वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का निधन
उन्होंने 78 वर्ष की उम्र में हरियाणा के गुडगांव जिले में आखिरी सांस ली.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का सुबह 14 मार्च को निधन हो गया. उनके पीए मोहन ने बताया, सुबह करीब 9 बजे वह बाथरूम में फिसल गये थे, उसके तुरंत बाद उनको घर के पास स्थित प्रतीक्षा अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया.
वेद प्रताप वैदिक हिंदी भाषा के जाने माने पत्रकार थे, उन्होंने 78 साल की उमर में अंतिम सांस ली. आखिरी बार वह अखबार की सुर्खियों में तब आए थे जब उन्होंने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी हाफिज सईद का इंटरव्यू किया था. उनका इंटरव्यू काफी चर्चा में रहा था.
कहां हुआ था जन्म, कहां ली आखिरी सांस?
वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में जेएनयू से पीएचडी की थी. वह चार साल तक दिल्ली में राजनीति शास्त्र के टीचर रहे. उनकी फिलॉस्फी और राजनीतिशास्त्र में भी काफी दिलचस्पी रही.
‘तो उस संसद पर थूकता हू’
हाफिज सईद का इंटरव्यू लेने के बाद जब पूरे देश में हंगामा मच गया था, तो दो सांसदों ने उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाकर उनको गिरफ्तार करने की मांग की थी. इस पर वैदिक ने टिप्पणी की थी, और कहा था, दो सांसद ही नहीं पूरे 543 सांसद सर्वकुमति से एक प्रस्ताव पारित करें और मुझे फांसी पर चढ़ा दें. मैं ऐसी संसद पर थूकता हूं.
कई भाषाओं के विद्वान थे वैदिक
दिवगंत पत्रकार वेद प्रताप वैदिक बहुत ही योग्य संपादकों में से एक माने जाते हैं. उन्होंने 12 सालों तक नवभारत टाइम्स के एडिटोरियल संपादक के रूप में काम किया था. इसके अलावा उन्होंने अफगानिस्तान पर शोध किया था. इसके अलावा वह लंदन, मॉस्को समेत 50 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके थे.
संसद पर भी की थी विवादत टिप्पणी
वेद प्रताप वैदिक ने जब पाकिस्तान में जाकर हाफिज सईद का इंटरव्यू लिया तो उसने पीएम मोदी को लेकर गलत बातें कहीं थी। वहीं, भारत लौटने पर उनका भारी विरोध भी हुआ और उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा तक चलाने की मांग उठी।
दो सासंदों ने उनपर कार्रवाई की मांग की तो वैदिक ने कहा था कि वे किसी से नहीं डरते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने किसी से कोई समझौता नहीं किया, जो मैं डरूं। वैदिक ने आगे कहा कि मेरे खिलाफ केवल दो सांसदों ने कार्रवाई की मांग की है, अगर सभी सांसद भी मुझे गिरफ्तार करने की बात कहे तब भी मैं नहीं डरता हूं। उन्होंने कहा कि मेरी गिरफ्तारी की बात अगर संसद करती है, तो मैं उसपर थूकता हूं।
कई बड़े मीडिया संस्थानों में किया काम
वेदप्रताप वैदिक ने कई सालों तक बड़े मीडिया संस्थानों में काम किया। उन्होंने 10 साल पीटीआई-भाषा के संस्थापक-संपादक की जिम्मेदारी संभाली। जीवन के आखिरी मोड़ तक उनके कई प्रमुख अखबारों में राजनीति और अन्य समाजिक विषयों पर लेख छपते रहे। उन्होंने पीएच.डी. के शोधकार्य के दौरान न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मास्को के इंस्तीतूते नरोदोव आजी, लंदन के स्कूल ऑफ ओरियंटल एंड एफ्रीकन स्टडीज और अफगानिस्तान की काबुल यूनिवर्सिटी में अध्ययन और शोध किया था।
50 से ज्यादा देशों की यात्रा की
वेद प्रताप वैदिक न सिर्फ भारत के मुद्दों में दिलचस्पी रखते थे, बल्कि वो विदेशी राजनीति और कूटनीति के विषयों पर भी खूब लिखते थे। उन्होंने लगभग 50 देशों की यात्रा की। वो संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, फारसी, रूसी और अंग्रेजी के जानकार थे।
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