी एक आंकड़े के अनुसार पिछले एक साल के दौरान यूक्रेन में 71 हजार से अधिक नागरिकों की मौतों की पुष्टि की गई है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के कार्यालय ने जानकारी दी कि 12 फरवरी, 2023 तक जंग (Russia Ukraine War) में कुल 7,199 नागरिकों की मौत हुई है। इनमें से 438 बच्चे थे। इसके अलावा, 11,756 लोगों के घायल हो चुके हैं। हालांकि, OHCHR ने यह भी बताया कि वास्तविक संख्या इससे भी अधिक हो सकती है। जानकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा लोगों की मौत पिछले साल मार्च महीने में सबसे ज्यादा 3.2 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
गौरतलब है कि 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद, यूक्रेन ने डोनेट्स्क और लुहांस्क के सरकार और रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों के बीच एक सैन्य संघर्ष चल रही थी। इस दौरान नागरिकों और सैन्य कर्मियों सहित 14,200 से 14,400 लोग मारे गए थे। उनमें से कम से कम 3.4 हजार नागरिक थे।
नॉर्वे के रक्षा प्रमुख, जनरल एरिक क्रिस्टोफर्सन ने जानकारी दी है कि युद्ध में रूस के तकरीबन 1 लाख 80 हजार सैनिक मारे जा चुके हैं। वहीं, यूक्रेन के करीब 1 लाख सैनिक मारे गए हैं। वहीं अमेरिका और पश्चिमी देशों की एक रिपोर्ट की मानें तो रूस के लगभग 2 लाख से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक, इस युद्ध के कारण दुनिया की तकरीबन 32 लाख करोड़ रुपये (4 ट्रिलियन डॉलर) बर्बाद हो चुकी है। सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान झेलने वाला देश यूक्रेन ही है।
युद्ध के बीच घटी महत्वपूर्ण घटनाएं
रूसी सेना ने मार्च में किया था खेरसॉन पर कब्जा
मार्च महीने रूसी सेना ने जबरदस्त बमबारी करते हुए खेरसॉन (Khorasan) को कब्जे में कर लिया। इसी के साथ खेरसॉन, रूसी सेना द्वारा कब्जा किया जाने वाला पहला क्षेत्र बन गया। इस क्षेत्र में मर्चेंट शिप, टैंकर, कंटेनर शिप, आइसब्रेकर, आर्किट सप्लाई शिप बनाई जाती हैं। वहीं, मई महीने में मारियुपोल पर नियंत्रण पाने के लिए रूसी सेना ने अभियान शुरू किया। भारी बमबारी की वजह से मारियुपोल (Mariupol) में कई नागरिकों की मौत हो गई।
जब पीछे हटने लगे रूसी सेना
मई में मारियुपोल पर नियंत्रण पाने के लिए रूसी सेना ने अभियान शुरू किया। भारी बमबारी की वजह से मारियुपोल (Mariupol) में कई नागरिकों की मौत हो गई। इसके बाद अजोवस्टाल (Azovstal) आयरन एंड स्टील वर्क्स प्लांट में दोनों देशों के सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ।
आखिर में यूक्रेन के सैनिकों ने रूसी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अगस्त में यूक्रेन ने आखिरकार अपना बहुप्रतीक्षित जवाबी हमला शुरू कर दिया। यूक्रेन की सेना ने पूर्वोत्तर यूक्रेन में खार्किव क्षेत्र की ओर एक आश्चर्यजनक जवाबी हमला किया। इस हमले का जवाब देने की बजाय रूसी सेना बिना लड़े पीछे हटने लगी।
यूक्रेन ने कर्च रोड और रेल ब्रिज को उड़ाया
अक्टूबर महीने के पहले हफ्ते में रूस को क्रीमिया प्रायद्वीप से जोड़ने वाले 19 किलोमीटर लंबे कर्च रोड और रेल ब्रिज को धमाके से उड़ा दिया गया था। धमाके के बाद क्रीमिया की ओर जा रही ट्रेन के सात ईंधन टैंकों में आग लग गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस धमाके में तीन लोगों की मौत हो गई और पुल के दो हिस्से भी आंशिक रूप से गिर गए। इस धमाके के बाद रूसी सेना ने यूक्रेन के कई शहरों पर बमबारी शुरू कर दी। बमबारी का लक्ष्य यूक्रेन के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, जैसे बिजली ग्रिड और जल भंडारण सुविधाओं को नुकसान पहुंचाना था।
क्रिसमस के बीच भी जारी रही जंग
साल के आखिरी महीनें में रूस की ओर से जानकारी दी गई कि क्रिसमस के बीच भी रूस-यूक्रेन युद्ध थमने वाला नहीं है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा था कि क्रिसमस तक रूस को अपने सैनिकों को यूक्रेन से बाहर ले जाने की शुरूआत करें, जो दोनों की शांति के लिए उठाया गया पहला कदम होगा। हालांकि, इस महीने भी दोनों देशों के बीच जंग जारी है।
जनवरी में माकिइवका शहर पर एक यूक्रेनी मिसाइल हमले से हाल ही में जुटे रूसी सैनिकों की मौत हो गई। रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि 89 सैनिक मारे गए, जबकि यूक्रेन के अधिकारियों ने मरने वालों की संख्या सैकड़ों में बताई थी। इसके बाद रूस ने 12 जनवरी को सॉलेदार पर कब्जा करने की घोषणा की, हालांकि कीव ने रूस के इस दावे को खारिज किया।
बाइडन पहुंचे यूक्रेन
20 फरवरी यानि यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष पूरा होने से चार दिन पहले सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन अचानक कीव पहुंचे। किसी अमेरिकी राष्ट्रपति का इस तरह से युद्धग्रस्त क्षेत्र में जाना अप्रत्याशित है और प्रोटोकाल के विरुद्ध है लेकिन बाइडन ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए ऐसा किया। बाइडन ने कहा, अमेरिका जब तक जरूरत होगी – तब तक यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा। बाइडन के दौरे से युद्ध के और भड़कने की आशंका पैदा हो गई है।
यूक्रेन को मिला अमेरिका और पश्चिमी देशों का साथ
इस युद्ध में अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश लगातार यूक्रेन की मदद में जुटे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तकरीबन 30 देशों ने भारी तादाद में यूक्रेन को हथियार और जरूरी चीजें मुहैया कराईं। ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों ने भी एलान किया है कि यूक्रेन को विध्वंसकारी टैंक जैसे- ‘चैलेंजर 2 टैंक’ और’लेपर्ड 2 टैंक’ यूक्रेन को मुहैया कराई जाएगी।
यूक्रेन को सबसे ज्यादा मदद अमेरिका कर रहा है। अमेरिका ने यूक्रेन को 90 स्ट्राइकर भेजे हैं। इसके अलावा, अमेरिका ने यूक्रेन को 59 ब्रेडली इन्फैंट्री लड़ाकू विमान भेजे हैं। रूस के खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिका लगातार अपने हथियारों का जखीरा यूक्रेन को दे रहा है। गौरतलब है कि रूस लगातार यह बात कहता आया है कि यह युद्ध यू्क्रेन के अलावा अमेरिका भी लड़ रहा है।
20 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वादा किया कि जल्द ही 50 करोड़ डालर मूल्य के हथियार और गोला-बारूद यूक्रेन भेजे जाएंगे। नाटो और यूरोपीय संघ भी लगातार यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद पहुंचा रहे हैं। हाल ही में नाटो ने यूक्रेन को लियोपार्ड टैंक देने की घोषणा की है।
भारत का नजरिया
इस युद्ध के मद्देनजर भारत ने शानदार कूटनीति का उदाहरण दिखाया है। इस युद्ध में भारत ने न तो रूस के साथ पूरी तरह खड़ा दिखा है न ही यूक्रेन के साथ। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा यह बात कही है कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है । भारत ने हमेशा दोनों देशों से शांति की अपील की है और बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की वकालत की है।
बता दें कि युद्ध के बीच भी भारत रूस से कच्चा तेल खरीदता रहा। गौरतलब है कि रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात दिसंबर 2022 में और बढ़ गया। आंकड़ों के अनुसार, भारत रूस से 1 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदने लगा। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत ने कभी भी अपने पुराने साथी रूस का साथ नहीं छोड़ा है.
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