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विश्व क्षय रोग दिवस लोगों को शिक्षित व जागरूक करने के लिये मनाया जाता है।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

क्षय रोग के बारे में जागरूकता फैलाने और इसका निराकरण करने के लिये सबसे अच्छे तरीके को अपनाने के उपलक्ष्य में विश्व क्षय रोग दिवस प्रतिवर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है।

  • भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाना है, जबकि इसके उन्मूलन के लिये वैश्विक लक्ष्य वर्ष 2030 है।
  • वर्ष 2023 के लिये थीम: हाँ! हम क्षय रोग का उन्मूलन कर सकते हैं!

विश्व क्षय रोग दिवस का महत्त्व:

  • वर्ष 1882 में इस दिन डॉ. रॉबर्ट कोच ने क्षय रोग के कारक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की घोषणा की थी और उनकी खोज ने इस बीमारी के निदान एवं इलाज का मार्ग प्रशस्त किया।
  • आज भी क्षय रोग विश्व के सबसे घातक संक्रामक रोगों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रतिदिन 4100 से अधिक लोगों की मृत्यु क्षय रोग के कारण होती है और लगभग 28,000 लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। एक दशक से अधिक समय में पहली बार वर्ष 2020 में क्षय रोग से होने वाली मौतों में वृद्धि देखने को मिली।
    • WHO के अनुसार, वर्ष 2020 में क्षय रोग से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 99,00,000 थी और इससे मरने वाले लोगों की संख्या लगभग 1,500,000 थी । क्षय रोग के उन्मूलन के लिये विश्व स्तर पर किये गए प्रयासों से वर्ष 2000 से अब तक 66,000,000 लोगों की जान बचाई जा चुकी है।
    • विश्व क्षय रोग रिपोर्ट 2022 के अनुसार, विश्व में क्षय रोग के लगभग 28% मामले भारत में हैं।
  • इसलिये, विश्व क्षय रोग दिवस विश्व भर के लोगों को इस रोग और इसके प्रभाव के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के लिये मनाया जाता है।

क्षय रोग:

  • परिचय:
    • क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होने वाला एक संक्रमण है। यह व्यावहारिक रूप से शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। सबसे सामान्य फेफड़े, फुफ्फुस (फेफड़ों के चारों ओर अस्तर), लिम्फ नोड्स, आँतों, रीढ़ और मस्तिष्क हैं।
  • संचरण:
    • यह एक वायुजनित संक्रमण है जो संक्रमित के साथ निकट संपर्क विशेष रूप से खराब वेंटिलेशन वाली घनी आबादी जैसे स्थानों से फैलता है।
  • लक्षण:
    • सक्रिय फेफड़े की टीबी के सामान्य लक्षण हैं जैसे- खाँसी के साथ बलगम और कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वज़न घटना, बुखार एवं रात को पसीना आना।
  • इलाज:
    • टीबी उपचार योग्य बीमारी है। इसका इलाज 4 रोगाणुरोधी दवाओं के 6 महीने की एक मानक अवधि के साथ किया जाता है जिसमें एक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता या प्रशिक्षित स्वयंसेवक द्वारा रोगी को जानकारी, पर्यवेक्षण एवं सहायता प्रदान की जाती है।
    • एंटी-टीबी दवाओं का उपयोग दशकों से किया जा रहा है और सर्वेक्षण किये गए प्रत्येक देश में 1 या अधिक दवाओं हेतु प्रतिरोधी उपभेदों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।
      • बहुऔषधि-प्रतिरोधी क्षय रोग (MDR-TB) TB का एक रूप है जो बैक्टीरिया के कारण होता है जिस पर आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिसिन जैसी दो सबसे प्रभावशाली क्षय रोग प्रतिरोधी औषधियों का कोई असर नहीं होता है।
        • MDR-TB बेडक्वीलाइन जैसी दूसरी दवाओं का उपयोग करके उपचार और इलाज योग्य है।
      • व्यापक रूप से दवा प्रतिरोधी क्षय रोग (XDR-TB) MDR-TB का एक अधिक गंभीर रूप है जो बैक्टीरिया के कारण होता है, जिस पर दूसरे सबसे प्रभावी क्षय रोग प्रतिरोधी दवाओं का असर नहीं होता है जिसके कारण रोगियों के पास अक्सर उपचार का अन्य कोई दूसरा विकल्प भी नहीं होता है।

टीबी से निपटने हेतु पहल:

  • वैश्विक प्रयास:
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल फंड और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप के साथ एक संयुक्त पहल “फाइंड. ट्रीट. ऑल. #EndTB” की शुरुआत की है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन ‘ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट’ भी जारी करता है।
  • भारत के प्रयास:
    • क्षय रोग उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-2025), निक्षय पारिस्थितिकी तंत्र (राष्ट्रीय टीबी सूचना प्रणाली), निक्षय पोषण योजना (NPY- वित्तीय सहायता), ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा अभियान’
    • वर्तमान में दो टीके VPM (वैक्सीन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट) 1002 और MIP (माइकोबैक्टीरियम इंडिकस प्रानी) क्षय रोग के लिये विकसित एवं चिह्नित हैं एवं ये नैदानिक परीक्षण के चरण-3 में हैं।
    • वर्ष 2018 में निक्षय पोषण योजना शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य पोषण संबंधी ज़रूरतों के लिये प्रतिमाह 500 रुपए का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रदान कर हर क्षय रोगी की मदद करना था।

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