ज़मीन से जुड़ने के लिए कड़े संघर्ष की ज़रूरत होती है,क्यों ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक फ़ायदे लेने में माहिर हैं। वे चौबीस घंटे के राजनेता हैं। इसलिए नहीं कि कांग्रेस कच्ची है, बल्कि इसलिए कि मोदी ने ग़रीबी का वो स्वाद चखा है जिसमें चूल्हा फूंकने से लेकर जो कपड़ा पहना है उसी को धोकर वापस पहनने की मजबूरी तक शामिल हैं।

मोदी इसलिए महान नहीं हैं क्योंकि राहुल को जीवन की दुश्वारियाँ पता नहीं है या राहुल ये नहीं जानते कि रोटी बनती कैसे है? उसके लिए आटे की ज़रूरत होती है। और वो आटा कहाँ से आता है? या वो आटा बनता कैसे है? चक्की में पिसकर बनता है या सीधे खेत में ही उगता है? अगर खेत में ही उगता है तो उसमें पानी कहाँ से आता है? या वो पानी वाष्पित क्यों नहीं होता? फसलों तक पहुँचता कैसे है? मोदी इसलिए महान नेता हैं कि उन्होंने ग़रीबी भोगी है और रोटी के बनने की सारी प्रक्रिया को जिया है।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के पूर्व CM येदियुरप्पा के 80वें जन्मदिन पर बधाई दी और झुककर उनका अभिवादन किया।

इस देश में वही नेता चल सकता है जिसे आम आदमी, गरीब की, पिछड़ों की, मजबूरियाँ पता हो। वह नहीं जिसे लिखे – लिखाए भाषण पढ़ने की आदत हो! दरअसल हम जिस चीज़ को खुद जीते नहीं, भुगतते नहीं, उस सब को लिखे हुए भाषण की तरह कितना भी पढ़ लें, वो भाव नहीं आता। आता भी है तो इस देश का आम आदमी उस भाव को आत्मसात् नहीं कर पाता। भोगे हुए, भुगते हुए आदमी के मन से चीजें जब निकलती हैं तो वह दुख या सुख बहुत कुछ अपना- सा लगता है।

यही फ़र्क़ है कांग्रेस और भाजपा में। यही फ़र्क़ है मोदी और राहुल गांधी में। इस फ़र्क़ को जब तक कांग्रेस नहीं पाटती, उसका कल्याण होना मुश्किल है। राहुल ने बीते दिन रायपुर में बड़ा भावुक बयान दिया। कहा- बावन सल हो गए, मेरे पास मेरा- अपना घर नहीं है। मोदी ने कर्नाटक जाकर दूसरे दिन राहुल की तमाम भावुकता या भोलेपन को धो दिया।

उन्होंने कहा- कर्नाटक के एक बेटे यानी मल्लिकार्जुन खडगे को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है, लेकिन वे केवल नाम के अध्यक्ष हैं। रिमोट कंट्रोल किसके हाथ में है, सब जानते हैं। रायपुर में भी भरी दुपहरी में छाता किसके सर के लिए खुला, यह सबको पता है। कम से कम खडगे साहब के लिए तो नहीं ही खुला। इससे बात अच्छी तरह समझ आती है कि कांग्रेस में अध्यक्ष कोई भी बन जाए, रिमोट कंट्रोल किसके हाथ में होता है, कहने की ज़रूरत नहीं है।

कुल मिलाकर, कांग्रेस को भाजपा से मुक़ाबला करना है तो कोरी भावुकता से काम नहीं चलने वाला है। ज़मीन से जुड़ना पड़ेगा। … और ज़मीन से जुड़ने के लिए कड़े संघर्ष की ज़रूरत होती है। वो करना ही होगा।

 

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