अरणि मंथन से प्रज्ज्वलित हुई श्री शतचंडी महायज्ञ की अग्नि
श्रीनारद मीडिया‚ चमन श्रीवास्तव‚ सीवान (बिहार) :
सीवान जिले के जीरादेई प्रखंड के बढ़ेया में चल रहे श्री शतचंडी महायज्ञ के तीसरे दिन श्री श्री 1008 श्री राम घाट अयोध्या वाले श्री माधव दास जी उर्फ त्यागी जी महाराज के सानिध्य में शुक्रवार को यज्ञाचार्य श्री लक्ष्मी निधि मिश्रा के नेतृत्व में कई महापंडितों व विद्वानों के मंत्रोच्चारण द्वारा पूरे विधि विधान से यज्ञकुंड में अरणी मंथन ( अग्नि प्राकट्य ) साधना सृजित की गई तो साक्षात अग्निदेव यज्ञकुंड में विराजमान हो गए ।
वैदिक अनुष्ठान की कठिन प्रक्रिया द्वारा यज्ञशाला में अग्नि प्रज्ज्वलित होते ही समूचा क्षेत्र व मंडप जय मां काली, जय हनुमान जय मां अम्बे जैसे जयकारों से गूंज उठा । काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञशाला की परिक्रमा की । प्रतिदिन सुबह में पूजा अर्चना व परिक्रमा कार्यक्रम , दिन में रामलीला , शाम में प्रवचन व रात में रासलीला का मंचन किया जा रहा है । मौके पर मुख्य यजमान अरुण ओझा, पुष्पेंद्र ओझा, धनंजय ओझा, केशव पांडेय, राजू ओझा सहित सपत्नीक यजमानों ने यज्ञ मंडप में बैठकर पूजा अर्चना की ।
कलयुग में पाप संहारक है श्रीमद्भागवत कथा श्रवण – : संध्या समय प्रवचन के दौरान वाराणसी से पधारी कथावाचिका सुश्री मानस कोकिला कुमकुम पाण्डेय ने श्रीमद्भागवत महिमा का वर्णन कर श्रद्धालु भक्तों को ज्ञान की बहती गंगा से रसास्वादन करवाया । कथा का प्रारंभ शौनक ऋषि द्वारा सूतजी से पूछे गए छह प्रश्नों से शुरू हुआ । उन्हीं 6 प्रश्नों के विस्तार को कथावाचिका ने भागवत कथा बताया । कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है । जन्म जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर ही श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त होता है । जीवन में पाप हमारा मन कथा श्रवण में नहीं लगने देता बल्कि बुरे कर्मों में संलिप्त कर कुकर्म करने पर विवश कर देता है । अत : कलयुग में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण सबसे बड़ा पाप संहारक ब्रह्मास्त्र है । भागवत कथा सुनने मात्र से व्यक्ति कलयुग में लौकिक व आध्यात्मिक विकास के साथ भवसागर को पार कर जाता है । यह कथा कल्पवृक्ष की भांति मनुष्य की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है ।
यज्ञ को सफल बनाने में इनकी भूमिका है सराहनीय -:
अनुष्ठान को सफल बनाने में यज्ञकर्ता श्री श्री 1008 श्री रामघाट अयोध्या वाले श्री माधव दास जी उर्फ त्यागी जी महाराज, श्री श्री 1008 श्री रामनारायण दास जी महाराज, श्री श्री 1008 श्री तुरंत उत्तम फल देव बाबाजी महाराज, श्री श्री 1008 श्री श्यामसुंदर दास जी महाराज, श्री श्री 108 श्री बालक दास जी, कमलेश्वर ओझा, बाबूलाल यादव, विश्वनाथ यादव, शनि ओझा, विकास श्रीवास्तव, राजू श्रीवास्तव, टुनटुन ओझा, वकील पाण्डेय, अशोक साह, ओमप्रकाश ठाकुर, नीरज श्रीवास्तव, बादशाह पाण्डेय, पशुपति पाण्डेय, विजेंद्र ओझा, रंजन ओझा, शशि पांडेय, देव कुमार साह, सत्येंद्र पाण्डेय, परमानंद शर्मा, पंकज श्रीवास्तव, राजकिशोर यादव, अरुण ओझा, शंकर यादव, टुना यादव, ओमप्रकाश भास्कर, मिंटू पाण्डेय, उपेंद्र यादव, पुष्पेंद्र ओझा, हरेराम पाण्डेय, गुड्डू पाण्डेय, दिगम्बर कुमार, प्रियांशु ओझा, विनोद ओझा, विवेक श्रीवास्तव, नन्हे ओझा, नितेश ओझा, मनोज यादव, छोटू श्रीवास्तव, पिंटू यादव, छोटू यादव, अरविंद यादव, राहुल श्रीवास्तव समेत हजारों श्रद्धालु अहम भूमिका निभा रहे हैं।
जीरादेई में हुआ राम कथा का आयोजन-: इसी दौरान भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबु की जन्मस्थली ग्राम जीरादेई (राम जानकी मंदिर) में चैत्र नवरात्रि के उपलक्ष्य में श्री मद्भागवत कथा सह 3 दिवसीय राम कथा के आयोजन के दूसरे दिन श्री धाम वृंदावन से पधारे श्री अमित कृष्ण शास्त्री जी के मुखारविन्द से भागवत कथा सुन भक्त भाव विभोर हो उठे I महराज श्री ने बताया कि कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हैं। अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। मौके पर आचार्य विवेक मिश्रा वृंदावन से राम कथा के लिए पधारे सतीश जी महराज, पंडित धर्मेंद्र जी, नीरज सिंह, छोटे सिंह, बलेन्दर सिंह, मनीष सिंह सहित तमाम भक्त उपस्थित रहे।
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