Bihar Diwas:बिहार का संदेश है:कुछ बनना नहीं, कुछ करना है-प्रो. अशोक प्रियंवद
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार दिवस की पूर्व संध्या पर सीवान जिले के बढ़हरिया में डॉ. अशरफ अली के गरीब हॉस्पिटल स्थित परिसर में ‘बिहार और विकास’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।,जिसकी अध्यक्षता शिक्षाविद जबिउल्लाह ने की।
इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में जेड.ए. इस्लामिया महाविद्यालय में हिंदी विभाग के वरिष्ठ अध्यापक प्रो. अशोक प्रियंवद ने कहा कि बिहार का संदेश है कुछ बनिए नहीं, कुछ करिए। कुछ बनना नहीं है बल्कि कुछ करना है। बिहार के विरासत की मूल्य क्षीण हुई है। वह मूल्य जिन्होंने बिहार के वैभव को निर्मित किया है वह आज दिखाई नहीं पड़ती। आज बिहार में सारे संसाधन बाहर से आते हैं, स्थिति यहां तक है कि सरकार भी केंद्र के ऊपर निर्भर है।
हमारे जीवन में नकारात्मकता इतना बढ़ गया है इसे हम निकाल नहीं पा रहे हैं और इसलिए विकास कहीं ना कहीं अवरुध्द हुआ है। बिहार का वैभव एक टावर के रूप में स्थापित हो गया है। हम केवल वैभव की चर्चा करते हैं लेकिन वह वैभव कैसे प्राप्त हुआ है उसके लिए कितने लोगों ने अपनी आहुति दी है, उस कदम पर हम नहीं चला करते हैं। आज हम उपभोक्ता बाजार हो गये है। इन सभी से निजात पाने के लिए हमें अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता है। विडंबना यह है कि जिन्हें अपने को बदलना होता है वह बिहार से बाहर चले जाते हैं। जबकि बच्चों के मस्तिष्क में अच्छी बातों को भरना होगा जिससे वह हमारे प्रांत, जिले का नाम रोशन करें। क्योंकि आप अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि बिहार ने पूरे भारत का ही नहीं विश्व का भी विकास किया है।
इसे आप प्राचीन युग, मध्यकालीन युग और वर्तमान युग में भी देख सकते हैं। यहां के लोग कहां नहीं गए,आज पूरे भारत में बिहार के श्रमिक विनिर्माण क्षेत्र में लगे हुए हैं। पूरे देश में आईएएस अधिकारी बिहार के हैं। कई राज्यों में बिहार के शिक्षक बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं।
अतीत को समझे बिना हम विकास नहीं कर सकते-राजेश पाण्डेय,शोधार्थी
संगोष्ठी में वक्ता के रूप में शोधार्थी राजेश पाण्डेय ने कहा की मैं ‘बिहार और विकास’ विषय पर आयोजित सेमिनार के आयोजक मंडल का स्वागत करता हूं कि उन्होंने इस प्रकार के समारोह का आयोजन किया है, क्योंकि हमारी परंपरा के अनुसार समाज में संवाद की गरिमा को स्थापित करना प्रमुख लक्ष्य है।यह अनोखी संगोष्ठी इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि सीवान अपने प्रशासनिक स्थापना के 50 वर्ष विगत 3 दिसंबर 2022 को पूरा किया है और इस प्रकार के कार्यक्रम निश्चित रूप से समाज में सौष्ठव प्रदान करते हैं।
हम बिहार रहवासी तब तक विकास नहीं कर सकते जब तक हम अपने अतीत को समझ नहीं लेते है। क्योंकि जिस समाज को अपने अतीत की जानकारी नहीं होती वह भविष्य में क्या करेगा इसकी भी उसे कोई सूचना नहीं होती। हमारा भूतकाल काफी गौरवशाली रहा है यहां तक कि हमारे जिले का भी विगतयुग ऐसा है जिस पर हम गर्व कर सकते हैं। हमें सबसे पहले नई पीढ़ी को स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को, महाविद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्रों को बिहार के भूगोल, सभ्यता, सांस्कृतिक विविधता व सामाजिक ताना-बाना को बताना होगा। उन्हें अध्यापकों द्वारा इसकी अच्छी शिक्षा देनी होगी तभी हमारा बिहार आगे बढ़ सकता है,विकसित राज्य बन सकता है।
कार्यक्रम के आयोजकों को धन्यवाद देता हूं-जबीउल्लाह,शिक्षाविद
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शिक्षाविद जबिउल्लाह ने कहा कि मैं कार्यक्रम के आयोजक को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस तरह के संगोष्ठी का स्वरूप प्रदान किया। जिस प्रकार से यहां वक्ताओं ने बड़ी ईमानदारी के साथ ‘बिहार और विकास’ विषय पर अपनी बातों को रखा उससे मैं अभिभूत हूं। मैं यह आशा करता हूं आगे भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होते रहेंगे।
हम सभी का ही जमीर मर चुका है-तनवीर जकी
संगोष्ठी में शिक्षाविद तनवीर जकी अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि विकास नीति नहीं नियति से होता है। नियति का मूलमंत्र है ईमानदारी। इस विकास के लिए सभी को अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा।हमें अपने अधिकार से पहले कर्तव्यों की जानकारी होनी चाहिए क्योंकि अधिकारों के साथ कर्तव्य का होना आवश्यक है। बिहार में बुनियादी सुविधा बड़ी है लेकिन हमने अपने ईमानदारी को खोया है। आज बच्चे नशे का शिकार हो रहे हैं। हमारी नई पीढ़ी ड्रग्स के चपेट में आती जा रही है।
राजनीतिक तौर पर मैं किसी को दोष नहीं दूंगा, इसके लिए हम सभी का ही जमीर मर चुका है। राजनीति में भ्रष्टाचार की शुरुआत तो बहुत पहले से है इधर तृतीय स्तर पर यानी पंचायत स्तर पर यह विकराल रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। विडंबना यह है कि हम एक ईमानदार नेता को भी नहीं चुन सकते हैं, क्योंकि हम जाति,धर्म, पंथ, भाषा,क्षेत्र, अगड़ा-पिछड़ा, ऊंच-नीच में बुरी तरह से बंटे हुए हैं।
बिहार और विकास में तालमेल नहीं है- प्रो.रामअवतार यादव
वहीं सेमिनार में सेवानिवृत्त प्रचार्य प्रो.रामअवतार यादव ने कहा कि बिहार और विकास में तालमेल नहीं है। यहां विकास को सम्मान नहीं मिलता है। बिना शिक्षा के विकास नहीं हो सकता है। पिछले कई दशकों से बिहार को एक अलग प्रकार का राज्य बना दिया गया है। इसके लिए हमारी नीतियों में खोट हैं जिसकी वजह से बिहार विकास नहीं कर रहा है।
भाजपा नेता अनुरंजन मिश्रा ने कहा कि मनुष्यता का कार्य है इस प्रकार का संगोष्ठी का होना। इसके लिए मैं डॉ. अशरफ अली और इस पूरे कार्यक्रम के संयोजक आनंद किशोर मिश्रा जी की प्रशंसा करता हूं जिनके नेतृत्व में यह संगोष्ठी हो रहा है। बिहार ज्ञान की भूमि है। बढ़हरिया की भूमि से आज यह संदेश पूरे बिहार में अवश्य जायेगा की एक छोटा सा क्षेत्र भी बिहार के विकास को लेकर कितना संवेदनशील है और वह इस विषय पर मनन कर रहा है।
पत्रकार नेयाज ने कहा कि नकारात्मक सोच से विकास अवरुद्ध हो गया है इसलिए सकारात्मक सोच की आवश्यकता है। हमारी सोच नहीं बदली है इसलिए बिहार भी नहीं बदल रहा है। सरकार से नहीं,नैतिक शिक्षा से समाज बदलेगा। मैं यह आवाह्न करता हूं कि विद्यालयों में, महाविद्यालयों में नैतिक शिक्षा का पाठ्यक्रम अवश्य लगाया जाए ताकि समाज में गुणात्मक बदलाव हो।
वही पप्पू सर ने कहा कि जातियों में बांटने के कारण हमारा विकास अवरुद्ध हो गया है। हम क्षणिक लाभ के लिए अपना बहुत कुछ खो रहे है।जबकि पत्रकार कौशर अली ने कहा कि बिहार और विकास विषय पर प्रकाश डालना और इस से निकले अमृत को ग्रहण करना एक बहुत बड़ी बात है। हमें इस पर अमल करना चाहिए,यही इस सेमिनार की सार्थकता होगी।
वक्ता बसीर उर्फ लाल बाबू जी ने कहा कि विकास के लिए हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा। मौलाना शमशाद मिसबाही ने कहा कि हमें अपने विकास के लिए अपने जेहन को बदलना लाना होगा। वह व्यक्ति अपने जीवन में सफल हो गया जिसने अपने हृदय को साफ़ रखा। हमारे धर्म ग्रंथ भी हमेशा इस बात को बताते हैं कि सबसे पहले व्यक्ति में सुधार होना चाहिए इसके बाद समाज में स्वतः सुधार होगा।
इससे पहले समारोह में सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन पत्रकार व पेशे से शिक्षक आनंद किशोर मिश्रा ने किया। वहीं चार घंटे तक चले इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ. अशरफ अली ने कहा कि इस तरह के सफल कार्यक्रम से मै भावुक हूं। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि आज मेरे के अस्पताल के परिसर में बिहार और विकास विषय को लेकर इतनी अच्छी बातें हुई। हम आशा करते हैं कि आगे भी इस तरह की वार्ता होती रहेगी।
इस अवसर पर कई शिक्षक, समाजसेवी, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता,प्रबुद्ध व सामान्य जन भी उपस्थित रहे।
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