विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम इन दिनों चर्चा में क्यों है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (Foreign Contribution Regulation Act -FCRA) के तहत सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के लाइसेंस पंजीकरण को रद्द कर दिया है।

  • हाल में ऑक्सफैम इंडिया और इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF) के साथ ही CPR (गैर-लाभकारी संगठन) पर आयकर विभाग द्वारा सर्वेक्षण किया गया था।

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम:

  • परिचय: 
    • विदेशी सरकारों द्वारा भारत के आंतरिक मामलों को प्रभावित करने के लिये स्वतंत्र संगठनों की सहायता से किये जाने वाले वित्तपोषण की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए FCRA को 1976 में आपातकाल के दौरान अधिनियमित किया गया था।
    • इस कानून ने व्यक्तियों और संघों को दिए जाने वाले विदेशी दान को विनियमित करने की मांग की ताकि वे “एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के मूल्यों के अनुरूप” कार्य कर सकें।
  • संशोधन: 
    • विदेशी धन के उपयोग पर “कानून को सशक्त करने” तथा “राष्ट्रीय हित में हानिकारक किसी भी गतिविधि” के लिये उसके उपयोग को “प्रतिबंधित” करने हेतु वर्ष 2010 में एक संशोधित FCRA अधिनियमित किया गया था। 
    • वर्ष 2020 में कानून में फिर से संशोधन किया गया, जिसने गैर-सरकारी संगठनों द्वारा विदेशी धन की प्राप्ति और उपयोग पर नियंत्रण तथा जाँच हेतु सरकार को और मज़बूती प्रदान की।
  • मानदंड:
    • प्रत्येक व्यक्ति या NGO जो विदेशी दान प्राप्त करना चाहता है, के लिये FCRA निम्नलिखित प्रावधान करता है:
      • अधिनियम के तहत पंजीकृत हो।
      • भारतीय स्टेट बैंक, दिल्ली में विदेशी धन की प्राप्ति के लिये एक बैंक खाता खोला गया हो
      • निधियों का उपयोग केवल उसी उद्देश्यों के लिये करना जिसके लिये उन्हें प्राप्त किया गया है और अधिनियम में इनको निर्धारित किया गया है।
    • विशिष्ट सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रमों को करने  वाले व्यक्ति या संगठन FCRA के पंजीकरण हेतु पात्र हैं।
  • अपवाद: 
    • एफसीआरए के तहत आवेदक को फर्जी नहीं होना चाहिये और एक धर्म से दूसरे धर्म में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रलोभन या बल के माध्यम से धर्मांतरण के उद्देश्य से गतिविधियों में शामिल होने के लिए मुकदमा या दोषी नहीं ठहराया गया हो।
    • आवेदक पर सांप्रदायिक तनाव या वैमनस्य फैलाने के लिये कोई मुकदमा नहीं चलाया गया हो या किसी अपराध के लिये दोषी न ठहराया गया हो।
      • इसके अलावा वह राजद्रोह की गतिविधियों में शामिल न हो या उसके इसमें सम्मिलित होने की संभावना न हो।
    • यह अधिनियम चुनावी उम्मीदवारों, पत्रकारों या अखबारों और मीडिया प्रसारण कंपनियों, न्यायाधीशों एवं सरकारी कर्मचारियों, विधायिका तथा राजनीतिक दलों के सदस्यों या उनके पदाधिकारियों, साथ ही राजनीतिक प्रकृति के संगठनों द्वारा विदेशी धन की प्राप्ति पर रोक लगाता है।
  • वैधता: 
    • NGOs को अपने FCRA पंजीकरण के नवीनीकरण की तिथि समाप्त होने के छह महीने के भीतर आवेदन करना आवश्यक है क्योंकि यह केवल पाँच साल के लिये  वैध होता है।
    • सरकार किसी भी NGO का FCRA पंजीकरण भी रद्द कर सकती है यदि यह पाया जाता है कि NGO, अधिनियम का उल्लंघन कर रहा है या लगातार दो वर्षों तक समाज के लाभ के लिये अपने चुने हुए क्षेत्र में किसी भी उचित गतिविधि में शामिल नहीं हुआ है, या निष्क्रिय रहा हो।
  • FCRA 2022 नियम: 
    • जुलाई 2022 में MHA ने FCRA नियमों में बदलाव किया जिससे अधिनियम के तहत समाशोधन/समाधेय योग्य अपराधों की संख्या 7 से बढ़कर 12 हो गई।
    • सरकार को अब विदेशों में रह रहे भारतीय (रिश्तेदारों) से 10 लाख रुपए (पहले 1 लाख रुपए से अधिक) के योगदान की अधिसूचना की आवश्यकता नहीं है और बैंक खाते खोलने के लिये अधिसूचित करने की समय-सीमा बढ़ा दी गई है।

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