क्या देश में खेती-किसानी की दशा बदलने वाली है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
‘जय जवान, जय किसान’- शास्त्रीजी का यह नारा आज भी प्रासंगिक बना हुआ है। सैनिकों और किसानों के कंधों पर देश की तरक्की का जिम्मा है। इसमें भी कृषि क्षेत्र पर 58% से ज्यादा भारतीय सीधे तौर पर आजीविका के लिए निर्भर हैं।
आधुनिक प्रौद्योगिकी हर क्षेत्र के लिए वरदान साबित हुई है। एग्रीकल्चर सेक्टर भी इससे अछूता नहीं। उपज को बेहतर बनाने और किसानों का काम सरल-सुगम बनाने वाली तकनीकी को एग्रीटेक कहा जाता है। बीते एक दशक में भारत में एग्रीटेक में खासी तरक्की हुई है। मिसाल के तौर पर पशुपालन या कैटल फार्मिंग को लें। यह अनेक सदियों से किसानों के जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है।
आज भारत में मवेशियों की संख्या 30 करोड़ से ज्यादा है, जो कि चीन से तीन गुना अधिक है। दुनिया के दूध उत्पादन में भारत का योगदान 23% है और यह लगातार बढ़ रहा है। 18% की सालाना बढ़ोतरी के साथ डेयरी इंडस्ट्री 2023 में 314 अरब डॉलर की मार्केट-साइज प्राप्त कर लेगी।
खेती और उससे जुड़े क्षेत्रों में इनोवेटिव तौर-तरीकों का समावेश करके और बड़े पैमाने पर रोजगार के नए विकल्प रचकर एग्रीटेक देश की इकोनॉमी में खासा योगदान दे सकती है। जैसे-जैसे इसका दायरा बढ़ेगा, यह रिसर्च एंड डेवलपमेंट से लेकर सेल्स एंड मार्केटिंग तक अनेक क्षेत्रों में उत्तम गुणवत्ता के रोजगार रचेगी।
बीते वर्ष अपना गोदाम, मूफार्म, भारतएग्री, आईबोनो जैसे अनेक स्टार्टअप्स ने तकनीकी का इस्तेमाल करके किसानों की उपज बढ़ाने में मदद की और बेहतर इनपुट्स, रीयल-टाइम मार्केट इंफॉर्मेशन और वित्तीय सेवाओं तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करते हुए उनकी आय में इजाफा किया।
सरकार भी कृषि क्षेत्र में तकनीकी के समावेश के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिशें कर रही है। उसने ईनाम पोर्टल के जरिए मंडियों का डिजिटलीकरण किया है, सेज़ में डेडिकेटेड फूड पार्क्स के माध्यम से प्रोसेस्ड फूड सेक्टर को बढ़ावा दिया है और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग जैसी अन्य आधुनिक तकनीकी के उपयोग से एग्रीटेक कम्पनियों में निवेश को प्रोत्साहित किया है। सरकार ने इसके लिए नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान इन एग्रीकल्चर (NeGP-A) बनाया है, साथ ही अनेक अन्य कदम भी उठाए हैं।
इंडिया एग्री सेक्टर में प्रत्यक्ष रोजगारों के अवसर : 2013 में भारत में स्टार्टअप्स की संख्या 43 थी, जो 2022 के अंत तक बढ़कर 1300 हो गई है। अनुमान है कि स्टार्टअप सेक्टर 2027 के अंत तक ढाई करोड़ से अधिक किसानों तक पहुंच जाएगा। मिसाल के तौर पर मूफार्म नामक एक स्टार्टअप की योजना है राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र के एक हजार से अधिक गांवों में सात हजार से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार सृजित करना।
यह स्टार्टअप तकनीकी प्लेटफॉर्म आधारित मॉडल का उपयोग करते हुए बारहवीं पास या अंडर-ग्रैजुएट स्तर के अकुशल कामगारों के लिए रोजगारों के अवसर निर्मित करने की दिशा में काम कर रहा है। यह उन किसानों को भी बाजार के दामों पर अपनी उपज बेचने का अवसर देता है, जो तकनीकी रूप से बहुत कुशल नहीं हैं।
आने वाले कल के लिए उम्मीदें
यील्ड मैपिंग, ऑटोमैटेड वीड कंट्रोल, सैटेलाइट इमेजिंग जैसी सटीक तकनीकें कम इनपुट में ज्यादा और बेहतर उपज लेने में किसानों की मदद करती हैं। इसलिए रिमोट सेंसिंग, एग्रोनोमी, ऑटोमैशन जैसे क्षेत्रों में काम के अनेक अवसर हैं। डाटा-आधारित फार्मिंग से लेकर प्रिसिशन एग्रीकल्चर तक, एग्रीटेक क्षेत्र में सार्थक रोजगारों के अवसर बहुत उजले हैं।
खेती में तकनीकी के समावेश से एग्रोनॉमिस्ट्स, क्रॉप डॉक्टर्स, हाइड्रोलॉजिस्ट्स, फूड साइंटिस्ट जैसे रोजगार और ग्रामस्तरीय उद्यमिता के अनेक अवसर निर्मित होंगे। इससे शहर से गांव तक किसानों का रिवर्स-माइग्रेशन भी सुनिश्चित होगा। लेकिन इसके लिए पैदावार में वृद्धि अत्यंत आवश्यक है।
समय के साथ डाटा एनालिटिक्स, आईओटी, केमिकल इंजीनियरिंग, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डाटा साइंस, एग्रो-इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं की मांग बढ़ना तय है। किसी समझदार व्यक्ति ने कहा था, अपने भोजन के लिए किसानों को धन्यवाद दें। इसमें अब यह भी जोड़ा जा सकता है कि कमाई करना चाहते हैं तो खेती के बारे में सोचें!
आज अनेक स्टार्टअप्स तकनीकी का इस्तेमाल करके किसानों की उपज बढ़ाने में मदद कर रहे हैं और बेहतर इनपुट्स, रीयल-टाइम मार्केट इंफॉर्मेशन और वित्तीय सेवाओं तक उनकी पहुंच सुनिश्चित कर रहे हैं।
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