भारत में चीनी उद्योग की क्या स्थिति है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
- वर्तमान वित्त वर्ष में चीनी का निर्यात 5.5 अरब डॉलर को पार कर सकता है।
भारत में चीनी उद्योग की स्थिति:
- परिचय:
- चीनी उद्योग एक महत्त्वपूर्ण कृषि-आधारित उद्योग है जो लगभग 50 मिलियन गन्ना किसानों की ग्रामीण आजीविका का आधार है और लगभग 5 लाख श्रमिक प्रत्यक्ष तौर पर चीनी मिलों में कार्यरत हैं।
- अक्तूबर 2021 से सितंबर 2022 में भारत विश्व में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता तथा विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है।
- वितरण:
- चीनी उद्योग मोटे तौर पर उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्रों में वितरित है- उत्तर में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब तथा दक्षिण में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश।
- दक्षिण भारत में जलवायु उष्णकटिबंधीय है जो उत्तर भारत की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली उच्च सुक्रोज सामग्री के लिये उपयुक्त है।
- चीनी उद्योग मोटे तौर पर उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्रों में वितरित है- उत्तर में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब तथा दक्षिण में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश।
- चीनी के विकास के लिये भौगोलिक स्थितियाँ:
- तापमान: ऊष्ण और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27 डिग्री सेल्सियस के बीच।
- वर्षा: लगभग 75-100 से.मी.।
- मृदा का प्रकार: समृद्ध दोमट मिट्टी।
चीनी निर्यात की स्थिति:
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 2017-18 तक भारत ने शायद ही कोई कच्ची चीनी (गन्ने के रस के पहले क्रिस्टलीकरण के बाद उत्पादित) का निर्यात किया।
- इसने मुख्य रूप से 100-150 ICUMSA मूल्य (चीनी विश्लेषण के समान तरीकों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आयोग) के साथ सफेद चीनी (कच्ची चीनी के शोधन द्वारा उत्पादित) का निर्यात किया। इसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कम गुणवत्ता वाले व्हाइट(White) या LQW के रूप में जाना जाता था।
- ICUMSA शुद्धता का एक मानक है। मूल्य जितना कम होगा, सफेदी उतनी ही अधिक होगी।
- वर्तमान स्थिति:
- वर्ष 2021-22 में भारत के कुल 110 लाख टन चीनी निर्यात में से अकेले कच्ची चीनी का हिस्सा 56.29 लाख टन था।
- भारतीय कच्ची चीनी के सबसे बड़े आयातक इंडोनेशिया (16.73 लाख टन), बांग्लादेश (12.10 लाख टन), सऊदी अरब (6.83 लाख टन), इराक (4.78 लाख टन) और मलेशिया (4.15 लाख टन) थे।
- वर्ष 2021-22 में भारत के कुल 110 लाख टन चीनी निर्यात में से अकेले कच्ची चीनी का हिस्सा 56.29 लाख टन था।
- बढ़ते निर्यात का कारण:
- बैक्टीरियल यौगिक से मुक्त: भारतीय कच्ची चीनी डेक्सट्रान से मुक्त होती है तथा बैक्टीरियल यौगिक तब बनता है जब कटाई के बाद बहुत देर तक गन्ना धूप में रहता है।
- भारतीय गन्ने की कटाई के 12-24 घंटों के भीतर पेराई की जाती है, जबकि ब्राज़ील में लगभग 48 घंटे लगते हैं।
- उच्च सुक्रोज सामग्री: ब्राज़ील, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य उत्पादकों की तुलना में भारतीय कच्ची चीनी में उच्च पोलराईज़ेशन (Polarization) (98.5-99.5%) होता है, जिससे इसे परिष्कृत करना आसान और सस्ता हो जाता है।
- पोलराईज़ेशन कच्ची चीनी में मौजूद सुक्रोज का प्रतिशत है।
- बैक्टीरियल यौगिक से मुक्त: भारतीय कच्ची चीनी डेक्सट्रान से मुक्त होती है तथा बैक्टीरियल यौगिक तब बनता है जब कटाई के बाद बहुत देर तक गन्ना धूप में रहता है।
- सीमित निर्यात:
- वर्ष 2021-22 में कम स्टॉक और उत्पादन में कमी के कारण सरकार ने घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये चालू चीनी वर्ष में भारत के निर्यात को 61 लाख टन तक सीमित कर दिया है।
- सरकार ने घरेलू उपलब्धता की गारंटी देने और खाद्य मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिये ये कदम उठाए लेकिन विदेशी बाज़ार एक बार खो जाने के बाद फिर से हासिल करना आसान नहीं है।
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- वर्ष 2021-22 में कम स्टॉक और उत्पादन में कमी के कारण सरकार ने घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये चालू चीनी वर्ष में भारत के निर्यात को 61 लाख टन तक सीमित कर दिया है।