QUAD: क्या है क्वाड, भारत को इससे क्या फायदा है?

QUAD: क्या है क्वाड, भारत को इससे क्या फायदा है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 What is QUAD भारत क्वाड देशों की अध्यक्षता कर रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेतृत्व में दिल्ली में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हो रही है। इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग ने हिस्सा लिया। वैसे तो क्वाड (QUAD) की बैठक दिल्ली में हो रही है, लेकिन इसकी चिंता सबसे ज्यादा चीन को हो रही है।

क्वाड क्या है

Quad चार देशों के बीच होने वाली सुरक्षा संवाद का ग्रुप है। क्वाड का मतलब क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग (Quadrilateral Security Dialogue) है। इसमें चार सदस्य देश भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान है। ये सभी देश समुद्री सुरक्षा और व्यापार के साझा हितों पर एकजुट हुए हैं। चीन इस ग्रुप का हमेशा से विरोधी रहा है, ऐसा इसलिए, क्योंकि यह माना जाता है कि इसका गठन चीन के गलत इरादों को देखते हुए किया गया है। हालांकि, क्वाड देशों का कहना है कि यह ग्रुप केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा हितों की रक्षा करना है।

क्वाड की स्थापना कब और कैसे हुई

क्वाड की स्थापना की कहानी तकरीबन 20 साल पुरानी है। वैसे तो क्वाड 2017 में अस्तित्व में आया, लेकिन इसकी शुरुआत 2004 में हिंद महासागर में आई भूकंप और सुनामी के समय हुई। इस सुनामी ने भारत समेत कई देशों को नुकसान पहुंचाया था और इसी समय भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया साथ आए थे। इस ग्रुप को सुनामी कोर ग्रुप के नाम से जाना जाता है, जिसने राहत और बचाव कार्य में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, उद्देश्य पूरा होने के बाद यह समूह बिखर गया।

क्वाड को बनाने का सबसे पहला विचार जापान ने दिया था। 2007 में जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो आबे ने पहल तो की लेकिन ऑस्ट्रेलिया के समर्थन न मिलने से गठजोड़ नहीं बना। 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने भी विचार बदला और क्वाड अस्तित्व में आ गया।

क्वाड के बनने की ये है टाइमलाइन

  • वर्ष 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के चलते चारों क्वाड देशों की एकजुट होने की शुरुआत।
  • 2007 में जापान ने क्वाड के गठन का विचार रखा। चीन और रूस ने इसका खूब विरोध किया था।
  • 2017 में ऑस्ट्रेलिया के मानने के बाद क्वाड का गठन हुआ।
  • 2019 में पहली बार क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की न्यूयॉर्क में बैठक हुई।
  • 2020 में जापान के टोक्यो में विदेश मंत्रियों की दूसरी बार बैठक हुई।
  • 2020 में ही चारों देशों की नौसेनाओं ने संयुक्त अभ्यास में भाग लिया।
  • 2021 में पहली बार क्वाड देशों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस की।
  • 2022 में टोक्यो में क्वाड शिखर सम्मेलन आयोजित।
  • 2023 में ऑस्ट्रेलिया में होगा अगला क्वाड शिखर सम्मेलन।

jagran

चीन ने क्वाड को बताया ‘एशियाई नाटो’

चीन की विस्तारवाद वाली नीति से हर कोई वाकिफ है। चीन हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी अपनी वर्चस्व चाहता है और क्वाड को इसी पर एक नकेल के तौर पर देखा जाता है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की दखल पर चीन हमेशा आग बबूला रहता है और वह इस समूह को एशियाई नाटो के रूप में बताता है। बता दें कि चीन की आक्रमकता तो देखते हुए ही समान सोच वाले देश एकसाथ आए हैं।

चीन को इस चीज का डर

दरअसल, चीन शुरुआत में क्वाड देशों के एकजुट होने को बड़ी बात नहीं मानता था और उसे लगता था कि ये सभी देश एक साथ कभी आ भी नहीं पाएंगे। क्वाड के बनते ही चीन की यह गलतफहमी भी दूर हो गई। चारों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र के देशों की साझा समस्याओं पर काम कर रहे हैं। चाहे वो जलवायु परिवर्तन हो या कोई और समस्या इसपर क्वाड काम कर रहा है। इसी को देखकर चीन परेशान है। अब चीन को डर है कि अगर क्वाड देश इन समस्याओं से पार पा लेते हैं तो वह हिंद प्रशांत क्षेत्र में दो कोड़ी का रह जाएगा।

Quad से भारत को क्या फायदा

क्वाड का हिस्सा बनना भारत के लिए काफी फायदे का सौदा है। भारत जब से क्वाड का अंग बना है उसने अपनी कई नीतियों में बदलाव किया है और इससे देश में निवेश बढ़ा है और रोजगार के नए अवसर मिले हैं। क्वाड से जुड़कर भारत संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले सकता है और साइबर सुरक्षा को भी बेहतर कर सकता है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!