विश्व का सबसे बड़ा रीजनल संगठन है SCO,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
नई दिल्ली में शंघाई कोर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) के तहत नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर्स (NSA) की मीटिंग जारी है। इस मीटिंग में पाकिस्तान के भी शामिल होनी की उम्मीद है। भारत के NSA अजीत डोभाल ने मीटिंग की शुरुआत की। इसमें चीन के NSA वर्चुअली शामिल हो सकते हैं। पाकिस्तान में फिलहाल कोई NSA नहीं है, जिसे देखते हुए किसी वरिष्ठ डिफेंस अधिकारी के मीटिंग में जुड़ने की उम्मीद है।
द ट्रिब्यून के मुताबिक, पाकिस्तान ने भारत में हो रही SCO मीटिंग्स में शामिल होने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। भारत की तरफ से इन मीटिंग्स के लिए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को न्योता भेजा जा चुका है। SCO के तहत डिफेंस मिनिस्टर्स की मीटिंग 27-29 अप्रैल और फॉरेन मिनिस्टर्स की मीटिंग 4-5 मई को गोवा में होगी।
पाक ने नक्शे में जम्मू-कश्मीर को अपना हिस्सा दिखाया था
इससे पहले 21 मार्च को SCO के एक सेमिनार में पाकिस्तान शामिल नहीं हुआ था। इस सेमिनार में सैन्य चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवा और महामारी में आर्म्ड फोर्सेज के योगदान पर चर्चा हुई थी। दरअसल, सम्मेलन से पहले पाकिस्तान ने एक मैप जारी कर जम्मू-कश्मीर को अपने देश का हिस्सा बताया था। इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने पड़ोसी देश को सही मैप दिखाने या मीटिंग में शामिल नहीं होने को कहा था।
21 मार्च को मीटिंग से दूर रहा था पाक
इस विवाद के बाद पाकिस्तानी डेलीगेशन ने सेमिनार से दूर रहने का ऑप्शन चुना। हालांकि पाकिस्तानी मीडिया ने कहा कि भारत ने अपना न्योता वापस ले लिया। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी फॉरेन मिनिस्टर SCO मीटिंग के लिए भारत आने को तैयार हैं। अगर ऐसा होता है तो मुमकिन है कि जुलाई में होने वाले SCO समिट के लिए पाक प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी भारत पहुंचें।
सभी मेंबर देशों को न्योता- विदेश मंत्रालय
SCO मीटिंग्स के लिए पाकिस्तान को न्योता देने के सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा- हम अभी SCO के प्रेसिडेंट हैं। इस लिहाज से हमने सभी मेंबर देशों को मीटिंग्स का न्योता दिया है। इसमें पाकिस्तान भी शामिल है। हम सभी देशों से उम्मीद करते हैं कि वो इन बैठकों में हिस्सा लेंगे।
क्या है SCO?
SCO यानी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का गठन 2001 में हुआ था। SCO एक पॉलिटिकल, इकोनॉमिकल और सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन है। भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान समेत इसके कुल 8 स्थाई सदस्य हैं। शुरुआत में SCO में छह सदस्य- रूस, चीन, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान थे। 2017 में भारत और पाकिस्तान के भी इससे जुड़ने से इसके स्थाई सदस्यों की संख्या 8 हो गई। 6 देश- आर्मीनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और टर्की SCO के डायलॉग पार्टनर हैं। 4 देश- अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया इसके ऑब्जर्वर सदस्य हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा रीजनल संगठन है SCO
आबादी और भौगोलिक स्थिति के लिहाज से ये दुनिया का सबसे बड़ा रीजनल ऑर्गेनाइजेशन है। दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों भारत और चीन के इसका सदस्य होने से SCO ऐसा संगठन है, जो दुनिया की करीब 40% आबादी को कवर करता है। एरिया की बात की जाए तो यूरेशिया के 60% और दुनिया के करीब एक तिहाई इलाके को यह कवर करता है।
पाकिस्तान के समक्ष आतंकवाद का मुद्दा उठाएंगे अजीत डोभाल
पाकिस्तान के समक्ष भारत एक बार फिर सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाएगा। बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की बैठक नई दिल्ली में होगी। इसमें चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधि वर्चुअल तरीके से हिस्सा लेंगे लेकिन रूस समेत दूसरे सदस्य देशों के एनएसए हिस्सा लेंगे।
बैठक में अफगानिस्तान का भी उठेगा मुद्दा
भारत के एनएसए अजीत डोभाल हमेशा से एससीओ के मंच से सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की रणनीति को उजागर करते रहे हैं। वर्ष 2021 में इसी मंच से उन्होंने पाकिस्तान की शह पर पलने वाले आतंकी संगठन लश्करे तैयबा और जैश ए मोहम्मद के खिलाफ एससीओ की तरफ से संयुक्त कार्य योजना बनाने का प्रस्ताव किया था। इस बैठक में अफगानिस्तान का मुद्दा भी उठेगा।
रूस की तरफ से बताया गया है कि रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पातृशेव हिस्सा लेंगे। दूसरी तरफ पाकिस्तान व चीन की तरफ से बताया गया है कि उनके प्रतिनिधि वर्चुअल तरीके से बैठक में हिस्सा लेंगे।
आतंकवाद के खिलाफ सहयोग के एजेंडे पर विमर्श
एससीओ की अध्यक्षता इस साल भारत के पास है और एनएसए की बैठक के बाद सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों, विदेश मंत्रियों और फिर राष्ट्र प्रमुखों की बैठक होगी। भारत की तरफ से सभी सदस्य देशों चीन, पाकिस्तान, रूस, उज्बेकिस्तान, तुर्केमिनिस्तान, किर्गिजस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान व कुछ दूसरे देशों को आमंत्रण भेज चुका है।
एनएसए की इस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग के एजेंडे पर विमर्श होना है। इसके अलावा अफगानिस्तान का मुद्दा भी काफी महत्वपूर्ण होगा। पिछले एक वर्ष के दौरान अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ पाकिस्तान के रिश्ते काफी खराब हो चुके हैं, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए उसका क्या रुख होता है।
भारत की अगुआई में हो रही एससीओ बैठक
बुधवार को होने वाली इस बैठक में यूक्रेन संकट को लेकर चीन व रूस की तरफ से सांकेतिक भाषा में क्या कहा जाता है, इस पर भी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की नजर होगी।
हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तरफ से जारी संयुक्त बयान में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यूक्रेन संकट का जिक्र किए जाने पर तंज कसा गया था।
उनका संकेत जी-20 संगठन के तहत भारत में हाल ही में संपन्न विदेश मंत्रियों की बैठक की तरफ था। ऐसे में इन दोनों देशों के एनएसए भारत की अगुआई में हो रही एससीओ बैठक में यह मुद्दा फिर उठा सकते हैं।
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