बिहार में शहीद बेटे का स्मारक बनाने पर जेल,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार पुलिस ने गलवान घाटी में शहीद के पिता के साथ कुख्यात अपराधियों जैसा व्यवहार किया। पिता की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने सरकारी जमीन पर शहीद बेटे की याद में स्मारक बना दिया था। इस पूरे मामले की जांच अब CID करेगी।
शहीद जवान के पिता के साथ वैशाली जिले के जंदाहा में हुए दुर्व्यवहार मामले पर मीडिया में आई खबरों के बाद बिहार पुलिस मुख्यालय एक्टिव हो गया है। मुख्यालय ने इस मामले की जांच CID को सौंपी है। इस बारे में पुलिस मुख्यालय की तरफ से आधिकारिक बयान जारी किया गया है।
इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इस पूरे प्रकरण की जांच अपराध अनुसंधान विभाग (CID) के तहत वीकर सेक्शन की टीम करेगी। इसके लिए वीकर सेक्शन के ADG को DGP राजविंदर सिंह भट्टी की तरफ से एक स्पेशल टीम बनाने का निर्देश दिया गया है।
स्पेशल टीम इस मामले की जांच हर बिन्दु पर करेगी और उसकी रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपेगी। रिपोर्ट दोषी पाए जाने वाले पुलिस अफसरों और कर्मियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
ADG मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि मुख्यालय ने मामला सामने आने के बाद अपने स्तर से पता लगाया। जिसमें जानकारी सामने आई कि शहीद जवान के पिता को SC-ST एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है। ये कार्रवाई क्यों हुई? साथ उनके साथ किए गए दुर्व्यवहार के मामले की जांच करने के लिए DGP की तरफ से CID को स्पेशल टीम बनाकर जांच के निर्देश दिए गए हैं।
इसके बाद CID के तहत विकर सेक्शन के ADG ने ASP मदन कुमार आनंद की अगुवाई में तीन सदस्यों की एक स्पेशल जांच टीम बना दी है। ये टीम जांच करने के लिए वैशाली पहुंच भी चुकी है। जो जल्द ही जांच कर अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपेगी।
अपराधियों की तरह रात में उठाया…मारपीट का भी आरोप
पूरा मामला वैशाली जिले के जंदाहा थाने की मुकुंदपुर भात पंचायत के चकफतह गांव का है। 23 जनवरी को पुलिस ने पड़ोसी की शिकायत पर शहीद जय किशोर के पिता के खिलाफ एससी/एसटी का मामला दर्ज किया था। एक महीने बाद 25 फरवरी को पुलिस रात 11 बजे उनके घर पहुंची और पिता को जबरदस्ती अपने साथ जंदाहा थाने ले गई।
पुलिस रात के अंधेरे में शहीद के घर पहुंची। पिता को जबरन गाड़ी में बिठाकर थाने लेकर आई। मारपीट के बाद जेल भेज दिया। इसके बाद से हिंदू संगठनों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शहीद की मां का रो-रोकर बुरा हाल है।
परिजन का कहना है कि शहीद के घर के पास ही सरकारी जमीन है, जिस वक्त शहीद जय किशोर सिंह का शव उसके घर आया था। उस वक्त बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से लेकर कई बड़े केंद्र और राज्य के नेता शहीद के परिवार से मिलने आए थे। उस वक्त शहीद जवान की याद में कई तरह की घोषणाएं की थीं। उसी घोषणा की कड़ी है यह शहीद का स्मारक।
शहीद जय किशोर सिंह के बड़े भाई नंद किशोर सिंह ने बताया कि महुआ एसडीपीओ पूनम केसरी ने स्मारक को 15 दिनों के अंदर हटाने के निर्देश दिए थे। 25 फरवरी की रात थानाध्यक्ष उनके पिता को थाने ले गए, जहां उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट की गई।
तेजस्वी यादव ने भेजी थी प्रतिमा
वर्तमान उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शहीद की प्रतिमा बनवाकर यहां भेजी थी। परिजन और स्थानीय लोगों ने शहीद की प्रतिमा स्थापित की थी। उसी के बाद से यह मामला बढ़ता चला गया। प्रशासन ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया, बल्कि सीधे शहीद के पिता पर एफआईआर के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
क्या है आरोप
शिकायतकर्ता हरिनाथ राम ने बताया कि शहीद जवान के स्मारक के सामने सरकारी सड़क है। स्मारक बना देने से उनका रास्ता अवरुद्ध हो गया। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति का होने के कारण मुझे शहीद के परिवार ने परेशान किया। हमारी जमीन स्मारक के पास ही है।
उन्होंने स्मारक अपनी जमीन में नहीं बनवाया, बल्कि मेरी जमीन के सामने इसे बनवाया। इसके कारण मुझे आने-जाने में परेशानी हो रही है। हरिनाथ राम ने बताया कि रात के अंधेरे में चोरी-छिपे स्मारक की चारदीवारी का निर्माण करवा दिया गया।
एसडीपीओ बोलीं- केस दर्ज हुआ था
वहीं इस पूरे मामले में महुआ एसडीपीओ पूनम केसरी का कहना है कि 23 जनवरी को जंदाहा थाने में SC/ST एक्ट के तहत हरिनाथ राम ने सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर मामला दर्ज करवाया था। इसके बाद महुआ एसडीपीओ पूनम केसरी ने शहीद के परिजन को 10 फरवरी 2023 को मौखिक रूप स्मारक को हटाने के निर्देश दिए थे।
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